सरकारी कार्यालयों में दिव्यांगों के लिए रैंप, हैंडरेलिंग, लिफ्ट व अन्य सुविधाएं हों- हाईकोर्ट

ramps, lift facilities for the handicaps in government offices:HC
सरकारी कार्यालयों में दिव्यांगों के लिए रैंप, हैंडरेलिंग, लिफ्ट व अन्य सुविधाएं हों- हाईकोर्ट
सरकारी कार्यालयों में दिव्यांगों के लिए रैंप, हैंडरेलिंग, लिफ्ट व अन्य सुविधाएं हों- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी कार्यालयों में दिव्यांगों के लिए रैंप, हैंडरेलिंग, लिफ्ट व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का मुद्दा उठाती इंद्रधनुष सामाजिक संस्था की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। पूर्व में हाईकोर्ट के समक्ष 15 ऐसे सरकारी विभागों की सूची आई थी, जहां ये सुविधाएं नहीं थीं। हाईकोर्ट ने इन्हें फौरन सुविधाएं उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। अब हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी को सुनिश्चित करने को कहा है कि, इन विभागों में दिव्यांगों के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हो। 15 विभागों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, नागपुर विश्वविद्यालय, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज कैंसर हॉस्पिटल, लॉ कॉलेज, गवर्नमेंट पॉलिटेकनिक, महावितरण, जल प्रदाय कार्याालय समेत अन्य विभागों का समावेश है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि, इन विभागों को स्वयं अपनी निधि से यह सुविधाएं उपलब्ध करानी होगी। मामले में मनपा की ओर से एड.जैमिनी कासट ने पक्ष रखा। 

 कोई ठोस बंदोबस्त नहीं
सामाजिक संगठन इंद्रधनु ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका मंे कोर्ट को बताया था कि, राज्य में दिव्यागों के लिए कई जगहों पर विशेष सुविधाएं नहीं होने से उन्हें चलने-फिरने मंे खासी दिक्कत आती है। यहां तक की सरकारी कार्यालयों मंे भी दिव्यांगों के लिए कोई ठोस बंदोबस्त नहीं है। यही हाल डाकघरों मंे भी है। जहां दिव्यांगों के लिए जरूरी सुविधाओं का आभाव है। बीती सुनवाई में हाईकोर्ट ने अधूरी जानकारी देने पर सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि, हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नागपुर के 51 सरकारी विभागों में से महज 36 विभागों के कार्यालयों में दिव्यांग फ्रेंडली सुविधाएं हैं। 15 सरकारी विभागों ने कोर्ट के आदेश पर संज्ञान नहीं लिया है, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराने को कहा था। 

ड्राय डे किया रद्द
ईद के मौके पर गोंदिया और नागपुर के जिलाधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्र में ड्राय डे घोषित तो किया, लेकिन इसे शराब विक्रेताओं ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी है। मामले में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मामले में कोर्ट कोई अंतरिम आदेश तो जारी नहीं करेगा। लेकिन यदि जिलाधिकारियों ने नियम के विरुद्ध जाकर "ड्राय डे" घोषित किया है तो कोर्ट उन पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाएगा। कोर्ट के इस आदेश के बाद मंगलवार शाम तक नागपुर और गोंदिया के जिलाधिकारियों ने नोटिफिकेशन जारी करके  "ड्राय डे" रद्द कर दिया। 

यह है मामला
बता दें कि हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि जिलाधिकारियों द्वारा लिया गया ड्राय डे का निर्णय गलत है। उन्हें इस प्रकार के आदेश जारी करने के अधिकार नहीं है। उनके पास शराब बिक्री का लाइसेंस है और यह प्रतिबंध महाराष्ट्र प्रोहिबिशन एक्ट 1949 का उल्लंघन है। इसके बाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वे मामले में कोई भी अंतरिम आदेश जारी नहीं करना चाहते। प्रतिबंध नियमानुसार है या नहीं और इसे लागू करना है या नहीं इसे हम जिलाधिकारी पर छोड़ते है। यदि यह प्रतिबंध नियमों के या फिर हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के विरुद्ध जाकर शराब बंदी की गई है तो कोर्ट जिलाधिकारी पर 25 हजार की कॉस्ट लगाएगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 6 जून को रखी है। नागपुर में लागू शराब बंदी को भी एक अन्य याचिका में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस पर भी 6 जून को सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड.सुमित बोडलकर ने पक्ष रखा।
 

Created On :   5 Jun 2019 1:01 PM IST

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