एयर क्वालिटी इंडेक्स कंट्रोल की  हकीकत - अस्पताल में 50 ' दमा-सांस के मरीज

Reality of air quality index control - 50 asthmatic patients in hospital
 एयर क्वालिटी इंडेक्स कंट्रोल की  हकीकत - अस्पताल में 50 ' दमा-सांस के मरीज
 एयर क्वालिटी इंडेक्स कंट्रोल की  हकीकत - अस्पताल में 50 ' दमा-सांस के मरीज

सड़कों पर डस्ट और धूल-मिट्टी के चलते खराब हो रही शहरवासियों की सेहत, जिन क्षेत्रों में चल रहे निर्माण कार्य, वहीं सबसे ज्यादा समस्याएं आ रही सामने
  डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । बड़े महानगरों में बढ़ता वायु प्रदूषण इन दिनों सुर्खियां बना हुआ है। बढ़े हुए एयर क्वालिटी इंडेक्स ने कई शहरों की सेहत खराब कर दी है, लेकिन छिंदवाड़ा नगरीय क्षेत्र को लेेकर अधिकारियों का दावा है कि यहां सबकुछ ठीक है। एयर क्वालिटी इंडेक्स का आंकड़ा गुड व सटिसफैक्टरी केटेगरी से भी काफी नीचे है, लेकिन जब बात अस्पतालों में मौजूद मरीजों पर की जाए तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक जिला अस्पताल में भर्ती 50 से 60 फीसदी मरीज सिर्फ दमा-सांस की बीमारी के हैं। प्रदूषित हवा और आसपास मौजूद डस्ट के चलते इन मरीजों को ये परेशानी हुई है। सबसे ज्यादा पीडि़त मरीज उन क्षेत्रों के हैं। जहां शहर में निर्माण कार्य चल रहा है। इन निर्माण कार्यों की वजह से उड़ती धूल और घरों में आ रही हानिकारक डस्ट ने यहां के स्थानीय बाशिंदों की सेहत बिगाड़ दी है। शहर में तीन जगह होती है मॉनीटरिंग  एयर क्वालिटी इंडेक्स मापने के लिए शहर में तीन जगहों पर मॉनीटरिंग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाती है। रेसिडेंसियन एरिया में परासिया रोड मुल्लाजी पेट्रोल पंप के सामने,  इंडस्ट्रियलिस्ट एरिया में खजरी के औद्योगिक क्षेत्र के पास और कमर्शियल एरिया टाउन हाल के पास मॉनीटरिंग की जाती है। 
यहां के लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें 
ञ्चशहर में खजरी रोड पर ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य जारी है। धीमी गति से चल रहे निर्माण कार्य के चलते यहां महीनों से बड़े क्षेत्र की खुदाई चल रही है। जबकि इसी मार्ग से शहर के 25 फीसदी वाशिंदे आवागमन करते हैं। यहां से निकलने वाली डस्ट इनके लिए मुसीबत बन गई है। खजरी रोड से ही लालबाग तक मॉडल रोड का सड़क निर्माण चल रहा है। जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया। सड़क  के दोनों और बड़ा और घना रिहायशी क्षेत्र आता है। वहीं छोटे- बड़े वाहनो की आवाजाही भी होती है। यहां से निकलने वाली खतरनाक धूल लोगों के घरों में जा रही है।
एक कारण ये भी.... 
डॉक्टरों की मानें तो दमा सांस के मरीजों के बढऩे का एक कारण मौसम का बदलाव भी है। बुजुर्ग और सांस की बीमारी से पीडि़त मरीज मौसम का बदलाव सहन नहीं कर पाते हैं। जिस वजह से भी इन मरीजों को समस्याएं आने लगती हैं।
इनका कहना है.... 
॥जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति नियंत्रण में है। बड़े महानगरों की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में छिंदवाड़ा है। यहां या तो गुड या फिर सटिसफेक्टरी केटेगरी में है। एयर क्वालिटी इंडेक्स है। 
-डॉ. अविनाशचंद्र करेरा
क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 
ज्यादातर मरीज मौसम का बदलाव नहीं सहन कर पाते हैं। इस कारण भी ये स्थिति बनती है। अक्सर मौमस के बदलाव के समय ये समस्या लोगों के सामने आती ही है। 
-डॉ. घनश्याम दुबे, चेस्ट स्पेशलिस्ट
 

Created On :   19 Nov 2019 2:36 PM IST

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