एमआरआई में खेल... पेंशेंट निजी क्लीनिक का, सरकारी अस्पताल की पर्ची बनाकर कर रहे जांच

एमआरआई में खेल... पेंशेंट निजी क्लीनिक का, सरकारी अस्पताल की पर्ची बनाकर कर रहे जांच
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की मिलीभगत, जिला अस्पताल के मरीज वेटिंग में, पहले निजी क्लीनिकों के मरीजों को प्राथमिकता एमआरआई में खेल... पेंशेंट निजी क्लीनिक का, सरकारी अस्पताल की पर्ची बनाकर कर रहे जांच


डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। एमआरआई की सुविधा के नाम पर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध जिला अस्पताल में बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। अस्पताल में भर्ती मरीजोंं को वेटिंग में रखकर डॉक्टरों द्वारा अपने निजी क्लीनिकों के मरीजों को पहली प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे में जिला अस्पताल के मरीजों को महानगरों की दौड़ लगानी पड़ रही है। सूत्र बताते हैं कि मेडिकल के डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक के मरीजों का जिला अस्पताल की ओपीडी और भर्ती पर्ची कटवाकर मुफ्त में एमआरआई करा रहे है।
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक 12 दिसम्बर 2020 से एमआरआई मशीन जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए शुरू की गई थी। अभी तक लगभग सात सौ मरीजों की एमआरआई जांच हो चुकी है। बड़ी बात यह है कि इनमें से लगभग 80 प्रतिशत मरीज ऐसे है जो कभी अस्पताल में भर्ती हुए ही नहीं। वे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों के निजी क्लीनिक के मरीज है। प्रबंधन द्वारा जांच कराई जाए तो कई मरीजों के भर्ती और इलाज संबंधित दस्तावेज वार्ड में नहीं मिलेंगे। इस संबंध में चर्चा के लिए मेडिकल कॉलेज डीन डॉ.जीबी रामटेके से फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
निजी क्लीनिक से चल रहा खेल-
अभी एमआरआई की सुविधा सिर्फ जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए शुरू की गई है। एमआरआई कराने मरीज को वार्ड से दिए जाने वाले फार्म में डॉक्टर, संबंधित विभाग के एचओडी और सीएस की साइन करानी होती है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर अपने निजी क्लीनिक में आने वाले मरीज से जिला अस्पताल की ओपीडी और आईपीडी पर्ची बुलवाते है और स्वयं फॉर्म में सील साइन कर मरीज को एमआरआई के लिए भेज देते है।
फर्जीवाड़े के पीछे मंशा क्या...
जिला अस्पताल में चल रहे इस फर्जीवाड़े के पीछे डॉक्टरों की मंशा निजी अस्पताल में मरीजों का इलाज कर मोटी रकम बिल के नाम पर वसूल करना है। निजी क्लीनिक में आने वाले ब्रेन, आर्थों समेत अन्य गंभीर समस्या से पीडि़त मरीजों के हितेषी बन यह डॉक्टर नि:शुल्क एमआरआई कराते है। गंभीर समस्या निकलने पर निजी अस्पताल में ऑपरेशन या अन्य इलाज देकर लाखों का बिल बना लिया जाता है। यदि यह मरीज नागपुर जाकर एमआरआई जांच कराता है तो वहीं ट्रीटमेंट भी कराएगा। ऐसे में स्थानीय डॉक्टर को आर्थिक नुकसान होता है। इस नुकसान से बचने वे सरकारी मशीनरी का पूरा फायदा उठा रहे है।  
रिपोर्टिंग की व्यवस्था बना रहा प्रबंधन-
अभी तक एमआरआई की रिपोर्टिंग कर रहे डॉक्टर के इंदौर जाने के बाद से एमआरआई नहीं की जा रही थी। अब मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा रेडियोलॉजिस्ट डॉ. शिपिंग जैन को एमआरआई रिपोर्टिंग की जवाबदारी सौंपी गई है। बताया जा रहा है कि 27 जनवरी से दोबारा एमआरआई शुरू की जाएगी।

Created On :   22 Jan 2022 10:18 PM IST

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