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सॉफ्टवेयर से नकल रोकने की तैयारी, इंजीनियरिंग कॉलेजों में सर्कुलर जारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अखिल भारतीय तंत्र शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने साफ्टवेयर की मदद से इंजीनियरिंग छआत्रों की नकल पकड़ने की तैयारी की है। एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग कॉलेजों को उनके यहां होने वाले रिसर्च और डेवलपमेंट कार्य के लिए एंटी-प्लैगेरिजम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के आदेश दिए हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों में पाठ्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को कई तरह के प्रोजेक्ट तैयार करने पड़ते हैं। वहीं रिसर्च कार्य से जुड़े थीसिस भी तैयार करने पड़ते हैं। कई बार मेहनत से बचने के लिए कई विद्यार्थी काॅपी पेस्ट का सहारा भी लेते हैं। ऐसे में इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले रिसर्च और अन्य प्रोजेक्ट की गुणवत्ता पर इसका असर देखा जा रहा था। साथ ही एआईसीटीई को भी इस दिशा में अनेक शिकायतें मिल रही थीं। ऐसे में परिणाम स्वरूप एआईसीटीई ने सॉफ्टवेयर की मदद से प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का निर्णय लिया है। उन्होंने सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को इस दिशा में परिपत्रक भी जारी किया है।
नकल पकड़ाई, तो रिसर्च भी होगा रद्द : एआईसीटीई के निर्णय के अनुसार अगर किसी विद्यार्थी या शोधार्थी के शोध प्रबंध में नकल या कॉपी पेस्ट का प्रमाण तय सीमा से ज्यादा पाया गया तो उस पर कड़ी कार्रवाई होगी। शोधार्थी की रिसर्च भी रद्द की जा सकती है। एआईसीटीइ मान रहा है कि उनके इन उपायों से इंजीनियरिंग की शोध प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आएगी।
कुछ इस तरह काम करेगी प्रणाली: दरअसल इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को थीसिस, डेजर्टेशन, टर्म पेपर्स और अन्य रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है। हालांकि विद्यार्थी अपने संस्थान में यह कार्य स्वयं का होने का शपथपत्र भी जोड़ते हैं। इसके बावजूद कई बार विद्यार्थियों के शोधकार्य में किसी अन्य शोध प्रबंध का समावेश देखने को मिलता है। एंटी प्लैगेरिजम सॉफ्टवेयर की मदद से शोध प्रबंध की सॉफ्टकॉपी उसमें अपलोड करते ही शब्द-बा-शब्द उसकी स्कैनिंग होगी। साथ ही सॉफ्टवेयर में शोधप्रबंध कितना कॉपी किया गया है, इसका प्रतिशत भी दिखाया जाएगा। बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी बीते दिनों ऐसा ही तरीका पीएचडी शोध प्रबंधों में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए अपनाया था। अब एआईसीटीई ने भी इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए यह प्रक्रिया लागू की है।
Created On :   30 Dec 2017 12:25 PM IST