एग्जाम में हुए पास, अब ट्रेनिंग देने में अटका प्रशासन, 235 आदिवासी स्टूडेंट कर रहे इंतजार

passed in exam but administration is now stabed in giving training
एग्जाम में हुए पास, अब ट्रेनिंग देने में अटका प्रशासन, 235 आदिवासी स्टूडेंट कर रहे इंतजार
एग्जाम में हुए पास, अब ट्रेनिंग देने में अटका प्रशासन, 235 आदिवासी स्टूडेंट कर रहे इंतजार

अतुल मोदी ,नागपुर। सरकार गरीब छात्रों के लिए कई तरह की शिक्षा योजना चलाकर उन्हें उच्च शिक्षित करने का प्रयास कर रही है लेकिन सरकारी खामियों के चलते कई होनहार गरीब छात्र अपनी मंजिल तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। ऐसा ही एक वाकया आदिवासी स्टूडेंट्स के मामले में सामने आया है। सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग की नागरिक सेवा परीक्षा के लिए गरीब आदिवासी विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने जुलाई 2014 में एक योजना लागू की थी। इसके अनुसार, प्रदेश के 235 स्टूडेंट्स को डा. बाबासाहब आंबेडकर संशोधन व प्रशिक्षण संस्था (बार्टी) की ओर से प्रदेश के 8 यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग दिया जाना था। इसमें से 10 स्टूडेंट्स को यशदा पुणे में प्रशिक्षण दिया जाना था। यशदा ने इसके लिए अलग से परीक्षा ली। इसके लिए आयुक्त आदिवासी संशोधन व शिक्षण संस्था पुणे को नियंत्रक अधिकारी बनाया गया था। प्रथम वर्ष के कुल खर्च का भी आवंटन भी किया जा चुका था। योग्य पात्रों की चयन परीक्षा भी ली गई। परिणाम भी घोषित हो गया, लेकिन बस ट्रेनिंग नहीं दिया गया। सवा साल से सफल विद्यार्थी इस आस में हैं कि उन्हें प्रशिक्षण मिलेगा, लेकिन फिलहाल यह भी पता नहीं कि ट्रेनिंग  मिलना कहां है।

यहां देना था प्रशिक्षण 
राज्य के 8 यूनिवर्सिटी की सूची शासनादेश में दी गई थी। इसके अनुसार पुणे विश्वविद्यालय, उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय जलगांव, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय औरंगाबाद, संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय, गोंडवाना विश्वविद्यालय गढ़चिरोली, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय नागपुर, स्वामी रामतीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड़ तथा सोलापुर विश्वविद्यालय। इन में से केवल पुणे विश्वविद्यालय तथा ‘बार्टी’ में ही प्रशिक्षण शुरू हो सका। शेष यूनिवर्सिटी में तो अभी इसके लिए जगह भी निर्धारित नहीं हो पाई है।

क्या थी योजना
महाराष्ट्र सरकार के आदिवासी विकास विभाग ने 15 जुलाई 2014 को शासनादेश जारी कर अनुसूचित जनजाति के गरीब युवकों को प्रशासनिक सेवा में भाग लेने के प्रति बढ़ावा देने के लिए डा. बाबासाहब आंबेडकर संशोधन व प्रशिक्षण संस्था पुणे (बार्टी) के मार्फत मुफ्त प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए शासनादेश जारी किया। आयुक्त आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था पुणे को नियंत्रक अधिकारी नियुक्त किया गया। चयनित 225 विद्यार्थियों को 25-25 विद्यार्थियों के बैच में प्रदेश के 8 विश्वविद्यालयों में तथा शेष 25 को ‘बार्टी’ में प्रशिक्षण दिया जाना था। 235 स्टूडेंट्स के प्रशिक्षण के लिए 1 करोड़ 83 लाख 27 हजार रुपए मंजूर किए गए। चयनित सभी 225 स्टूडेंट्स को इस राशि में से 4 हजार रुपए ट्रेनिंग की अवधि 8 माह के लिए विद्यावेतन तथा सत्र के लिए 6 हजार रुपए पुस्तकों के लिए दिए जाने थे। शेष राशि शिक्षा खर्च आदि के लिए मंजूर की गई थी।

