शिवसेना में संगठनात्मक फेरबदल के आसार, कांग्रेस-भाजपा के असंतुष्ट पदाधिकारियों पर नजर

Organizational reshuffle expected in Shiv Sena
शिवसेना में संगठनात्मक फेरबदल के आसार, कांग्रेस-भाजपा के असंतुष्ट पदाधिकारियों पर नजर
शिवसेना में संगठनात्मक फेरबदल के आसार, कांग्रेस-भाजपा के असंतुष्ट पदाधिकारियों पर नजर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शिवसेना में संगठनात्मक फेरबदल के आसार है। विदर्भ में समन्वयकों की नई नियुक्ति से यह उम्मीद बढ़ी है। जिला संपर्क प्रमुख बदले जा सकते हैं, साथ ही शहर में दो जिला प्रमुख की मांग पर भी विचार किया जा रहा है। संगठन को ताकत देने के लिए कांग्रेस व भाजपा के उन असंतुष्ट पदाधिकारियों पर नजर है जो आक्रामक तरीके से राजनीतिक सक्रियता दिखा सकें। दावा किया जा रहा है कि विधानमंडल केे बजट अधिवेशन के बाद शिवसेना मेें संगठनात्मक फेरबदल होगा। गौरतलब है कि शिवसेना में संगठनात्मक पुनर्गठन की मांग लंबे समय से की जाती रही है। स्थानीय पदाधिकारियों की शिकायत रहती है कि संगठन में केवल मुंबई के पदाधिकारियों को ही महत्व मिलता है। विदर्भ में शिवसेना चुनाव के समय भी सक्रिय नहीं रहती है। लिहाजा विदर्भ में शिवसेना को चुनाव में सफलता नहीं मिल पाती है। पिछले विधानसभा चुनाव में  स्थिति यह रही कि फिलहाल पूर्व विदर्भ के 6 जिलों में शिवसेना के एक भी विधायक नहीं है। संगठन कार्य को गति देने की मांग के बीच विदर्भ में दो समन्वयक नियुक्त किये गए हैं। अरविंद नेरकर को पश्चिम विदर्भ व प्रकाश वाघ को पूर्व विदर्भ की जिम्मेदारी दी गई है। पश्चिम विदर्भ के अंतर्गत अमरावती, अकोला, बुलढाणा,यवतमाल व वाशिम जिले शामिल है। पूर्व विदर्भ में नागपुर , भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर व गडचिरोली शामिल है। नेरकर विधायक रहे हैं। पहले वे पूर्व विदर्भ के समन्वयक थे। पूर्व विदर्भ के नये समन्वयक प्रकाश वाघ मुंबई के नगरसेवक हैं।

असंतोष है कायम

शिवसेना के स्थानीय पदाधिकारी के अनुसार संगठन के पदाधिकारियों में असंतोष कायम है। गुटबाजी को स्पर्धा का भाग माना जा सकता है। लेकिन स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक व्यवस्था कुछ ऐसी बनी है कि सबकुछ मुंबई से तय होता है। लिहाजा स्थानीय नेतृत्व को अधिक महत्व नहीं िमल पाता है। कृपाल तुमाने, प्रकाश जाधव, शेखर सावरबांधे, किशोर कुमेरिया, किशोर पराते, मंगेश काशीकर जैसे कुछ नामों को छोड़ दिया जाये तो शिवसेना के स्थानीय नेता के नाम पर लोग नहीं जानते हैं। संगठन की छवि खराब भी होती रहती है। कभी परस्पर आरोप लगाये जाते हैं तो कभी वसूली, धमकाने की शिकायत की जाती है। नागपुर में ही देखें तो यहां संगठनात्मक सुधार कार्य गतिविधि केवल आैपचारिक साबित हुई है। 5-6 वर्ष में यहां जो भी संपर्क प्रमुख भेजे गए उनके बारे में पहले ही प्रचारित किया जाता रहा कि वे पार्टी नेतृत्व के सबसे करीबी हैं। अनिल परब, तानाजी सावंत, दिवाकर रावते , गजानन कीर्तिकर को यहां संपर्क बनाकर भेजा गया। लेकिन संपर्क प्रमुख केवल एक दो बैठकें लेने या जिला कार्यालय का दौरा करने तक ही सीमित रहे। फिलहाल कीर्तिकर भी अधिक रुचि नहीं ले रहे हैं। वे सांसद हैं। स्वास्थ्य कारणों से वे नागपुर कम ही पहुंच पाते हैं।

बायोडाटा तैयार

बताया जा रहा है कि संगठन में पद पाने के इच्छुकों ने बायोडाटा तैयार कर रखा है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की कतरन के साथ वे मुंबई के दौरे कर रहे हैं। कांग्रेस ने सतीश चतुर्वेदी के पुत्र दुष्यंत चतुर्वेदी के विधानपरिषद सदस्य चुने जाने के बाद पद के इच्छुक कार्यकर्ताओं के दौरे सिविल लाइन में लगने लगे हैं। विदर्भ में संगठन मामले में मंत्री एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी सहायक िमलिंद नार्वेकर, मंत्री आदित्य ठाकरे व मंत्री संजय राठोड की भूमिका महत्वपूर्ण रहनेवाली है। शिंदे व राठोड ने यहां के कुछ पदाधिकारियों से संगठन मामले मेंें चर्चा की है। होली के बाद पदाधिकारियों को संगठन मामले में नई खुशखबरी सुनने को मिलने का संकेत िदया जा रहा है। 

Created On :   26 Feb 2020 7:24 PM IST

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