तेंदुआ की ट्रैकिंग के लिए टीम करें तैयार
डिजिटल डेस्क, संग्रामपुर पातुर्डा बु. टेक्नॉलॉजी बहुत आगे गई हैं, हम सभी की ट्रैकिंग कर सकते हैं एवं कर रहे है, उस नुसार तेंदुए का ट्रैकिंग करने के लिए एक टीम तैयार करें, जिस कारण हम तेंदुए की संख्या गिन सकते है। वह ट्रैकींग चीप एवं सीम से हो सकती है। इसलिए हमे पता चलेगा की तेंदुए शहर परिसर में हैं कि, ग्रामीण परिसर में है कि आदि किसी जगह है। उनकी संख्या यह हम गिन सकेंगे। ऐसा मत एवं सूचना जलगांव जामोद चुनाव क्षेत्र के विधायक डा संजय श्रीराम कुटे ने १६ मार्च के बजट अधिवेशन में बताया। तेंदूए यह विषय बहुत गंभीर हैं, तेंदूए ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण परिसर में नजर आते हैं एवं यह महाराष्ट्र में बहुत गंभीर विषय है। किसी हादसे में तेंदूए की मौत हुई कानून से बहुत कुछ कुछ होता है। लेकिन मनुष्य के जान का क्या, कोई किसान तेंदूए के हमले में मारा गया तो हम उसके जान की किमत लगाते हैं। उसके परिवार को कुछ मदद स्वरूप में पैसे देते हैं एवं विषय खत्म कर देते है। लेकिन उस परिवार का मुख्य व्यक्ति चला जाता हैं। उसी तरह तेंदूए का प्रमाण विविध हैं, अलग-अलग जिले में हैं, पूरे महाराष्ट्र में दो या तीन जगह हम सफारी पार्क तैयार करें एवं वे सरंक्षित करें, पूरे महाराष्ट्र में आदि जगह परेशानी होगी नहीं।
वन विभाग के अधिकार एवं कर्मचारी यह उस वन विभाग के मालिक जैसे व्यवहार करते हैं, लेकिन वे मालिक नहीं ऐसा मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने ही बताया था। तो संरक्षक हैं, यह उन्हें समजना चाहिए, क्योंकि हम उस वन विभाग में रास्ते एवं आदि बाबी करने गए तो वे उस उस कारण से रास्ते एवं आदि विकास के बाबी करने देते नहीं, तथा ऐसा किसी भी तरह का जीआर एवं कानून में नहीं, इस लिए उन्होंने संरक्षक की भूमिका संपन्न कर बिचार करें एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसे एवं कितना अच्छा बढ़ते आएगा, कम समय में हमे एवं कर्मचारी अधिकारी को पहुंचते आएगे, वैसे सुचना आप उन्हें देंगे क्या, ऐसा सवाल विधायक कुटे ने इस समय किया।
इस समय वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया कि, रास्ते के बाबत भारत सरकार का एफसीआय एकटं हैं, वह १९८० में हुआ हैं, उस कानून के चौकट में हमे काम करना होता हैं तथा दूसरा ऐसा कि, सण २००० में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्णय दिए हैं। उस निर्णय एवं निर्देश अनुसार काम करना होता हैं। कानून बाह्य बरताव वन अधिकारी को भी करते आता नहीं एवं देश के किसी भी बड़े पद पर होनेवाले व्यक्ति को भी करते आता नहीं एवं जो कोई वन अधिकारी रास्ते के बाबत कानून का उल्लंघन करता होगा तो उसकी शिकायत दें, उस शिकायत की दखल लेकर लेखी स्वरूप में जवाब दिया जाएगा।
Created On :   19 March 2023 6:17 PM IST