आवेदन के साथ जन्म प्रमाण न देने के कारण नौकरी से वंचित नहीं कर सकता रेलवे

Railways cannot be denied job due to not provide birth proof with application
आवेदन के साथ जन्म प्रमाण न देने के कारण नौकरी से वंचित नहीं कर सकता रेलवे
आवेदन के साथ जन्म प्रमाण न देने के कारण नौकरी से वंचित नहीं कर सकता रेलवे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। लिखित, शारीरिक व मेडिकल परीक्षा पास होने के बावजूद रेलवे में नौकरी से वंचित किए गए एक युवक को बांबे हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। रेलवे ने साल 2007 में खलासी के 6412 पदों के लिए अधिसूचना जारी की थी। जिसके तहत समीर मंडके ने पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित खलासी पद के लिए आवेदन किया था। पद के लिए जरुरी शारिरिक परीक्षा पास करने के बाद मंडके को लिखित परीक्षा के लिए बुलाया गया। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद मंडके को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए बुलाया गया। फिर मंडके का मेडिकल हुआ। इसमे भी मंडके सफल हो गए। लेकिन जब पद के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी की गई तो उसमे मंडके का नाम शामिल नहीं था। इससे हैरान मंडके ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी की सारी परीक्षाओं में सफल होने के बाद उसका नाम पद के लिए चयनित लोगों की सूचित में क्यों नहीं आया। जवाब में रेलवे ने बताया कि पद के लिए आवेदन करते वक्त उसने अपनी जन्मतिथि के साबित करनेवाला कोई प्रमाण आवेदन के साथ नहीं जोड़ा था। इसलिए उसका नाम चयनित लोगों की सूची में नहीं जोड़ा गया था। उसे कुल 90 प्रतिशत अंक  मिले हैं जबकि ओबीसी के लिए कट आफ 73.33 प्रतिशत अंक रखा गया था। इस जानकारी के आधार पर मंडके ने केंद्रीय प्रशासकीय पंचाट (कैट) में आवेदन किया। कैट में रेलवे ने दलील दी की पद पर नियुक्ति के लिए जब विज्ञापन जारी किया गया था तो उसमे आवेदन के साथ जन्मतिथि का प्रमाण जोड़ना अनिवार्य किया गया था। इस आधार पर कैट ने 2017 में रेलवे के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके खिलाफ मंडके ने हाईकोर्ट में अपील की। न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान मंडके वकील ने दावा किया कि मेरे मुवक्किल ने आवेदन के साथ गलती से दसवी की बजाय 12 वीं की मार्कसीट जोड़ दी थी। 12 वीं की मार्कसीट में जन्मतारीख का उल्लेख नहीं रहता है। जन्म तारीख का उल्लेख दसवी की मार्कसीट में रहता है। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि नियुक्ति से जुड़ी सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अंत में सिर्फ आवेदन के साथ जन्मतिथि का प्रमाण न जोड़ने के आधार पर याचिकाकर्ता को नौकरी से वंंचित किया जाना अन्यायपूर्ण है। रेलवे याचिकाकर्ता से मेडिकल व दस्तावेजो के सत्यापन के समय जन्मतिथि से जुड़ा प्रमाण मांग सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अंतिम पडाव पर जन्मतिथि का प्रमाणपत्र न जोड़ने के आधार पर नौकरी से वंचित करना अनुचित है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने रेलवे भर्ती बोर्ड के चेयरमैन को याचिकाकर्ता के दस्तावेजों की पड़ताल कर चार सप्ताह के भीतर नियुक्ति का निर्देश दिया। इसके साथ ही याचिकार्ता को नौकरी से वंचित करनेवाले कैट के आदेश को पलट दिया। 

अवैध निर्माण पर निगरानी के लिए अर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की बजाय मानव बुद्धि का इस्तेमाल करे सरकार

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार व स्थानिय निकाय अवैध निर्माण पर नजर रखने के लिए अर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की बजाय मानवी बुध्दि का इस्तेमाल करे। 
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ को बताया गया कि राज्य सरकार राज्य के बड़े शहरों में अवैध निर्माण पर नजर रखने के लिए सेटेलाइट इमेज तैयार कर रही है। इसके साथ ही अवैध निर्माण पर नकेल कसने के लिए जियोग्राफिक इनफारमेशन सिस्सटम (जीआईएस) की मदद ली जा रही है। इस शहर को राज्य के 100 से अधिक शहरों में चरण बध्द तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। इस सिस्टम के जरिए अलग-अलग स्थानों का आकड़ा इकट्ठा किया जाएगा। 
सुनवाई के दौरान मुंबई महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने कहा कि  मनपा ने मुंबई के एक वार्ड में पायलट प्रोजेक्ट के रुप में जीआईएस की शुरुआत की है। 6 महीने में इस प्रोजेक्ट में करीब 50 लाख रुपए खर्च होगे। इस पर खंडपीठ ने कहा कि अर्टिफिसियल इंटेलिजेंस पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने की बजाय सरकार व स्थानीय निकाय को मानवी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। दूसरे और भी तरीके है जिसके जरिए अवैध निर्माण को लेकर सूचनाएं इकट्ठा की जा सकती है। खंडपीठ ने कहा कि कपड़े धोनेवाले व इस्त्री के लिए लोग रोजना इमारतों में कपड़े लेने जाते है। सरकार इन लोगों का भी उपयोग कर सकती है। गौरतलब है कि मुंबई में अवैध निर्माण से जुड़े मुद्दे का हाईकोर्ट ने स्वस्फूर्त संज्ञान लिया था। और एक अन्य खंडपीठ ने सरकार को अवैध निर्माण पर शिकंजा कसने के लिए तकनीक का सहारा लेने का सुझाव दिया था। 
 

Created On :   3 Oct 2019 8:15 PM IST

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