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महाराष्ट्र में तीसरी बार है राष्ट्रपति शासन, जानिए इससे पहले कब कब लगा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बीते 21 नवंबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के 20 दिनों बाद भी राज्य में सरकार न बन पाने के चलते आखिरकार मंगलवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी। महाराष्ट्र में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा है। जबकि देश में अब तक विभिन्न राज्यों में 125 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत सौपा था लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच शुरु हुई खींचतान के चलते 20 दिनों बाद भी सरकार नहीं बन सकी। विधानसभा में सबसे बड़े दल भाजपा (105 सीट) के सरकार बनाने से इंकार के बाद राज्यपाल ने दूसरे क्रमांक के दल शिवसेना (56 सीट) और फिर तीसरे क्रमांक के दल राकांपा (54) को सरकार बनाने के लिए आंमत्रित किया लेकिन पर्याप्त संख्या बल के अभाव मे दोनों दल सरकार नहीं बना सके। आखिरकार राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी।
कब-कब लगा राष्ट्रपति शासन
इसके पहले भी महाराष्ट्र में दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है। अब यह तीसरा मौका होगा जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होगा।
पहली बार
महाराष्ट्र में पहली बार 17 फरवरी 1980 को लागू राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। उस वक्त शरद पवार मुख्यमंत्री थे। उनके पास बहुमत था, हालांकि राजनीतिक हालात बिगड़ने पर विधानसभा भंग कर दी गई थी। ऐसे में 17 फरवरी 1980 से 8 जून 1980 तक करीब 112 दिन तक राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा था।
दूसरी बार
28 सितंबर 2014 को महाराष्ट्र में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। उस वक्त राज्य में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की सरकार थी और कांग्रेस के पृथ्वीराज चव्हाण राज्य के मुख्यमंत्री थे। विधानसभा चुनाव समीप थे। ऐसी स्थिति में राज्य के तत्कालिन उपमुख्यमंत्री व राकांपा नेता अजित पवार से विवाद के बाद राकांपा ने कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उसके बाद विधानसभा भंग कर दी गई थी। 28 सितंबर 2014 से लेकर 30 अक्तूबर यानी 32 दिनों तक राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू रहा। उस वक्त राष्ट्रपति शासन में ही विधानसभा चुनाव हुए थे और चुनाव बाद राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार बनी थी।
क्या है राष्ट्रपति शासन, कैसे होता है लागू
राष्ट्रपति शासन का अर्थ है, किसी राज्य का नियंत्रण भारत के राष्ट्रपति के पास चला जाना। लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से केंद्र सरकार इसके लिए राज्य के राज्यपाल को कार्यकारी अधिकार प्रदान करती है। संविधान के अनुच्छेद 352, 356 और 365 में राष्ट्रपति शासन से जुड़े प्रावधान दिए गए हैं।
अनुच्छेद 356 के अनुसार राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं यदि वे इस बात से संतुष्ट हों कि राज्य सरकार संविधान के मुताबिक काम नहीं कर रही है। अनुच्छेद 365 अनुसार राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए संवैधानिक निर्देशों का पालन नहीं करती तो उस हालात में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने केन्द्र की सिफारिश को दी मंजूरी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य की मौजूदा हालत की रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी थी, जिसमें कहा था कि संविधान के मुताबिक राज्य में सरकार नहीं बन सकती है। राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर चल रही खींचतान के बीच आनन-फानन में मोदी मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई जिसमें राज्यपाल की सिफारिश को मानते हुए मंजूरी के लिए फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रपति ने राज्य में संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही वहां की विधानसभा निलंबित अवस्था में आ गई है। इस दरम्यान यदि कोई भी पार्टी गठबंधन के साथ जादूई आंकड़े तक पहुंचती है तो उसे वहां सरकार बनाने का मौका मिल सकता है।
Created On :   12 Nov 2019 7:42 PM IST