केन्द्रीय भूगर्भ सर्वेक्षण की रिपोर्ट, अध्ययन के बाद तय होगी दिशा विदर्भ में यूरेनियम के अंश

Report of Central Geological Survey, direction will be decided after study
केन्द्रीय भूगर्भ सर्वेक्षण की रिपोर्ट, अध्ययन के बाद तय होगी दिशा विदर्भ में यूरेनियम के अंश
नागपुर केन्द्रीय भूगर्भ सर्वेक्षण की रिपोर्ट, अध्ययन के बाद तय होगी दिशा विदर्भ में यूरेनियम के अंश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण को विदर्भ के तीन जिलों में पानी में यूरेनियम के अंश मिलने की जानकारी सामने आई है। इन तीन जिलों में उपराजधानी के तारसा समेत भंडारा के खैरलांजी और गोंदिया के ढाबेटेकड़ी गांव का समावेश है। हालांकि रेडियो एक्टिव यूरेनियम के अंश की मात्रा को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के दायरे में पाया गया है। ऐसे में इस अंश से मानवीय स्वास्थ्य को खतरा होने का कोई भी प्रमाण सामने नहीं आ रहा है। वहीं, केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण विभाग ने प्राथमिक रिपोर्ट की विस्तृत जांच का फैसला किया है। अगले तीन साल तक विभाग यूरेनियम के स्रोत, प्रमाण समेत व्यावसायिक खनन की संभावना समेत अन्य पहलुओं पर विस्तार से अनुसंधान करेगा। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि तय मानकों में होने से मानवीय स्वास्थ्य को खतरे की आशंका नहीं है।

कई स्तरों पर जांच : केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण विभाग की ओर से जून 2020 में पूरे देश भर में सर्वेक्षण किया गया था। लगभग 1115 से अधिक भूगर्भ जल के नमूनों की कई स्तर पर जांच की गई है। सर्वेक्षण में हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और दिल्ली के अधिकांश हिस्सों में यूरेनियम के अंश मिले हैं। महाराष्ट्र में 0.3 फीसदी यूरेनियम का अंश पाया गया है। देश भर के 1115 नमूनों में से विदर्भ के 3 नमूनों में यूरेनियम का अंश 30 पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) से अधिक पाया गया है। इन तीन जिलों  में भंडारा, गोंदिया और नागपुर का समावेश है। भंडारा में तुमसर तहसील के खैरलांजी में यूरेनियम 47.90 पीपीबी, गोंदिया के अर्जुन मोरेगांव के ढाबेटेकड़ी में 31.90 पीपीबी और नागपुर में मौदा तहसील के तारसा गांव में 33.44 पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) पाया गया है। इस सर्वेक्षण के बाद नए सिरे से विस्तृत सर्वेक्षण आरंभ किया जा रहा है। अगले तीन साल तक के सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर उत्खनन समेत अन्य पहलुओं पर जोर दिया जा सकता है।

अमरावती, अकोला, बुलढाणा और वाशिम में भूगर्भ जलसंचय में खासी कमी पाई गई है। हालांकि अमरावती और अकोला जिले में तापी और पूर्णा जलक्षेत्र में आने के बाद भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। इन इलाकों में पत्थरों वाला क्षेत्र होने से भूगर्भ स्तर कम पाया गया है। वहीं दूसरी ओर यवतमाल और चंद्रपुर में भूजल में फ्लोराइड अधिक मात्रा में पाया गया है। भूजल में अधिक फ्लोराइड के चलते हडि्डयों के साथ ही दांतों में भी समस्या होती है। ऐसे में इन जिलों में उपाय योजना आरंभ कर दिया गया है।

विस्तृत सर्वेक्षण की प्रक्रिया जारी

नीलोफर खान, वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक, केन्द्रीय भूजल सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक भूगर्भ जल के प्राथमिक सर्वेक्षण में यूरेनियम के अंश मिले हैं। यह अंश की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय मानकों के अनुपात में पाई गई है। ऐसे में अगले तीन साल तक विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा। फिलहाल इस पर अधिक जानकारी नहीं दी जा सकती है।

रासायनिक असंतुलन की स्थिति, विशेषज्ञों की राय : विदर्भ के तीन जिलों में भूगर्भ में यूरेनियम के अंश को लेकर विशेषज्ञों का अलग अनुमान है। विशेषज्ञों के मुताबिक अत्याधिक धूप और गर्मी के प्रभाव से वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज होने पर रसायन घटक के रूप में यूरेनियम समेत अन्य अंश पाए जाते हैं। हालांकि बरसात के पश्चात स्थिति सामान्य हो जाती है। दुनिया के सबसे पुराने पत्थर के रूप में आर्कियन स्टोन समूह को पहचाना जाता है। आर्कियन के उपसमूह के रूप में साकोली ट्रैंगल और सौंसर ट्रैंगल को शामिल किया गया है। इन इलाकों में मेटामार्फिक यानि रूपांतरित पत्थर पाए जाते हैं। लिहाजा, रासायनिक कंपोजिशन में बदलाव से यूरेनियम, लाइम, समेत अन्य रसायनों का प्रभाव दिखाई देता है। हालांकि इन अंशों के मानवीय स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर अब भी विशेषज्ञों की पुख्ता राय सामने नहीं आ रही है।

 

Created On :   14 April 2023 11:50 AM GMT

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