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चरवाहाें के बच्चों के लिए अब होंगे निवासी स्कूल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हर तबके को शिक्षा से जोड़ने के शिक्षा विभाग के प्रयास जारी है। इसी कड़ी में अब चरवाहों के बच्चों के लिए निवासी स्कूल खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। उल्लेखनीय है कि मवेशियों के लिए चारे की तलाश में चरवाहों को समय-समय पर स्थानांतरण करना पड़ता है। पूरे परिवार के साथ स्थानांतरण करने पर उनके बच्चों की शिक्षा आधे में छूट जाती है। उन्हें शिक्षा के प्रवाह से जोड़कर रखने के लिए निवासी स्कूल खोलने का प्रस्ताव जिला परिषद की ओर से उपसंचालक को भेजा जाएगा।
जिले में नागपुर, उमरेड और हिंगना तहसील में चरवाहों की बस्तियां हैं। जब तक बस्ती के आस-पास मवेशियों के लिए चारा मिलता है, तब तक उनका अपनी ही बस्ती में बसेरा रहता है। हरियाली खत्म होने पर चारे की तलाश में उन्हें बस्ती छोड़कर स्थानांतरण करना पड़ता है। जनवरी महीने से स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू हाे जाती है और इस कारण बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। हालांकि जिस स्कूल में पढ़ाई करते हैं, उस स्कूल से प्रमाणपत्र दिया जाता है। उसके आधार पर स्थानांतरित स्थानों पर स्कूलों में बच्चों को दाखिला देने की व्यवस्था है, परंतु अधिकांश पालकों को इसकी जानकारी नहीं होने से बच्चे स्कूल से वंचित रह जाते हैं। स्कूल बदलने से उनकी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है। सत्र के बीच में दूसरे स्कूल में जाने की बच्चों की भी मानसिकता नहीं रहती। पालक भी बच्चों को दाखिले दिलाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। इन समस्याओं के चलते बच्चों का स्थानांतरण रोकने िनवासी स्कूल खोले जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि जिला परिषद प्राथमिक शिक्षा विभाग की ओर से उपसंचालक को प्रस्ताव भेजने की प्रक्रिया चल रही है।
253 बच्चों का रुकेगा स्थानांतरण
नागपुर, उमरेड तथा हिंगना तहसील में अलग-अलग स्कूलों में चरवाहों के 253 बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को एकत्रित कर िनवासी स्कूल में रखा जाएगा। उनके रहने, खानपान तथा पढ़ाई की सुविधा की जाएगी। िनवासी स्कूल खुलने पर इन बच्चों के स्थानांतरण पर रोक लगाई जा सकेगी।
Created On :   25 Dec 2017 1:04 PM IST