ढील दे दे-दे दे रे भैया... मकर संक्रांति पर आसमान में दिखे मोदी और राहुल के बीच पेंच

Political kites in Sky on occasion of makar sankranti festival
ढील दे दे-दे दे रे भैया... मकर संक्रांति पर आसमान में दिखे मोदी और राहुल के बीच पेंच
ढील दे दे-दे दे रे भैया... मकर संक्रांति पर आसमान में दिखे मोदी और राहुल के बीच पेंच

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मकर संक्रांति पर मनाए जाने वाले पतंगोत्सव के लिए दिल्ली, कानपुर, बरेली, अहमदाबाद, कोलकाता से ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान तक से पतंग लाए गए हैं। तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय होने से राहुल गांधी का रंग पतंगों पर चढ़ चुका है। उनकी तस्वीरों वाली पतंगें भी बाजार मिल रही हैं। हालांकि किसमें कितना है दम पूछ रहीं हैं पतंगें, जिस पर राहुल और मोदी की तस्वीरें लगी हैं, काफी मांग में हैं। इस वर्ष पतंगों पर नेताओं और फिल्मी सितारों की तस्वीरों से सजे पतंग के साथ-साथ विशालकाय पतंग भी बाजार में हैं।

इतवारी के गुड्डू पतंग वाले के अनुसार आमतौर पर सबसे ज्यादा 21.2 इंच की पतंगें सबसे ज्यादा बिकती हैं, लेकिन पतंगबाजी के शौकीन विशालकाय पतंगों की मांग भी करते हैं। उनके लिए बाजार में 5 फीट से ज्यादा बड़ी पतंगें उपलब्ध हैं। बच्चों में कार्टून कैरक्टर वाली पतंगों की मांग ज्यादा है। इस बार बाजार में चमकीली ब्लिंग पतंगें भी काफी लोकप्रिय हो रही हैं। इन पतंगों पर राफेल का मुद्दा भी छाया हुआ है।

नायलॉन मांजा पर प्रतिबंध बेअसर
2006 में आया नायलॉन मांजा साल दर साल पतंगबाजों को अपनी गिरफ्त में ले चुका है। 2011 में उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद लोग इसे खरीद रहे हैं और पतंग उड़ाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि व्यापारी वर्ग इसमें कमी आने की बात करते हैं। दूसरी तरफ पतंगबाजों को कहना है कि सादी डोर से पतंग उड़ाने में वह मजा नहीं है, जो नायलॉन मांजा में है। प्रतिबंध जल्दबाजी में लगाया गया है। देसी तरीके से कांच चढ़ा मांजा बनाने में पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। नागपुर में नायलॉन मांजा का सबसे बड़ा बाजार इतवारी और जूनी शुक्रवारी में है। यहां दिल्ली और नोएडा से ट्रकों से माल आता है। इस वर्ष नायलॉन मांजे का भाव 400 रुपए प्रति किग्रा से शुरू है। त्योहार तक इसके 800 से 1000 रुपए प्रति किग्रा पहुंचने की संभावना है। 

सावधानी जरूरी
पतंगबाजी के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं से बचने कुछ सावधनियां जरूरी हैं। खासकर छत पर पतंगबाजी करने वालों को सावधानी रखनी चाहिए। जरा सी लापरवाही से छत से गिरने जैसी दुर्घटनाएं होती हैं। दूसरी ओर बच्चे पतंग निकालने के दौरान बिजली के तारों के संपर्क में आ जाते हैं। इसलिए बच्चों के प्रति माता-पिता अतिरिक्त सावधानी बरतें। सामाजिक कार्यकर्ता ज्योत्सना पाटील पतंगबाजी के दौरान नायलॉन के धागे का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हुए कहती हैं, इससे हाथ कटने के साथ-साथ कई लोगों की जान पर खतरा बनता है। पक्षियों को भी नुकसान पहुंचता है। छत पर पतंगबाजी करने के दौरान गिरने की आशंका बनी रहती है। लोग छतों पर डीजे आदि लगा लेते हैं। इस तरह की आवाज और पतंगबाजी के जुनून में कई बार यह ध्यान नहीं रहता है। पतंगबाजी के दौरान बिजली के तार पर पतंग अटक जाने से बच्चे उसे निकालने का प्रयास करते हैं। इस दौरान कई बार लोहे की छड़ या ऐसी गीली लकड़ी का उपयोग कर लेते हैं, जिससे करंट लगने की स्थिति बन जाती है। 

महंगाई से दुकानदार परेशान, पतंग पर 5 प्रतिशत जीएसटी
दुकानदारों का कहना है कि पतंगों पर जीएसटी लगने से कीमत बढ़ गई है। पतंग के कारोबार से जुड़े गुलाब सिंह जागिड़ का कहना है कि इस वर्ष पतंग से जुड़े कारोबार में कमी आई है। अब तक शहर में 5 से 6 करोड़ का कारोबार हो चुका है। हालांकि अब भी सोमवार को कारोबार की उम्मीद है। पिछले वर्ष 8 करोड़ का कारोबार हुआ था। दूसरी तरफ पतंग उड़ाने वालों का कहना है कि महंगाई भले ही बढ़ी है, लेकिन त्योहार तो मनाना ही है। पांच की जगह एक ही पतंग खरीदेंगे। पतंग विक्रेता गुड्डू ने बताया कि पतंग पर 5 प्रतिशत जीएसटी है। जीएसटी पिछले साल भी था, पर इस बार धंधा और मंदा है। पॉलिथीन बैन होने से पेपर और कपड़े की पतंगें बाजार में बिक रही हैं। इनमें कपड़ों के पतंगों की भी खूब मांग हो रही है।

 

Created On :   14 Jan 2019 6:21 PM IST

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