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डेढ़ गुने दामों पर की गई खरीद - हर्रई नगर पंचायत का मामला , जांच में हुआ खुलासा

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। हर्रई नगर पंचायत में हुई खरीदी में बड़ा खुलासा हुआ है। कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा को सौंपी गई रिपोर्ट में जांच अधिकारियों ने 50 फीसदी अधिक दामों में उपकरणों की खरीदी करना पाया है। जेम के माध्यम से हुई इस खरीदी में छतरपुर की दो फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए हर्रई नगर परिषद की सीएमओ ने नियमों को ताक पर रख दिया। अब जांच अधिकारियों ने सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
अक्टूबर में हर्रई नगर परिषद में उपकरणों की खरीदी की गई थी। इस खरीदी के बाद से ही यहां बवाल मचा हुआ है। स्थानीय स्तर पर शिकायत के बाद जब अधिकारियों ने जांच की तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया। जांच अधिकारियों ने पाया कि हर्रई नगर परिषद की सीएमओ शीतल भलावी पूर्व में नगर परिषद लवकुश नगर जिला छतरपुर में पदस्थ रही थी। हर्रई में जो खरीदी सीएमओ द्वारा करवाई गई। वो खरीदी छतरपुर की ही मानवी ट्रेडर्स और आकृति ट्रेडर्स से की गई थी। हालांकि खरीदी जेम के माध्यम से की गई लेकिन उपकरणों की खरीदी जिन फर्मों से खरीदी गई, उन फर्मों ने मार्केट रेट से 50 प्रतिशत अधिक दामों में ये सामान हर्रई नगर परिषद को सप्लाई कर दिया। अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट में जिक्र किया है कि इस खरीदी में बड़ा लेन-देन किया गया है।
बिना आंकलन किए खरीद लिए उपकरण
अधिकारियों की जांच में ये बात भी सामने आई है कि बिना आंकलन किए हर्रई सीएमओ द्वारा उपकरणों की खरीदी कर ली गई है। स्थानीय डीलरों और डिस्ट्रीव्यूटरों से उक्त सामग्री का आंकलन नहीं किया गया। क्रय की गई सभी सामग्रियों की दरें जिले के स्थानीय डीलर और डिस्ट्रीव्यूटरों की दरों से कई गुना अधिक पाई गई है।
शिकायत हुई तो निकाय के खाते में वापस आई राशि
जांच अधिकारियों ने ये भी पाया कि खरीदी के बाद क्रय सामग्री के 27 लाख 71 हजार 924 रुपए अधिकारियों द्वारा 17 अक्टूबर को मानवी ट्रेडर्स को भुगतान कर दिया गया, लेकिन जब शिकायत हुई और मामला अखबारों की सुर्खियां बना तो 29 अक्टूबर को मानवी ट्रेडर्स द्वारा 50 हजार 55 रुपए निकाय के खाते में जमा कराए गए।
और क्या मिला गड़बडिय़ों में...
- 20 अक्टूबर को हर्रई नगर परिषद की बैठक में विद्युतीकरण की सामग्री क्रय करने का प्रस्ताव पारित किया गया। लेकिन प्रस्ताव में मांग पत्र के अनुसार सामग्री का नाम उल्लेखित नहीं है। बैठक में इसका एजेंडा भी जारी नहीं कराया गया था।
- नियमों के अनुसार 10-10 लाख तक की प्रशासकीय स्वीकृति का अधिकार निकायों को प्राप्त है लेकिन हर्रई में 10 लाख की अलग-अलग नस्तियों को बनाकर एक ही तिथि में पीआईसी से अलग-अलग स्वीकृति ली गई।
- हर्रई अधोसंरचना विकास के लिए एक करोड़ का आवंटन प्राप्त हुआ है। जिसकी तकनीकि एवं प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त कर विकास कार्य कराए जाने थे। उसके बाद ही ये खरीदी की जानी थी।
- खरीदी के साथ ही जेम के स्पेशिफिकेशन के अनुसार तकनीकि प्राधिकारी से भौतिक सत्यापन एवं गुणवत्ता परीक्षण कराया जाकर ही खरीदी का भुगतान फर्म को करना था, लेकिन उपयंत्री और सहायक उपयंत्री को क्रय प्रक्रिया से पूरी तरह से दूर रखा गया।
Created On :   14 Nov 2019 5:39 PM IST