बदल गई सरकार, 1.7 करोड़ के प्रस्तावित कोल्हापुरी बांध और तालाबों के प्रारूप ही गलत

Proposed Kolhapuri dams and ponds of 1.7 crores are wrong
बदल गई सरकार, 1.7 करोड़ के प्रस्तावित कोल्हापुरी बांध और तालाबों के प्रारूप ही गलत
बदल गई सरकार, 1.7 करोड़ के प्रस्तावित कोल्हापुरी बांध और तालाबों के प्रारूप ही गलत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भीषण जलसंकट की स्थिति से जूझ रहे नागपुर में एक मामले ने अधिकारियों की कार्यक्षमता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। मामला वेणा नदी पर प्रस्तावित कोल्हापुरी बांध और तालाब बनाने से संबंधित है। 2014 में वेणा नदी पर प्रस्तावित कोल्हापुरी बांध और तालाब बनाने की सख्त जरूरत बताई जा रही है, क्योंकि फिलहाल वाड़ी सहित अनेक ग्रामीण क्षेत्रों को जलापूर्ति करने वाली वेणा नदी पूरी तरह सूख गई है पर, अब इसमें भी नया ट्वीस्ट आया है।

2014 में प्रस्तावित कोल्हापुरी बांध और तालाब का प्रारूप ही गलत होने का खुलासा हुआ है। अगले 8 दिन में लघु सिंचाई व जलसंधारण विभाग के अधिकारी प्रस्तावित जगह का मुआयना करेंगे। इसके बाद इस पर निर्णय होने की संभावना है, मगर इस मामले ने अधिकारियों की कार्यक्षमता पर सवाल उठा दिया है। विशेष यह कि जिन अधिकारियों ने यह प्रस्ताव तैयार किया था, वे अब रिटायर हो चुके हैं। ऐसे में कार्रवाई को लेकर भी असमंजस की स्थिति बन गई है। 

भूमिपूजन के बाद बदल गई सरकार
वर्ष 2014 में आघाड़ी सरकार के कार्यकाल में वेणा नदी पर व्याहाड पेठ गांव (अमरावती मार्ग) के समीप कोल्हापुरी बांध व साठवण तालाब प्रस्तावित किया गया था। कोल्हापुुरी बांध के लिए 90 लाख और तालाब के लिए 80 लाख रुपए मंजूर किए गए थे। 24 अगस्त 2014 में तत्कालीन पालकमंत्री व जलसंधारण मंत्री डॉ. नितीन राऊत और अन्न व आपूर्ति मंत्री अनिल देशमुख की उपस्थिति में इसका भूमिपूजन हुआ था। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और सरकार बदल गई। तब से अब तक यहां किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस साल भीषण सूखे की वजह से वेणा नदी सूख गई है। इस वजह से आसपास के जलस्रोत भी सूख गए हैं। ऐसे में प्रस्तावित योजना को पूरी करने की मांग तेज हुई। अधिकारियों ने भी इसकी सुध ली।

प्रस्ताव के विपरीत स्थिति
अधिकारियों ने जब प्रस्तावित जगह पर जाकर मौका मुआयना किया तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। प्रस्ताव के विपरीत यहां स्थिति दिखी। प्रस्ताव में नदी के ऊपरी छोर पर 40 मीटर का कोल्हापुरी बांध का जिक्र है, जबकि नदी की चौड़ाई 60 मीटर है। नदी का कैचमेंट एरिया बड़ा होने से बांध नदी में ही डूबने की आशंका है। नदी के निचले छोर पर मिट्टी का तालाब प्रस्तावित किया गया। अध्ययन में पाया गया कि अगर यह तालाब बनता है तो बाढ़ की स्थिति में यह बह जाएगा। ऐसे में दोनों योजनाएं अनुकूल नहीं होंगी। इसकी रिपोर्ट अधिकारियों ने लघु सिंचाई विभाग व जलसंधारण विभाग को सौंपी है। 

गांव के सभी जलस्रोत सूखे
व्याहाड पेठ गांव वेणा नदी से लगा है। करीब 2 हजार की आबादी का गांव है।  गांव के सभी जलस्रोत सूख गए हैं। न कुएं में पानी है और न बोरवेल में। गांव में जिला प्रशासन द्वारा टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है। पानी की भीषण स्थिति को देखते हुए अंकुर सीड कंपनी और निकोल कंपनी ने अपने-अपने फार्म हाउस से खेतों के लिए पानी दे रहे हैं। 

प्रस्ताव को ही रद्द करने पर विचार
स्थिति को देखते हुए अधिकारी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इस प्रस्ताव को ही रद्द करने पर विचार किया जा रहा है, मगर इससे पहले वरिष्ठ अधिकारी जगह का निरीक्षण करेंगे और निर्णय लेंगे। फिलहाल यह प्रस्ताव नए सिरे से बनाने पर विचार शुरू होने की चर्चा है। लिहाजा, लागत समय के हिसाब से और बढ़ सकती है।

रिपोर्ट अनुकूल नहीं  
अधिकारियों ने व्याहाड पेठ में प्रस्तावित योजना को लेकर अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट अनुकूल नहीं है। न बांध बन सकता है और न तालाब। नदी का कैचमेंट एरिया बड़ा है और प्रस्तावित बांध छोटा। प्लानिंग सही तरीके से नहीं हुई है। जल्द वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षण करेंगे। इसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। - सुभाष आकोसकर,  अभियंता, जलसंधारण विभाग 

बांध जल्द बने तो किसानों को होगा फायदा 
वहां जल्द से जल्द बांध और तालाब बनाने की जरूरत है। इसका किसानों और गांववासियों को काफी फायदा होगा, लेकिन अधिकारी पिछले पांच साल से कोई न कोई बहाना कर इसे टालते जा रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण गांववासियों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है। -  विठोबा काले,  सरपंच, ग्रामपंचायत व्याहाड पेठ 
 

Created On :   14 Jun 2019 5:26 AM GMT

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