32 दिन के आंदोलन के बाद भी एसीसी प्रबंधन टस से मस नहीं

PF theft case - even after 32 days of agitation, the ACC management is not bothered
32 दिन के आंदोलन के बाद भी एसीसी प्रबंधन टस से मस नहीं
पीएफ चोरी का मामला 32 दिन के आंदोलन के बाद भी एसीसी प्रबंधन टस से मस नहीं

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। पीएफ चोरी मामले में एसीसी चांदा सीमेंट कंपनी के विरोध में 27 जनवरी से सफेद झंडा कामगार संगठन के माध्यम से कामगारों के पीएफ चोरी व अन्य मांगों को लेकर काम बंद आंदोलन शुरू किया है। 32 दिन बीतने के बावजूद एसीसी प्रबंधन टस से मस नहीं हो रहा है। आंदोलन तोड़ने का प्रयास एसीसी मैनेजमेंट व कुछ राजनीतिक दलों ने किया, लेकिन कामगारों ने हिम्मत नहीं हारी। 

एसीसी कंपनी ने 18 कामगारों को निलंबित कर उन पर कार्रवाई शुरू की। दरम्यान ठेका कंपनी ने कामगारों की जांच पड़ताल के लिए जांच अधिकारी की नियुक्ति की है, जबकि जीआर इंजीनियरिंग को अस्थायी स्वरूप में काम दिया गया है। बता दें कि, न्यू पैकिंग हाउस का ठेका तिरूपति कन्स्ट्रक्शन कंपनी को मिला था, लेकिन इसी कंपनी ने पीएफ में घोटाला कर ठेकेदार रफूचक्कर हो गया। एसीसी कंपनी प्रबंधन की साठगांठ के बिना यह संभव नहीं था।

कामगारों ने बताया कि, एसीसी कंपनी के अधिकारी प्रफुल पाटील व ठेका कंपनी जीअार इंजीनियरिंग के सुपरवाइजर श्री कृष्णण थट्‌टाई पिल्लापक्कम द्वारा एक-एक कामगारों को कंपनी में अलग-अलग तारीख पर बुलाकर पहले उनका मोबाइल बंद कर बाजू में रखकर कामगारों की संपूर्ण तलाशी ली जा रही है। उसके बाद उन्हें धमकाते हुए कहते हैं कि आंदोलन क्यों कर रहे हो। उनसे माफीनामा लिखवाया जा रहा है। उन्हें काम से निकालने की धमकी देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप कामगारों ने लगाया है। 

ज्ञात हो कि, 21 फरवरी को नागपुर के भविष्य निर्वाह निधि कार्यालय के   कमिश्नर के साथ नागपुर में कंपनी के एचआर व सफेद झंडा कामगार संगठन के अध्यक्ष सुरेश पाईकराव की बैठक हुई थी। इस दौरान पीएफ चोरी की डिटेल्स दिखाई गई। तब कमिश्नर ने एसीसी कंपनी को आदेश देकर 7 मार्च तक सभी कामगारों के 2011 से दस्तावेज मांगे। ऐसे में जल्द से जल्द निलंबित कामगारों को काम पर नियुक्त नहीं किया तो तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी कामगारों ने दी है। 

 

कंपनी का पक्ष नहीं मिला

एसीसी कंपनी का पक्ष जानने के लिए प्लांट के डायरेक्टर अनिल गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन फोन नहीं उठाने से संपर्क नहीं हो पाया

ड्यूटी पर क्यों नहीं आ रहे, इसकी पूछताछ कर रहे हैं

ठेका एक माह का ही रहता है। फिर आगे किसको देना है यह कंपनी प्रबंधन निर्धारित करती है। वहीं जो हड़ताल शुरू है, उस संबंध में हमने जांच पड़ताल शुरू की है कि, कामगार काम पर क्यों नहीं आ रहे हैं। इसलिए हम कामगारों से पूछताछ कर रहे हैं। कामगारों को कुछ हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा, इस सवाल पर कहा कि, मैं इसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं।
एच.एन.दत्ता, प्रोप्राइटर, जीआर इंजीनियरिंग, नागपुर
 

Created On :   28 Feb 2022 5:23 PM IST

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