इकबाल मिर्ची की कथित संपत्ति खरीदने के मामले में प्रफुल्ल की मुश्किल बढ़ी

Prafullas difficulty increases in buying Iqbal Mirchis alleged property
इकबाल मिर्ची की कथित संपत्ति खरीदने के मामले में प्रफुल्ल की मुश्किल बढ़ी
इकबाल मिर्ची की कथित संपत्ति खरीदने के मामले में प्रफुल्ल की मुश्किल बढ़ी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के बाद अब राकांपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल भी मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं। पटेल पर माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम के करीबी रहे इकबाल मिर्ची को पैसे अवैध रूप से विदेश भेजने में मदद देने का शक है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की छानबीन कर रहा है। बता दें कि 1993 बम धमाकों के आरोपी मिर्ची की साल 2013 में लंदन में मौत हो गई थी। हालांकि पार्टी ने बयान जारी कर आरोपों को गलत और आधारहीन बताया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक पटेल ने साल 2005 में मुंबई के वरली इलाके में स्थित मिर्ची की स्वामित्ववाली जगह खरीदकर उस पर सीजे नाम की इमारत बनाई थी। इसके लिए मिर्ची को भुगतान कैसे किया गया इसकी छानबीन जांच एजेंसी कर रही है। दरअसल ईडी ने दाऊद गिरोह से जुड़े दो आरोपियों हारुन यूसुफ और रंजीत सिंह बिंद्रा को गिरफ्तार किया था। दोनों पर इकबाल मिर्ची की संपत्तियों की खरीद बिक्री में शामिल होने का आरोप है। ईडी ने मुंबई और आसपास के इलाकों में कई ऐसी संपत्तियां चिन्हित की हैं जो दाऊद और मिर्ची से जुड़ी हुई हैं। इस संपत्तियों में सीजे हाऊस, खंडाला में बंगला और छह एकड़ जमीन, वरली में साहिल बंगला, समंदर महल, भायखला में न्यू रोशन टॉकीज, क्राफर्ड मार्केट में तीन दुकानें, पांचगनी में मीनाज होटल शामिल है। इकबाल मिर्ची की पत्नी, बच्चों और दूसरे रिश्तेदारों की इन संपत्तियों की कीमत 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है। ईडी सूत्रों के मुताबिक वरली इलाके में स्थित मिर्ची की संपत्ति प्रफुल्ल पटेल की स्वामित्व वाली मिलेनियम डेवलपर्स प्रायवेट लिमिटेड और सबलिंक रियल्टर्स प्रायवेट लिमिटेड को बेंची गईं। इसके भुगतान के लिए चेन्नई में खोले गए फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया। इस मामले में ईडी कई जगहों पर छानबीन और 18 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। बता दें कि मौत से पहले इकबाल मिर्ची का नाम दुनिया के 10 सबसे बड़े नशे से सौदागरों में शामिल था। 

राकांपा की सफाई

मामले में राकांपा की ओर से सफाई दी गई है कि सीजे हाउस जिस जमीन पर बनाया गया है वह ग्वालियर के महाराजा से खरीदी गई है। मालिकों के बीच विवाद के चलते संपत्ति साल 1978 से 2005 तक कानूनी पचड़े में फंसी थी। मामले में सभी दस्तावेज और अदालत के आदेश उपलब्ध हैं। जिस शख्स का नाम लिया जा रहा है वह सीजे हाउस पर उनका मालिकाना हक नहीं है।  
 

Created On :   13 Oct 2019 8:57 AM GMT

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