पायल तडवी आत्महत्या मामला : आरोपी डॉक्टरों की जमानत पर सुनवाई

Payal Tadvi suicide case: Hearing on bail of accused doctors
पायल तडवी आत्महत्या मामला : आरोपी डॉक्टरों की जमानत पर सुनवाई
पायल तडवी आत्महत्या मामला : आरोपी डॉक्टरों की जमानत पर सुनवाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई के नायर अस्पताल में पढाई कर रही डाक्टर पायल तडवी की आत्महत्या के मामले में आरोपी तीन डाक्टरों की जमानत अर्जी पर गुुरुवार को सुनवाई होगी। इस मामले में डा. हेमा अहूजा, डा.भक्ति मेहरे व डा. अंकिता खंडेलवाल को आरोपी बनाया गया है। तीनों आरोपी डाक्टरों द्वारा मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड किए जाने की आशंका के मद्देनजर निचली अदालत ने इन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया था। लिहाजा अब तीनों डाक्टरों ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दायर की है। जमानत आवेदन में तीनों डाक्टरों ने खुद पर लगे आरोपों का खंडन किया है और निचली अदालत के जमानत न देने के आदेश को रद्द करने की मांग की है। तीनों आरोपी डाक्टरों की जमानत अर्जी पर 4 जुलाई को न्यायमूर्ति साधना जाधव के सामने सुनवाई होगी। तीनों डाक्टरों के खिलाफ डाक्टर तड़वी को आत्महत्या के लिए उकसाने, रैगिंग करने व दलित उत्पीड़न कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन तीनों आरोपियों को बीते 28 मई को गिरफ्तार किया गया था। 

सीपीआई नेता के बेटे को मिली जमानत, बार डांसर ने लगाया दुष्कर्म का आरोप 

महानगर की एक अदालत ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी केरल के कम्यूनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (सीपीआई मार्क्सवादी) नेता के बेटे बिनॉय कोडियरी को अग्रिम जमानत प्रदान की है। कोडियरी सीपीआई नेता के बालकृष्णनन का बेटा है। कोडियरी के खिलाफ  एक बार डांसर ने ओशिवरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ संबंध बनाए है। मामले में गिरफ्तारी को देखते हुए कोडियरी ने कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया था।न्यायाधीश एमएच शेख के सामने जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान शिकायतकर्ता के वकील ने आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी केरल के एक प्रभावशाली नेता का बेटा है। यदि उसे जमानत प्रदान की जाती है तो वह मुझे व मेरे बेटे को नुकसान पहुंचा सकता है। पुलिस ने भी आरोपी की जमानत का विरोध किया। वहीं कोडियरी के वकील अशोक गुप्ते ने कहा कि मेरे मुवक्किल पर लगाए गए आरोप निराधार हैं। ब्लैकमेल करने के इरादे से मेरे मुवक्किल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने आरोपी को 25 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत प्रदान कर दी। न्यायाधीश ने आरोपी को जांच व डीएनएम परीक्षण में सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया है। साथ ही एक महीने तक हर सोमवार को पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने को कहा है। 

पुरस्कार विजेता को सहुलियत न देने वाले रिटायर प्राचार्य पर हाईकोर्ट ने लगाया जुर्माना 

उधर बांबे हाईकोर्ट ने एक प्रोफेसर को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा रिसर्च अवार्ड के तहत मंजूर की गई सहूलियत न देने के लिए सेवानिवृत्त प्राचार्य पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने जुर्माने की रकम याचिकाकर्ता  डा जे ए खान को देने का निर्देश दिया है। खान नाशिक स्थित भोंसला मिलिटरी कालेज में एसोसिएट प्रोफेसर के रुप में कार्यरत थे। खान को यूजीसी (रिसर्च एंड अवार्ड ब्यूरो) ने 18 सितंबर 2006 को रिसर्च अवार्ड प्रदान किया था। इसके तहत श्री खान को तीन साल का वेतन व शोध अनुदान मंजूर किया गया था। लेकिन कालेज के प्राचार्य ने खान को मिले रिसर्च अवार्ड को लागू करने से इंकार कर दिया था। प्राचार्य के अनुसार चुंकी यह कालेज रिसर्च सेंटर नहीं है, इसलिए हम अवार्ड के तहत मिली सहूलियत को लागू नहीं कर सकते। खान ने पुणे विश्वविद्यालय की शिकायत निवारण समिति के सामने अपनी बात रखी। शिकायत निवारण समिति ने कालेज को अवार्ड लागू करने की सिफारिश की। इसके बावजूद खान को सहुलियत नहीं मिली। कालेज को संचालित करने वाली एज्युकेशन सोसायटी ने विश्वविद्यालय की शिकायत निवारण कमेटी के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने सोसायटी की याचिका को खारिज कर दिया। फिर भी श्री खान को अवार्ड के तहत मिली सहूलियत नहीं दी गई। लिहाजा खान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राचार्य से मिली यातना के लिए नुकसान भरपाई का निर्देश देने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि अब याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त हो गए हैं और स्कूल के प्राचार्य भी रिटायर हो चुके हैं। लेकिन प्राचार्य के कृत्य से याचिकाकर्ता के कैरियर के अवसर प्रभावित हुए हैं। खंडपीठ ने कहा कि हमे विश्वविद्यालय की कमेटी के आदेश में कोई खामी नजर नहीं आती है। मामले में प्राचार्य के कृत्य को देखते हुए खंडपीठ ने उन पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया और 6 सप्ताह के भीतर उन्हें यह रकम देने का निर्देश दिया। 
 

Created On :   3 July 2019 3:32 PM GMT

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