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ओशो वसीयत विवाद : बांबे हाईकोर्ट ने कहा- हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से कराएं हस्ताक्षर की जांच
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अध्यात्मिक गुरु ओशो की वसीयत से जुड़े विवाद को लेकर पुणे क्राईम ब्रांच को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले को लेकर पुलिस की जांच रिपोर्ट से वे संतुष्ट नहीं हैं। पुलिस से जांच रिपोर्ट मंगाई थी, किसी कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट नहीं। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान पुलिस ठीक तरह मामले की प्रगति रिपोर्ट पेश करे। हाईकोर्ट में ओशो के फर्जी दस्तखत के जरिए वसीयत बनाए जाने के दावे को लेकर ओशो के एक शिष्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।
याचिका में किया फर्जी दस्तखत का दावा
याचिका में दावा किया गया कि ओशो फाउंडेशन के ट्रस्टियों ने फर्जी दस्तखत के जरिए उनकी वसीयत तैयार की है। लिहाजा उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए। गुरुवार को न्यायमूर्ति आरएम सावंत और न्यायमूर्ति रेवती ढेरे के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ के सामने सरकारी वकील ने जांच रिपोर्ट पेश की। जिसे देखने के बाद खंडपीठ ने असंतोष व्यक्त किया। इस दौरान एक अन्य आवेदनकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दावा किया कि उन्होंने दिल्ली की एक फोरेंसिक लैब में ओशो की दस्तखत की जांच कराई है।
मामले की सुनवाई 8 अगस्त तक के लिए स्थगित
दिल्ली की लैब ने दस्तखत को फर्जी बताया था। इस पर खंडपीठ ने कहा कि विज्ञान ने काफी प्रगति की है। लिहाजा पुणे क्राईम ब्रांच हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से दस्तखत की पड़ताल कराए। मामले की अगली सुनवाई के दौरान रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। इससे पहले सरकारी वकील संगीता शिंदे ने कहा कि जांच अधिकारी ने मामले को लेकर कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इसके अलावा एक संदिग्ध कैंसर के मरीज ने अपना जवाब कोरियर के माध्यम से भेजा है। इस मामले में जांच प्रगति पर है। इससे पहले पुणे की स्थानीय पुलिस ने कहा था कि ओशो की दस्तखत की फोटोकॉपी दी गई है। जिसके आधार पर कोई नतीजा नहीं निकाला जा सकता। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 8 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   12 July 2018 1:15 PM GMT