- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- नौकरी के लिए क्रूरता से जांचे गए...
नौकरी के लिए क्रूरता से जांचे गए महिलाओं के प्राइवेट पार्ट, लाभ पाने झेलनी पड़ी असहनीय पीड़ा

डिजिटल डेस्क,नागपुर। नौकरी के लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं के प्राइवेट की क्रूरता से जांच की गई। जिससे कुछ को जलन तो कुछ को ब्लीडिंग जैसी पीड़ा सहनी पड़ी। राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी सेविका-सहायिकाओं की सेवानिवृत्ति की उम्र पुन: 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी है, लेकिन इसका लाभ ले पाना उनके लिए जी का जंजाल बन गया है।
दरअसल सेवावृद्धि का लाभ लेने के लिए बुजुर्ग आंगनवाड़ी सेविका-सहायिकाओं को अमानवीय फिटनेस टेस्ट से गुजरना पड़ रहा है। मेयो अस्पताल में महिलाओं के प्राइवेट पार्ट की क्रूरता से जांच किए जाने के कारण कुछ को ब्लीडिंग जैसी समस्या का सामना करना पड़ा। वहीं, कुछ महिलाओं का चलना व उठना-बैठना तक मुश्किल हो गया है। जबकि उन्हें सर्टिफिकेट ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन व शुगर संबंधी जांचों का दिया जा रहा है। इससे इस तरह के मेडिकल टेस्ट के औचित्य पर ही सवाल उठ गए हैं। जब टेस्ट बीपी, हीमोग्लोबिन व शुगर का होना है तो अंदरूनी अंगों की जांच करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
इस सवाल का जवाब पाने के लिए जब मेयो हॉस्पिटल के डीन और स्त्रीरोग विभाग के प्रमुख से बात की, लेकिन वे भी यह नहीं बता पाए कि इस तरह की जांच क्यों की गई। उनका कहना था कि जब आंगनवाड़ी कर्मियों को बीपी, शुगर की ही जांच करानी थी तो वे स्त्री रोग विभाग गईं ही क्यों। जबकि आंगनवाड़ी कर्मियों का कहना है कि हमें जहां बताया गया, वहीं गए। महिलाओं की मानें तो उनके छाती का एक्स-रे, एचआईवी एवं सर्वाइकल कैंसर जैसे टेस्ट किए जा रहे हैं।
"तो नौकरी से हाथ धो बैठोगी"
आंगनवाड़ी सहायिका एवं सेविकाओं को टेस्ट कराने के आदेश जल्दबाजी में दिए गए। उन्हें कहा गया कि जल्द टेस्ट नहीं कराया तो वे नौकरी से हाथ धो बैठेंगी। जबकि फिटनेस सर्टिफिकेट जमा करने की अंतिम तिथि 31 जनवरी है। इसी जल्दबाजी में रामटेक से आई एक सेविका का गिरने की वजह से सिर फट गया। नागपुर जिले में ये टेस्ट मेडिकल, मेयो व ग्रामीण के अन्य अस्पतालों में होने वाले थे, लेकिन आंगनवाड़ी कर्मी फिलहाल पूर्ण रूप से मेयो अस्पताल पर ही निर्भर हैं क्योंकि अन्य अस्पतालों में चक्कर लगा-लगाकर वे थक चुकी हैं।
400 रुपए जांच फीस भी ली
टेस्ट के लिए जारी जीआर व फिटनेस परीक्षण के लिए सेविकाओं को दिए जाने वाले पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा है कि उन्हें इसके लिए किसी भी प्रकार की राशि अदा नहीं करना होगी, लेकिन मेयो अस्पताल में उनसे 400 रु. लिए जा रहे हैं। जबकि इन महिलाओं के पास बीपीएल कार्ड भी है। जब महिलाओं ने टेस्ट की फीस को लेकर मेयो अस्पताल के डीन से बात की तो जवाब मिला कि 5 साल की नौकरी बचाने के लिए 400 रु. भरने में क्या बुराई है। हम किसी प्रकार के ऑर्डर को नहीं मानेंगे।
गुहार भी नहीं सुनी
मैं पिछले 40 वर्ष से आंगनवाड़ी में कार्यरत हूं। मेरे पैरों में दिक्कत है। ठीक से चल नहीं पाती हूं। मैं सीडीपीओ ऑफिस गई। वहां मैंने उनसे निवेदन किया कि फरवरी में मेरा रिटायरमेंट है तो मेरा टेस्ट न करें पर वे नहीं माने। मेयो हॉस्पिटल में टेस्ट कराने के बाद अब मुझे इतनी तकलीफ है कि मैं ठीक से बैठ तक नहीं पा रही हूं।
-ऊषा, आंगनवाड़ी सेविका (परिवर्तित नाम)
किसी सजा से कम नहीं
ये टेस्ट हमारे लिए सजा के समान है। मुझे और कई महिलाओं को पेशाब में जलन एवं अन्य असहनीय समस्याएं हो रही हैं। गुप्तांगों को क्रूरता से छुआ गया, जो सरासर गलत है। हमें सर्टिफिकेट हीमाग्लोबिन, बीपी व शुगर जांच के दिए गए। अब हमें इस मामले पर किसी से बात नहीं करने के लिए कहा जा रहा है।
-रागिनी, आंगनवाड़ी सेविका (परिवर्तित नाम)
डीन ने नहीं दिया कोई स्पष्ट जवाब
हमने इस संबंध में मेयो हॉस्पिटल के डीन से बात की। उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। आंगनवाड़ी में भर्ती के समय भी फिटनेस टेस्ट होता है, लेकिन ऐसी कोई जांच नहीं होती। वृद्ध सेविका व सहायिकाएं बेहद परेशान हो रही हैं। हमें उन्हें संभालने में दिक्कत आ रही है।
-चंदा मींडे, सचिव,आंगनवाड़ी एसोसिएशन
अन्य जांच क्यों की, पूछताछ होगी
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के संगठन के कुछ पदाधिकारी आए थे और उन्होंने फीस न लेने के लिए कहा था। हमनें उन्हें बताया कि फीस नियमानुसार ली जाती है। सरकार के नियम में यदि रियायत का प्रावधान है तो वह आपको दी जाएगी। बीपी, शुगर व हीमोग्लोबिन के अलावा अन्य जांच क्यों की गई, इसके बारे में संबंधित विभागों से पूछकर ही बता पाएंगे।
- डॉ.अजय केवलिया, डीन, मेयो अस्पताल
पूरे फिटनेस की ऐसे ही होती है जांच
यदि महिलाओं को बीपी, शुगर का सर्टिफिकेट ही चाहिए था तो वे स्त्री रोग विभाग गईं क्यों? वहां तो पूरे फिटनेस की ऐसे ही जांच होती है। आंगनवाड़ी कर्मियों द्वारा जो टेस्ट बताए जा रहे हैं, वे सामान्यतया बीपी, शुगर और हीमोग्लोबिन की जांच में नहीं किए जाते। जांच संबंधी आदेश क्या था, इसमें क्या जांच करनी थी, इसके बारे में शुक्रवार को पूछताछ करके ही बता पाऊंगा।
-डॉ.प्रशांत उईके, विभाग प्रमुख, स्त्री एवं प्रसूति रोग, मेयो अस्पताल
Created On :   4 Jan 2019 1:07 PM IST