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भविष्य से खिलवाड़ : बी.कॉम के पेपर में 24 अंकों के प्रश्न गलत
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में गलतियां थमने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला बी.कॉम के पांचवें सेमिस्टर की परीक्षा में देखने को मिला है। विद्यार्थियों का आरोप है कि 11 नवंबर को संपन्न हुई पांचवें सेमिस्टर के फायनांशियल अकाउंटिंग-4 विषय के प्रश्नपत्र में कुल 24 अंकों के प्रश्न पत्र में टाइपिंग की गलतियां थी। प्रश्नपत्र में मूल्य गलत छप जाने से उसका उत्तर नहीं आ रहा था। विद्यार्थियों का आरोप है कि प्रश्न-पत्र के प्रश्न क्रमांक 4-सी (16 अंक), प्रश्न क्रमांक 5-ए अौर डी-(कुल 8 अंक) के प्रश्न ही गलत थे। परीक्षा के दौरान कुछ परीक्षा केंद्रों पर तो गलतियां सुधारी गईं, लेकिन कई परीक्षा केंद्रों पर विद्यार्थियों को वैसा ही पेपर हल करना पड़ा। इससे विद्यार्थियों का बड़ा नुकसान हुआ है। इस संबंध में गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के शिष्टमंडल ने विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ.प्रफुल्ल साबले से इसकी शिकायत की। महानगर मंत्री अमित पटले के नेतृत्व में शिष्टमंडल ने परीक्षा नियंत्रक को ज्ञापन सौंप कर दोषियों पर कार्रवाई करने और विद्यार्थियों को शैक्षणिक नुकसान से बचाने की मांग की है।
बता दें कि परीक्षा से जुड़ी गलतियां पूर्व मंे भी उजागर हो चुकी हैं। तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम की परीक्षा थी, जिसमें विद्यार्थियों को गलत नाम वाला प्रश्नपत्र दिया गया। विद्यार्थियों के अनुसार उनके पाठ्यक्रम में "क्रिमिनल प्रोसिजर कोड, प्रोबेशन ऑफेंडर्स एक्ट और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट' विषय था। मंगलवार को इसकी परीक्षा थी, लेकिन उनके हॉल टिकट और प्रश्नपत्र मंे इस नाम का पेपर था ही नहीं, वहां कोई दूसरा ही विषय छपा था। विद्यार्थियों के अनुसार उन्होंने जान-बूझ कर पर्यवेक्षक को इसकी जानकारी नहीं दी और समान प्रश्नों के आधार पर पेपर हल किया।
ग्रीष्मकालीन परीक्षा सत्र में भी ऐसा ही हुआ था। पांच वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम के चौथे सेमिस्टर के इकोनॉमिक्स विषय के पेपर मंे गलतियां होने की शिकायत विद्यार्थियों ने की थी। विद्यार्थियों का आरोप था कि इसमें प्रश्न क्रमाक 2-ब और प्रश्न क्रमांक 7 रिपीट हुआ। दोनों प्रश्नों में "देश में कृषि का महत्व' पूछा गया था। इसी तरह जो ऑॅब्जेक्टिव प्रश्न थे, वे इतने कठिन थे कि उन्हें हल करना विद्यार्थियों के बस की बात नहीं थी।
इसी तरह बी.ए- इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलिकम्युनिकेशन के पेपर में 35 से 40 अंकों के प्रश्न ऐसे थे जो किसी के समझ में नहीं आ रहे थे। पेपर एक तरह का "डेड अटेंप्ट' था, जिसे अधिकांश विद्यार्थी हल नहीं कर सके। पेपर के बाद उन्होंने अपने शिक्षकों को प्रश्नपत्र दिखाया तो अनेक प्रश्न "आउट ऑफ सिलेबस' होने की बात सामने आई थी। इसके बाद विवि ने इस विषय की दोबारा परीक्षा ली थी। विवि अधिकारी अपनी गलती से सबक सीखते नजर नहीं आ रहे हैं।
Created On :   8 Dec 2019 6:11 PM IST