IAS अफसरों के तबादले पर उठ रहे सवाल ,कमिश्नर से कलेक्टर की नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार

Questions arising on the transfer of IAS officers in nagpur city
IAS अफसरों के तबादले पर उठ रहे सवाल ,कमिश्नर से कलेक्टर की नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार
IAS अफसरों के तबादले पर उठ रहे सवाल ,कमिश्नर से कलेक्टर की नियुक्ति सरकार का विशेषाधिकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  नागपुर NMC ‘ए’ ग्रेड की है आैर मनपा कमिश्नर का पद सचिव स्तर का है। वहीं नागपुर के जिलाधीश का पद सहसचिव स्तर का है। पिछले 15 सालों पर नजर डालें तो कलेक्टर पदोन्नति पर नागपुर में NMC कमिश्नर बने या NIT सभापति बने हैं। डेढ़ दशक में पहली बार ऐसा हुआ है कि कमिश्नर का तबादला नागपुर के कलेक्टर के पद पर हुआ है। माना जाता है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अपनी वरीयता (सीनियरिटी) को लेकर बहुत ज्यादा सतर्क रहते है आैर जूनियर द्वारा बुलाई गई बैठक में खुद की जगह अपने प्रतिनिधि भेजते हैं। कलेक्टर द्वारा बुलाई गई बैठक में भी मनपा आयुक्त के प्रतिनिधि ही शिरकत करते रहे हैं। बहरहाल, किस पद पर किसे नियुक्त करना यह पूरी तरह सरकार का विशेषाधिकार है। 

यह देखा शहर ने
NMC आयुक्त व NIT के सभापति का पद समान रैंक का है। दोनों ही पद सचिव स्तर के हैं। NIT सभापति के अवकाश पर रहने पर NMC आयुक्त चार्ज देखते हैं। इसी तरह विभागीय आयुक्त के अवकाश पर रहने पर NMC आयुक्त चार्ज देखते हैं। नागपुर के जिलाधीश द्वारा बुलाई गई बैठक में NMC आयुक्त व NIT  सभापति अपना प्रतिनिधि भेजते हैं। डेढ़ दशक में यही देखा गया है किNMC आयुक्त व NIT सभापति कलेक्टर से वरिष्ठ रहे हैं। आईएएस में 12 साल बाद सहसचिव व 16 साल बाद सचिव का रैंक मिलता है। आईएएस अफसर को 15 साल बाद ही NMC आयुक्त व NIT सभापति बनाया गया है। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव प्रवीण परदेसी बनाए गए। इनकी वरीयता को लेकर सवाल उठे थे। 

उस वक्त भी थी चर्चा तेज
राज्य की भाजपा सरकार ने NMC आयुक्त के पद पर 2005 बैच के आईएएस अफसर श्रावण हर्डीकर की नियुक्ति की थी। उस वक्त उनकी वरीयता को लेकर चर्चा तेज थी। उनके तबादले के बाद मई 2017 में 2007 बैच के अश्विन मुद्गल को NMC आयुक्त बनाया गया। इनकी वरीयता को लेकर भी सवाल उठे थे।NMC आयुक्त के पद के लिए जरूरी 15 साल की सेवा की यहां अनदेखी हुई थी। मनुकुमार श्रीवास्तव, लोकेशचंद्र व डा. संजय मुखर्जी नागपुर के जिलाधीश रहने के बाद मनपा आयुक्त बने थे। इसी तरह प्रवीण दराडे नागपुर के जिलाधीश रहने के बाद NIT सभापति बने थे। राज्य सरकार ने पहले श्री मुद्गल को ‘ए’ ग्रेड नागपुर NMC का आयुक्त बनाया आैर अब उनका तबादला नागपुर के कलेक्टर के रूप में कर दिया। 

सरकार का यह विशेषाधिकार  
वैसे देखा जाए तो कमिश्नर का पद कलेक्टर से सीनियर माना जाता है। जिलाधिकारी के रूप में सफलतापूर्वक कामकाज किए अफसर को आयुक्त बनाया जाता है। नागपुर मेंNMC आयुक्त वNIT सभापति का पद समान रैंक का है। आईएएस अफसर को 12 साल बाद संयुक्त सचिव व 16 बाद सचिव बनाया जाता है। कलेक्टर की अपेक्षा कमिश्नर के काम का दायरा व्यापक होता है। अन्य जिलों की अपेक्षा नागपुर कलेक्टर का पद हेवी व बढ़ा है। सरकार को अधिकारी से काम लेना होता है आैर कौन-सा अधिकारी कहां ‘फीट’ बैठेगा, यह निर्णय सरकार को करना होता है। सरकार के विशेषाधिकार को चुनौती नहीं है।  (ई. जेड. खोब्रागडे, पूर्व आईएएस अधिकारी)

कलेक्टर, कमिश्नर व सभापति तीनों सीनियर पद  
नागपुर कलेक्टर, एनएमसी कमिश्नर व एनआईटी सभापति तीनों पद सीनियर ग्रेड के हैं। 16 साल के बाद आईएएस अफसर सुपर टाइम ग्रेड में आता है। अधिकारी 16 साल की सेवा के बाद सचिव के लिए पात्र होते हैं। कलेक्टर के बाद कमिश्नर बनने से लोगों में यह धारणा बन सकती है कि कमिश्नर का पद बढ़ा है, लेकिन नागपुर के कलेक्टर, कमिश्नर व सभापति तीनों ही पद समान माने जाते हैं।  (स्वाधीन क्षत्रिय, पूर्व मुख्य सचिव महाराष्ट्र राज्य)

Created On :   18 April 2018 11:34 AM IST

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