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मुंबई पुलिस की FIR के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची रश्मि शुक्ला, फोन टैपिंग मामले में जारी हुआ है समन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में शुक्ला ने अवैध फोन टैपिंग को लेकर मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर मामले में खुद को कड़ी कार्रवाई से सरंक्षण प्रदान करने की मांग की है। शुक्ला पर तबादलों को लेकर संवेदनशील दस्तावेज लीक करने का आरोप है। अधिवक्ता समीर नांगरे के मार्फत दायर इस याचिका व इससे जुड़े आवेदन पर तत्काल सुनवाई के लिए निवेदन किया गया है। क्योंकि 1988 बैच की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शुक्ला को इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका है। याचिका में मुख्य रुप से मांग की गई है कि पुलिस को याचिकाकर्ता(शुक्ला) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से रोका जाए। क्योंकि इस मामले में राज्य का रुख याचिकाकर्ता को झूठे व आधारहीन मामले में फसाने का दिख रहा है।
फर्जी मामले में फंसाना चाहती है सरकार
शुक्ला फिलहाल हैदराबाद में केंद्रीय सुरक्षा दल (सीआरपीएफ) के दक्षिणी जोन की अतिरिक्त महानिदेशक हैं। शुक्ला ने दावा किया है कि उन्होंने जो कुछ किया वह उनकी आधिकारिक ड्यूटी का हिस्सा था। यह भ्रष्टाचार को उजागर करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए किया गया था। लेकिन याचिकाकर्ता के कार्य की सराहना करने की बजाय सरकारी प्रशासन उन्हें झूठे आपराधिक मामले में फसाने में लगा हुआ है। इसलिए उन्हें इस मामले में अंतरिम राहत दी जाए।याचिका पर 4 मई 2021 को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ के सामने सुनवाई हो सकती हैं।
गौरतलब है कि ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के प्रावधानों के तहत बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के सायबर पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिन पर फोन टैपिंग व पुलिस पोस्टिंग से जुड़े दस्तावेज लीक करने का आरोप है। यह टैपिंग तब की गई जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग में थी। पिछले महीने शुक्ला को समन जारी किया था। लेकिन वे सायबर पुलिस के सामने हाजिर नहीं हुई ।
यह सेवा नियमों का उलंघन
वहीं आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के आचरण व कृत्य को सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त राजेंद्र त्रिवेदी ने केंद्रीय सिविल सेवा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन माना है। त्रिवेदी के मुताबिक इस मामले में सेवा अधिनियम की धारा 11 का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा कि आईपीएस अधिकारी शुक्ला का आचरण भविष्य में पुलिस दल के अन्य सदस्यों को अनुशासन भंग करने के लिए प्रेरित करेगा। पुलिस जैसे अनुशासित दल में ऐसा अपेक्षित नहीं है। पुलिस अधिनियम 1922 के धारा 3 के तहत ऐसा आचारण अपराध की श्रेणी में आता है। इसलिए इस मामले में उचित कार्रवाई की जाए।
Created On :   3 May 2021 7:59 PM IST