कांस्टेबल पद के लिए भर्ती होने के बाद मेडिकल में पता चला युवती नहीं युवक है

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुलिस महकमे में महिला कांस्टेबल पद में भर्ती से जुड़ी सारी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद मेडिकल परीक्षण में युवक पायी गई, युवती को बांबे हाईकोर्ट के निर्देश के तहत राज्य सरकार ने क्लर्क पद पर नियुक्ति दी है। चूंकि युवती नाशिक जिले की रहनेवाली इसलिए उसे नाशिक जिले में पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) के कार्यालय में नियुक्त किया गया है लेकिन इससे पहले उसे अधिकृत टाइपिंग सेंटर से टाइपिंग का कोर्स एक साल में पूरा करना होगा।
सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीठ को यह जानकारी दी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि राज्य के महाधिवक्ता यह सुनिश्चित करें कि युवती को दोबारा मेडिकल जांच से न गुजरना पड़े और याचिकाकर्ता को सरकारी कर्मचारी जैसे सेवा से जुड़े लाभ व पदोन्नति भी दी जाए। इस पर श्री कुंभकोणी ने कहा कि वे इस बात का ध्यान रखेंगे और जरुरी निर्देश जारी करेंगे।
इस दौरान कोर्ट में मौजूद युवती ने खंडपीठ के सामने कहा कि वह 6 माह में टाइपिंग का कोर्स पूरा कर लेगी। हाईकोर्ट 6 मई 2022 को राज्य सरकार को समाज के कमजोर तपके से आनेवाली 19 वर्षीय युवती को पुलिस महकमे में नॉन कास्टेंबलरी पोस्ट पर नौकरी प्रदान करने का निर्देश दिया था। दरअसल युवती ने नाशिक में पुलिस दल में कांस्टेबल पद पर भर्ती के लिए साल 2018 में जारी विज्ञापन के बाद अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से परीक्षा दी थी। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद युवती ने शारीरिक परीक्षा में भी सफलता हासिल की थी लेकिन जब उसका मेडिकल परीक्षण किया गया तो इस दौरान जांच पाया कि युवती लड़की न होकर पुरुष है। उसके पेट में गर्भाशय व अंडाशय नहीं हैं। मेडिकल जांच की रिपोर्ट में मत व्यक्त किया गया कि युवती लड़की न होकर पुरुष है।
काफी समय बीत जाने के बाद जब युवती को नौकरी के लिए कोई पत्र नहीं आया तो उसने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी। जानकारी में पता चला कि एससी वर्ग में महिला वर्ग के लिए 168 अंक की मैरिट घोषित की गई थी। जबकि पुरुष एससी वर्ग के लिए मैरिट 182 अकं पर बंद हुई है। युवती को परीक्षा में 171 अंक मिले थे। चूंकि युवती मेडिकल जांच में पुरुष पायी गई है। इसलिए उसे नौकरी में नियुक्ति के लिए उसके नाम पर विचार नहीं किया गया है। आरटीआई से मिली इस जानकारी के बाद युवती ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
याचिका में युवती ने दावा किया था कि वह जन्म से लड़की है। उसे लड़की के तौर पर ग्रामपंचायत की ओर से जन्म प्रमाणपत्र जारी किया गया। उसने अपनी पढाई लड़की के तौर पर की है। स्कूल व कालेज से जो पहचानपत्र मिला है उसमे मेरी पहचान लड़की के तौर पर की गई है। चूंकि मेडिकल जांच में मुझे पुरुष घोषित किया गया है। इस आधार पर मुझे नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के बाद दिए फैसले में खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता समाज के कमजोर वर्ग से आती है। उसके माता-पिता गन्ना काटनेवाले मजदूर हैं। याचिकाकर्ता की दो बहनें व एक भाई है। उसके घर की माली हालत अच्छी नहीं है। याचिकाकर्ता घर में सबसे बड़ी है। उसे महिला वर्ग में पुलिस कांस्टेबल में भर्ती के लिए तय किए गए अंक से अधिक नंबर मिले हैं। सिर्फ याचिकाकर्ता को मेडिकल रिपोर्ट में लड़की की बजाय लड़का पाया गया है। इसलिए उसे नौकरी से वंचित किया गया है। याचिकाकर्ता ने जब पुलिस दल की परीक्षा दी थी तो वह 12 वीं पास थी। अब वह अच्छे अंको से बीए उत्तीर्ण हो चुकी है और एमए की पढाई कर रही है। इस लिए उसे सरकारी सेवा में समायोजित किया जाए।
Created On :   25 July 2022 8:27 PM IST