क्या हुआ
‘बार्टी’ ने अखबारों में विज्ञापन देकर लोकसेवा आयोग की 2017 में होने वाले एग्जाम के लिए 4 दिसंबर 2016 को चयन एग्जाम का आयोजन किया। मार्च में परिणाम घोषित हुए। 225 सफल स्टूडेंट्स की सूची जारी की गई, लेकिन इसके आगे गाड़ी नहीं बढ़ी। सफल स्टूडेंट्स आज भी मारे मारे घूम रहे हैं। पुणे यूनिवर्सिटी व ‘बार्टी’ के अलावा शेष यूनिवर्सिटी में अभी तक प्रशिक्षण सत्र ही शुरू नहीं हो पाया, जबकि लोकसेवा आयोग की 2017 की परीक्षा भी हो गई। सूत्रों के अनुसार ‘बार्टी’ व तत्कालीन आयुक्त श्री पोयम की आपसी तनातनी के बीच स्टूडेंट्स का  भविष्य अंधेरे में चला गया। श्री पोयम का कहना था कि ‘बार्टी’ यूनिवर्सिटी के अनुसार, सफल स्टूडेंट्स की सूची दे, जबकि ‘बार्टी’ ने एक साथ 225 सफल स्टूडेंट्स की सूची दी थी। बाद में पुणे यूनिवर्सिटी तथा ‘बार्टी’में लेने वाले स्टूडेंट्स की लिस्ट दी गई, तो वहां ट्रेनिंग दिया गया। शेष यूनिवर्सिटी में कोई कोर्स प्रारंभ नहीं हुआ।

आईएएस अफसर बनने का सपना टूट गया
नागपुर का  स्नातक जय विट्ठलराव कोडापे सुबह-सुबह लोगों के घरों में अखबार पहुंचाता है। दिन में पढ़ाई करता है। ‘बार्टी’का विज्ञापन देख फार्म भर दिया। चयन हो भी गया, लेकिन अब तक ट्रेनिंग नहीं मिला। नागपुर यूनिवर्सिटी में कक्षा शुरू करने के लिए हर संभव प्रयास कर लिए। हर किसी से मिल लिया। आश्वासन मिले पर कक्षा शुरू नहीं हुई। आर्थिक स्थिति नहीं होने से घर में बैठकर लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उसने बताया कि वह पूर्व आदिवासी विधायक आनंदराव गेडाम से मिला। उन्होंने आदिवासी विकास विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भी लिखा, लेकिन परिणाम सिफर ही रहा। तत्कालीन आयुक्त आदिवासी संशोधन व प्रशिक्षण संस्था से भी मुलाकात की तो हास्यास्पद जवाब मिला। बोले, चूंकि ‘बार्टी’ ने यूनिवर्सिटी के अनुसार स्टूडेंट्स की लिस्ट नहीं दी है, इसलिए वहां का फंड जारी नहीं किया गया है। जब यूनिवर्सिटी अनुसार लिस्ट  मिलेगी, उसके बाद ही हम वहां प्रशिक्षण के लिए फंड जारी कर पाएंगे और कक्षा शुरू होगी।

सफल विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर गंभीर हैं
मैंने अभी हाल में ही पद संभाला है। इस विष्य पर गंभीर हूं। क्या हुआ उस पर बाद में निर्णय लेंगे। फिलहाल सफल स्टूडेंट्स के भविष्य का सवाल है। उन्हें ट्रेनिंग दी  जाएगी। भविष्य में विश्वविद्यालय स्तर पर ही चयन परीक्षा ली जाएगी, ताकि वहां से संबद्ध स्टूडेंट्स वहीं से परीक्षा दे सकें। पहले एग्जाम में चयनित स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण व सुविधाएं दी जाएंगी।
-डा. किरण कुलकर्णी, आयुक्त, आदिवासी संशोधन व शिक्षण संस्था, पुणे

Created On :   19 March 2018 2:34 PM IST

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