अजित पवार के खिलाफ मामला रद्द, हाईकोर्ट ने कहा- बगैर तथ्य के मुकदमा चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग

Prosecuting without any fact is the abuse of legal process - HC
अजित पवार के खिलाफ मामला रद्द, हाईकोर्ट ने कहा- बगैर तथ्य के मुकदमा चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग
अजित पवार के खिलाफ मामला रद्द, हाईकोर्ट ने कहा- बगैर तथ्य के मुकदमा चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आरोपी के खिलाफ किसी भी आरोप के आधार पर मुकदमे को जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग व अन्यायपूर्ण है। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के राजस्व विभाग में एक जिम्मेदार पद पर कार्यरत अजित पवार के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करते हुए यह बात कही है। पवार पर अपने चचरे भाई की एक नाबालिग लड़की के साथ शादी करने में मदद करने का आरोप था। 

पुलिस ने इस प्रकरण में पवार और उसके चचेरे भाई के खिलाफ अपहरण व दुष्कर्म तथा पाक्सो कानूनी की कई धाराओं के तहत सातारा सिटी पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। पीड़ित लड़की के रिश्तेदारों ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। पवार ने याचिका में दावा किया था कि पीड़ित लड़की जब यशवंतराव चव्हाण  इंस्टीट्यूट आफ साइंस से भागी थी तो वह वयस्क थी। इसके अलावा पीड़ित लड़की ने उसके चचेरे भाई के साथ विवाह कर लिया और वह उसके साथ रह रही है। चूंकी वह राजस्व विभाग में जिम्मेदार पद पर हैं इसलिए प्रतिशोध की भावना से मेरे मामला दर्ज कराया गया गया है। उन पर लगाए गए सारे आरोप अनुमानित व आधारहीन हैं।

उसकी इस प्रकरण में कोई भूमिका नहीं है। जबकि अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि जब लड़की भागी थी तो उसकी उम्र 17 साल 11 महीने थी। नगरपरिषद द्वारा जारी किया गए जन्म प्रमाणपत्र में पीड़ित लड़की की जन्म तारीख का उल्लेख 8 अगस्त 1999 बताया गया था। वहीं पवार के वकील ने दावा किया कि पीड़िता की स्कूल लिविंग सर्टीफिकेट, राष्ट्रीयता प्रमाणपत्र, डोमिसाइल में जन्म तारीख का उल्लेख 8 जून 1999 है। इस लिहाज से घटना के दिन पीड़िता वयस्क थी। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में कोर्ट ने पीड़िता से बात की थी।

पीड़िता ने कहा है कि वह अपनी विवाह किया था। पीड़िता ने याचिकाकर्ता पर आरोप नहीं लगाए हैं। ऐसे में आरोपी के खिलाफ किसी भी आरोपों के अधार पर मुकदमा जारी रखना अन्यायपूर्ण व कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। जिससे उसे मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया। 

Created On :   28 Oct 2019 1:19 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story