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रेड लाइट एरिया गंगा-जमुना के मंचन ने किया भावुक, आंखें हुईं नम

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर की बदनाम बस्ती गंगा-जमुना पर आधारित नाटक ने दर्शकों की आंखें नम कर दी। कलाकारों के जीवंत अभिनय ने स्त्री के स्वयं के अस्तित्व पर सवाल किया । स्त्री क्या केवल किसी की पत्नी, बेटी, बहन बन कर ही रह गई है। उसके अरमानों का तो जैसे गला घोंट दिया गया है। समाज में स्त्री को देवी तुल्य तो माना गया है, पर उसके साथ दुर्व्यवहार क्यों किया जाता है। ऐसे ही सवालों पर आधारित थी नाटक ‘गंगा-जमुना’ की कहानी। बालाजी बोरकर स्मृति प्रतिष्ठान नवरगांव के श्री व्यंकटेश नाट्य मंडल द्वारा वसंतराव देशपांडे सभागृह में बदनाम बस्ती ‘गंगा-जमुना’ नाटक का मंचन किया गया।
खेती से जुड़े हुए हैं नाट्य कलाकार
नाटक की कहानी शहर के इतवारी स्थित गंगा-जमुना बस्ती की महिलाओं के जीवन पर आधारित है। नाटक में राजाभाऊ जाधव (विजय मुले)की पत्नी सुमित्रा (मंजूषा जोशी), रेणु (देवयानी जोशी) व हीरा (शिल्पा मादले) तथा दो बेटियां और सुभाष (अंगराज बोरकर) का छोटा परिवार अपना जीवन खुशी-खुशी जीता है। रेणु की उम्र बड़ी रहती है, पर वह मानिसक रूप से अभी भी छोटे बच्चों की तरह व्यवहार करती है। हीरा को बेटा नहीं होता है, इसलिए वह पति (सदानंद बोरकर) और बच्चियों को छोड़कर अपने मायके चली जाती है। इस बात को लेकर गांव के लड़के रेणु का फायदा उठाते हैं, जिससे वह प्रेगनेंट हो जाती है। इसके बाद शुरू होती है नाटक की कहानी। नाटक के दूसरे भाग में महिला उन बदनाम गलियों में किस तरह से पहंचुती है ओर उसका जीवन किस तरह से बीतता है यह दिखाया गया है। नाटक में जितने भी कलाकारों ने अभिनय किया है सभी गांव में खेती करने वाले हैं। लेखक ने मिट्टी से जुड़े कलाकरों को लिया है। इसके साथ ही कलाकार चंद्रसेन लेंझे, विश्वनाथ पर्वते, हितेश ठाकरे, अभिजीत संगेल, शरद ठिकरे, अर्चना चव्हाण तथा रेखा चंद्रगिरवार ने जीवंत अभिनय से दर्शको के दिल में अमिट छाप छोड़ी है।
दान दी गई नाटक से मिली राशि
यह नाटक चैरिटी के लिए किया गया। इससे मिली राशि आम्रपाली उत्कर्ष संघ के रामभाऊ इंगोले को प्रदान किया गया। यह संस्था गंगा-जमुना की महिलाओं के बच्चों को गोद लेकर उन्हें मां-बाप का प्यार देती है।
Created On :   3 April 2018 1:08 PM IST