वाहनों के शीशों पर ब्लैक फिल्म : ट्रैफिक पुलिस का दोहरा रवैया, अफसरों को छूट, जनता पर कार्रवाई

people still using black film in Four Wheeler
वाहनों के शीशों पर ब्लैक फिल्म : ट्रैफिक पुलिस का दोहरा रवैया, अफसरों को छूट, जनता पर कार्रवाई
वाहनों के शीशों पर ब्लैक फिल्म : ट्रैफिक पुलिस का दोहरा रवैया, अफसरों को छूट, जनता पर कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट 1989 की धारा 100 (2) के तहत कारों के शीशों पर काली फिल्म लगाना प्रतिबंधित है। दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुए बहुचर्चित ‘निर्भया’ कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फोर व्हीलर में किसी भी तरह की काली फिल्म लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया। केवल वाहन निर्माताओं की ओर से लगाए गए कांच को ही मान्य किया गया था। शुरुआत में ट्रैफिक विभाग ने इन नियमों का पालन करते हुए खूब चालान बनाए और सख्ती भी की, मगर कुछ सालों बाद ही स्थिति पुराने ढर्रे पर लौट आई।

दैनिक भास्कर ने इस मामले में पड़ताल की तो आश्चर्यजनक स्थिति सामने आई। आम लोग तो दूर, शहर में तैनात जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसर भी इसका पालन पूरी तरह नहीं कर रहे हैं। इसमें ट्रैफिक विभाग का दोहरा चरित्र भी सामने आया, जो लगातार काली फिल्म लगी वाहनों पर कार्रवाई करने का दावा करता है, पर कभी भी अफसरों की गाड़ियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। इस पड़ताल में हमें काली फिल्म लगाए सैकड़ों वाहन दिखे, लेकिन खबर में हम केवल जिम्मेदार पदों पर बैठे कुछ अफसरों के वाहनों को ही ले रहे हैं, जिनके ऊपर नियमों का पालन करने की सबसे पहले जिम्मेदारी है।

यह है नियम
निर्भया कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 27 अप्रैल 2013 को फोर व्हीलर पर हर तरह की काली फिल्म पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। वाहन निर्माताओं की ओर से लगे कांच को ही मान्य किया। इसके पहले सेंट्रल मोटर व्हीकल्स  एक्ट 1989 की धारा 100 (2) के अनुसार, काले वाहनों में सामने और पीछे के शीशे में 70 फीसदी तक और खिड़कियों में 40 फीसदी तक पारदर्शिता होनी चाहिए।

प्रशासनिक परिसर में ही नियमों का पालन नहीं
शहर में अब भी धड़ल्ले से काली फिल्म लगे वाहन घूम रहे हैं। यहां तक कि नागपुर के अमूमन सभी सरकारी व गैर-सरकारी कार्यालय परिसर में अनेक वाहनों को धड़ल्ले से न्यायालयीन आदेश का उल्लंघन करते हुए देखा जा सकता है। यदि प्रशासनिक परिसर में ही यह आलम हो, तो शहर के अन्य सभी इलाकों में दौड़ने वाली कारों की स्थिति तथा प्रशासन की लापरवाही का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है, जबकि प्रशासन निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे एवं अन्य प्रकार की सुविधाओं पर लाखों रुपए खर्च कर रहा है।

शीघ्र ही चलाएंगे कार्रवाई अभियान
एस. चैतन्य, उपायुक्त, यातायात विभाग के मुताबिक काली फिल्म चढ़ी सभी वाहनों के खिलाफ शीघ्र ही कार्रवाई अभियान चलाया जाएगा। सरकारी वाहनों की भी जांच कराई जाएगी। यातायात के नियमों में किसी को छूट नहीं है। काली फिल्म की पारदर्शिता जांचने का कोई यंत्र उपलब्ध नहीं है, परंतु आसानी से विजिबिलिटी ज्ञात होती है। वर्ष 2016 में विभाग ने 3,754 तथा वर्ष 2017 में 6,138 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर जुर्माना वसूला है।
 

Created On :   17 Feb 2018 12:28 AM IST

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