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मचान निरीक्षण में ग्रामीणों को प्राथमिकता,बनाएंगे बेहतर खबरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मचान निरीक्षण में इस बार ग्रामीणों को प्राथमिकता देते हुे बेहतर खबर बनाने का प्रयास किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में पानी पीने आनेवाले वन्यजीवों की गणना अब पूरी तरह से बंद कर दी गई है। इस बार वन्यजीवों का निरीक्षण किया जानेवाला है और इसमें भी कमर्शियल को बढ़ावा नहीं देते हुए गांववालों को प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि गांव के निवासी जंगल प्रेमी बन सकें व भविष्य में होनेवाली अनहोनी में वन विभाग के साथ खड़े रहें। हालांकि राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से 40 प्रतिशत शहर निवासियों को मचान निरीक्षण में शामिल किया जाएगा। 30 अप्रैल को मचान निरीक्षण होनेवाला है।
जंगल से अपनापन बढ़ाने की कवायद
विदर्भ में पेंच, ताड़ोबा, बोर, मेलघाट जैसे जंगल क्षेत्र हैं, जहां बड़ी संख्या में वन्यजीव रहते हैं। इसमें बाघों का भी समावेश हैं। गत वर्ष तक इसे मचान गणना नाम दिया गया था। इसका मूल उद्देश्य यह था कि जंगल क्षेत्र में कितने और कौन से प्राणी मौजूद है, इसकी गणना सही ढंग से की जा सके। कुछ समय बाद गणना की इस प्रक्रिया को अविश्वसनीय करार दिया गया। बावजूद इसके यही प्रक्रिया शुरू थी। अब वरिष्ठ अधिकारियों ने मचान निरीक्षण का मन बनाया है। इसमें कमर्शियल पार्ट केवल 40 प्रतिशत रहेगा। बाकी 60 प्रतिशत गांववालों के लिए नि:शुल्क रहेगा। वन्य जानकारों के अनुसार, उक्त जंगल जिन गांव से लगे हैं, उन गांव के निवासियों को अब जंगल के प्रति अपनापन नहीं रहा है। अपनापन फिर से बहाल करने के लिए नई पहल की जानेवाली है। मचान निरीक्षण के दौरान गांव के कुछ निवासी रात में पानी पीने के लिए आने वाले प्राणियों का निरीक्षण करेंगे। वन विभाग का मानना है कि इस तरह के नए प्रयोग से गांव वाले वन विभाग के खबरी बन सकते हैं।
मचान निरीक्षण का मतलब यह
पूर्णिमा को चांद के उजाले में दूर तक देखा जा सकता है। जंगल के पास वाले खेत में इस तरह से मचान बनाई जाती है कि जंगल में पानी का मुख्य स्रोत आसानी से दिखाई दे सके। रात भर मचान पर बैठकर वन्यजीवों का निरीक्षण किया जाता है।
Created On :   10 April 2018 11:29 AM IST