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शहर पर प्रदूषण का साया, निर्माण कार्य से लोग परेशान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विकास की ओर बढ़े कदम से लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है। रेस्पिरेबल ससपेंडेड पार्टिक्युलेट मैटर (RSPM ) के आंकड़ों से यह साफ जाहिर होता है कि शहर इन दिनों पॉल्यूशन के खतरे से जूझ रहा है। शहर का विकास बनाए रखने में निरंतरता बेहद जरूरी है, लेकिन कल के सुख की लालसा में नागरिक आज धूल-कणों को खतरनाक ढंग से सांसों के माध्यम से लेने पर मजबूर हो रहे हैं। सीमेंट सड़क का निर्माण कार्य हो या फिर मेट्रो का चल रहा काम, यहां यातायात की मुश्किलों को छोड़ भी दें तो भी परिसर के वातावरण में धूल-कण का प्रमाण लगातार खतरनाक स्तर को छू रहा है।
सिविल लाइन्स में सितंबर माह में RSPM का औसत स्तर 51 पाया जा रहा था, वहीं इसी महीने में अंबाझरी मार्ग पर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स का औसत स्तर करीब दो गुना 108 रहा है। वहीं औसत स्तर 116 पाया गया। ये आंकड़े अपने आप में ही इस बात के गवाह हैं कि निर्माण कार्य इलाकों का RSPM स्तर सिविल लाइन के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
इन स्थलों पर प्रदूषण मापक यंत्र नहीं
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल की आधिकारिक वेबसाइट में इस बढ़े हुए प्रदूषण के स्तर के फर्क को साफ समझा जा सकता है। सोडियम डायऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर तो नियंत्रित दिखाई देता है, लेकिन हवा में घुले RSPM का स्तर मंडल खतरे के निशान पर जा पहुंचा है। मंडल द्वारा शहर के छह प्रमुख स्थानों पर प्रदूषण के स्तर को नापा जाता है। अंबाझरी मार्ग स्थित एमआईडीसी कार्यालय में लगे प्रदूषण मापक यंत्र के आंकड़ों पर RSPM के बढ़े प्रमाण दिखाई दे रहे हैं। केवल यही नहीं, सीमेंट रोड के चल रहे विभिन्न स्थलों पर कामकाज के चलते भी स्थिति कमोबेश यही है, लेकिन इन स्थलों पर प्रदूषण मापन यंत्र नहीं होने से इसके स्तर का पता नहीं चल पाता, जबकि सांसों में यह मेट्रो के निर्माण स्थलों के मुकाबले कहीं ज्यादा घातक साबित हो रहा है।
महामेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, परियोजना निदेशक महेश कुमार का कहना है कि हमारे निर्माण कार्य स्थलों पर लगाए गए बैरिकेड्स की ऊंचाई ऐसी रखी गई है, जिससे धूल-कण आदि हवा में घुलकर राहगीरों को परेशान नहीं करते। खुदाई में कीचड़ निकलता है, जिससे प्रदूषण नहीं होता और तोड़-फोड़ का काम नहीं चल ही नहीं, जिससे धूल कण निकलता हो। साथ ही हर स्टेशन के निर्माण कार्य स्थल पर वायु गुणवत्ता मापी जाती है।
Created On :   16 Nov 2017 6:07 PM IST