राजू राजा राम और मैं के मंचन में एक कलाकार के अलग-अलग किरदार ने किया मुग्ध

Raju Raja Ram aur Main play was played in Suresh Bhatt Auditorium
राजू राजा राम और मैं के मंचन में एक कलाकार के अलग-अलग किरदार ने किया मुग्ध
राजू राजा राम और मैं के मंचन में एक कलाकार के अलग-अलग किरदार ने किया मुग्ध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आप तो भगवान के अवतार हैं... तोरा बाप का खाते हैं क्या... दुहराते हुए हॉल से निकले दर्शकों की जुबान पर नाटक के डायलॉग सुनाई दे रहे थे । नाटक में हंसी, दु:ख, वेदना कई तरह के भावों ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। सिचुएशन कॉमेडी। नाटक की कहानी पात्रों को लिए वसीयत के लालच के इर्द-गिर्द घूमती है। केदार शिंदे द्वारा लिखित व निर्देशित यह नाटक एक ही कलाकार को चार अलग-अलग किरदार बनाकर प्रस्तुत किया। मौका था केदार शिंदे रचित नाटक "राजू राजा राम और मैं" के मंचन का। मंचन सुरेश भट्ट ऑडिटोरियम में किया गया।

फिल्म थ्री इडियट्स फेम शरमन जोशी नाटक में तीन अलग-अलग रूपों में नजर आए। मालिक मदन सुखनंदानी की मौत के बाद उनकी संपत्ति और हवेली पर कब्जा करने के लिए तीन लोग सामने आते हैं। एक हैं उनकी पत्नी मनोरमा और बेटी, दूसरी मदन की प्रेमिका मीरा और मदन के चाचा। संपत्ति हथियाने के लिए तीनों मदन के वकील मणिशंकर से संपर्क करते हैं। वकील बताते हैं कि मालिक ने तीन लोगों के नाम से वसीयत तो बनाई है, लेकिन हस्ताक्षर नहीं किया है। तब तीनों फर्जी मदन को खड़ा करते हैं, जिसका चेहरा असली मदन से मिलता था। फिर राजू, राजा और राम को मदन बना कर वसीयत पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार करते हैं। 

यह है कहानी
तीनों की भूमिका फिल्म अभिनेता शरमन जोशी ने निभाई। इसी बीच असली मालिक मदन सुखनंदानी सामने आ जाते हैं। पता चलता है उन्होंने अपनी सारी संपत्ति ट्रस्ट के नाम दे दी है। इस कहानी में मदन को अपनी बिछड़ी बेटी रूपा मिलती है। लालची रिश्तेदारों के हाथ खाली रह जाते हैं।  नाटक की कहानी मशहूर बिजनेसमैन मदन सुखनंदानी की दूसरी पत्नी मीरा और मैनेजर मि. दलाल के प्रेम से शुरू होती है, जिसे मदन सुखनंदानी जाना जाता है। सिचुएशन कुछ ऐसी बनती है कि मीरा मदन के सिर पर बोतल मारती है और समझती है कि वह मर गया। कुछ महीनों बाद वकील वसीयत दिखाकर कहता है कि मदन सुखनंदानी अपनी जायदाद पहली पत्नी मनोरमा, चाचा जनार्दन और मीरा के नाम कर गया है, लेकिन उस पर उनके साइन नहीं हैं। ऐसे में ये तीनों रिश्तेदार राजू, राजा गलगले और रामकृष्ण नामक व्यक्ति को नकली मदन सुखनंदानी बनाकर साइन कराने लाते हैं। बाद में असली मदन सुखनंदानी आता है और इन तीनों रिश्तेदारों को जायदाद से बेदखल कर देता है।

इस पूरे नाटक में मदन, राजू, राजा और राम की भूमिका एक ही कलाकार फिल्म अभिनेता शरमन जोशी ने निभाई। स्टेज पर चारों कलाकारों का एक साथ होना और अलग होने पर भी एक ही दिखने का तरीका दर्शकों को काफी पसंद आया। नागपुर राउंड टेबल-83 का आयोजन था।  राउंड टेबल इंडिया (आरटीआई) ऐसी संस्था है, जो बच्चों के अधिकारों के लिए समर्पित है। शरमन जोशी नाटक का यह कार्यक्रम सामाजिक उपक्रमों के लिए धन जुटाने में मदद करता है। आयोजन राउंड टेबल ने किया था। 
 

Created On :   25 Jun 2018 2:09 PM IST

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