घर बनाने लोगों को सस्ती दर पर मिलेगी रेत, संशोधित रेती नीति को मिली मंजूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में घर बनाने के लिए नागरिकों को सस्ते दर पर रेती (बालू) मिल सकेगी। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधित रेती नीति को मंजूरी दी गई। नई रेती नीति से अवैध उत्खनन और रेती माफियाओं पर लगाम लग सकेगी। साथ हीलोगों को नया घर बनना किफायती होगा। इस नीति के तहत पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में नागरिकों को एक साल के लिए प्रति ब्रास 600 रुपए (133 रुपए प्रति मैट्रिक टन) की दर से रेती मिल सकेगी। इसमें स्वामित्व धन की राशि माफ की जाएगी। हालांकि जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि और परिवहन सेवा शुल्क आदि खर्च वसूला जाएगा। रेती उत्खनन के बाद रेती को डिपो तक पहुंचाने, डिपो तैयार करने और प्रबंधन के लिए एक टेंडर प्रकिया पूरी की जाएगी। इसके जरिए रेती अथवा बालू उत्खनन किया जाएगा। यह रेती सरकार के डिपो में ले जाई जाएगी। सरकारी डिपो से रेती को बेचा जाएगा। नदी किनारेरेती समूह के निरीक्षण की कार्यवाही तहसीलदारों की अध्यक्षता वाली तकनीकी समिति करेगी। जिले के प्रत्येक तहसील के लिए उपविभागीय अधिकारी की अध्यक्षता में तहसील स्तरीय रेती निगरानी समिति स्थापित की जाएगी। यह समिति रेती समूह निश्चित करके उसके ऑनलाइन ई-टेंडर के लिए जिला स्तरीय समिति के पास सिफारिश करेगी। जिला स्तरीय निगरानी समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी होंगे। इस समिति में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पुलिस अधीक्षक अथवा पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त जिलाधिकारी और सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग और जलसंसाधन विभाग के अधीक्षक अभियंता और क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी, भू-विज्ञान और खनिकर्म विभाग,भूजल सर्वेक्षण और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी शामिल होंगे। समिति डिपो में रेती भंडारण उपलब्ध कराने के लिए बालू समूह तय करेंगे। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का निर्देशों का पालन होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि रेती डिपो में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और आनलाईन रेती खरीदने के लिए एक वेबसाईट तैयार की जाएगी।
ऐसी होगी नई रेत नीति
- नागरिकों को एक साल तक 600 रुपए प्रति ब्रास की दर पर मिलेगी रेती
- नई नीति के तहत रेती की नीलामी होंगी बंद
- रेती डिपो में से महाखनिज अथवा सरकार द्वारा तय किए जाने वाली ऑनलाइन प्रणाली से रेती बिक्री होगी
- रेती डिपो बनाने के लिए शहर और गांव के पास ही सरकारी जमीन चिन्हित की जाएगी
- नदी किनारे से डिपो तक के क्षेत्र को भू-बाड़ (आभासी परिधि) निश्चित किया जाएगा
- प्रत्येक रेती डिपो के पास रेती के वजन के लिए वजनकाटा (वे-ब्रीज) तैयार किया जाएगा। संबंधित जगहों पर सीसीटीवी और
कटीली तारों की बाड़ लगाई जाएगी
- रेती ढुलाई करने वाले वाहनों पर जीपीएस प्रणाली लगाना बंधनकारक होगा।
- नदी किराने से डिपो तक रेती ढुलाई करने वाले वाहनों को विशिष्ट रंग दिया जाएगा
- रेती डिपो से नागरिकों तक रेती पहुंचाने के लिए लगने वाला खर्च नागरिकों को करना होगा
- रेती खरीदने वालों से ऑनलाइन भुगतान भी स्वीकार किया जाएगा। इसके लिए एक वेबसाईट बनाई जाएगी।
रेती माफियाओं पर लगेगी लगाम- राजस्व मंत्री
मंत्रालय में प्रदेश के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटील ने कहा कि हमें विश्वास है कि नई नीति से राज्य में रेती माफियाओं पर लगाम लग सकेगी। विखे-पाटील ने कहा कि नई नीति के तहत रेती की नीलामी बंद होगी। इससे रेती माफियाओं का हस्तक्षेप खत्म हो जाएगा। इससे पहले नीलामी एक हजार ब्रास की होती थी और अवैध तरीके से दस हजार ब्रास रेती लेकर चले जाते थे। इस कारण सरकार का राजस्व डूब रहा था। उन्होंने कहा कि नागरिकों को अबप्रति ब्रास 600 रुपए में रेती मिल सकेगी। फिलहाल बाजार में 8 हजार से 10 हजार रुपए प्रति ब्रास की दर पर रेती मिलती है। विखे-पाटील ने कहा कि सरकार ने बहुत ही कम दर पर रेती बेचने का फैसला किया है। इससे मुझे नहीं लगता है कि रेती की कालाबाजारी होगी। विखे-पाटील ने कहा कि सरकार को अभी रेती से 600 करोड़ रुपए का राजस्व मिल रहा था। लेकिन हमें अपेक्षा है कि सरकार का राजस्व बढ़ेगा।
Created On :   5 April 2023 9:33 PM IST