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कैंसर से बचाने का उठाया बीड़ा, दास दंपत्ति कर रहे जनजागरण और फ्री काउंसिलिंग

डिजिटल डेस्क, नागपुर । भागदौड़ भरी जिंदगी में भौतिक सुविधाएं जिंदगी को जितना आसान बना रही है, उतनी ही बीमारियों के करीब ला रही है। बीपी,शुगर,थाइराइड,कोलेस्ट्रोल,आर्थराइटिस तो आम बीमारी हो गई है। कैंसर के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। ब्रेस्ट कैंसर, ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या कुछ ज्यादा ही है। ऐसे में जरूरत पड़ती है कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने की और यही काम कर रहे हैं शहर के दंपति अर्चना दास तथा शांतनु दास। दोनों फ्री लांसर के रूप में कैंसर के प्रति काउंसलिंग करते हैं। वे शहर तथा आसपास के गांव में जाकर लोगों के बीच जागरूकता फैला रहे हैं, नि:शुल्क कैम्प लगाते हैं, ताकि किसी को इस भयावह बीमारी से जूझना न पड़े।
लक्षण पकड़ में नहीं आते
आेरल कैंसर काउंसलर शांतनु दास ने बताया कि ओरल कैंसर यानी मुख का कैंसर। कैंसर के कारणों में आठवां प्रमुख कारण है। इसमें मुंह तो प्रभावित होता ही है, होंठ और जुबान पर भी इसका असर पड़ता है। वैसे यह गाल, मुंह के तालू, मसूड़ों और मुंह के ऊपरी हिस्से में होता है। इसके लक्षण आमतौर पर पकड़ में नहीं आते। ओरल कैंसर के लिए भी हम कैम्प लगाते हैं। इसके लिए न केवल गांव में, बल्कि बड़े-बड़े शहरों में कैम्प लगाए हैं। मैंने देखा है कि हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स को भी तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, पान, गुटखा की आदत हो जाती है। धीरे-धीरे इससे ओरल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। ओरल कैंसर की जांच के दौरान सबसे पहले रोगी के स्वास्थ्य की पूर्व परेशानियों का पता लगाया जाता है, इसके बाद उसकी नशे की आदतों का अध्ययन किया जाता है, फिर उपचार और काउंसलिंग की जाती है।
2008 में हुआ था ब्रेस्ट कैंसर
अर्चना दास ने बताया मुझे 2008 में ब्रेस्ट कैंसर हुआ था अर्ली स्टेज में ही इसकी जानकारी लग गई, इसलिए जल्द ही इलाज शुरू हुआ और आज मैं एकदम फिट हूं। जब मैं कैंसर से ठीक हुई, उसके बाद मैंने उस अस्पताल में काउंसलर तथा पीआरओ की पोस्ट पर काम किया और लोगों की काउंसलिंग की। फिर हम दोनों पति-पत्नी ने मिलकर कैंसर की फ्री लांसर काउंसलिंग कर गांव में जागरूकता फैलाने का काम शुरू किया। गांव के लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं मिलने से वे इसका इलाज नहीं करवा पाते हैं और उनकी जिंदगी चली जाती है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा हो रहा है। मेरे एनालिसिस से मुझे समझ आया कि आजकल लड़कियां ज्यादा उम्र में शादी करती हैं, फिर उनको ईशू भी लेट होता है, इसलिए उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का ज्यादा खतरा होता है।
बढ़ता है आत्मविश्वास
ज्यादातर महिलाओं का यही सवाल होता है कि उपचार के बाद पुन: आएंगे कि नहीं। जब मैं काउंसलर की जॉब में तो थी, तब महिलाओं को अपने बारे में बताती थी। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ता था। इन्हीं सब बातों से हमें लगा कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर के संबंध में महिलाओं के मन में जो भ्रातियां हैं, उन्हें दूर करना चाहिए और हमने मिलकर यह काम शुरू किया।
Created On :   13 March 2018 12:13 PM IST