धोबी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने केन्द्र को भेजी रिपोर्ट 

Report sent to central to include dhobi community in scheduled caste
धोबी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने केन्द्र को भेजी रिपोर्ट 
धोबी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने केन्द्र को भेजी रिपोर्ट 

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  लंबे समय से आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे धोबी (परीट) समाज की राह अब आसान नजर आ रही है। धोबी समाज की पिछले 60 वर्षों से जारी मांग को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने संबंधी रिपोर्ट केन्द्र को भेजी है। इस पर अनुसूचित जाति जनजजाति आयोग ने अपनी सहमति भी दर्शाई है।  दिल्ली में अब जाकर मांग उठने से राज्य के सभी धोबी-परीट समाज ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। बता दें कि धोबी (परीट) समाज के अनुसूचित जाति में शामिल करने की  मांग को लेकर पिछले कई वर्षों से आंदोलन चल रहा है। महाराष्ट्र आरक्षण समन्वय समित के अध्यक्ष डी.डी. सोनटक्के के नेतृत्व में राजेन्द्र खैरनार, अनिल शिंदे, मुरलीधर शिंदे, संतोष सवतीरकर व सभी पदाधिकारी तथा समाज बंधुओं के सहयोग से आंदोलन जारी है। पिछले वर्षों से रमाकांत गदम के मार्गदर्शन में समूचे राज्य में आंदोलन ने गति पकड़ी है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस व पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से भी इस संदर्भ में चर्चा की गई। भांडे समिति की रिपोर्ट में की गई भूल को भी सामने लाया गया। इस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की गई थी। सामाजिक न्याय मंत्री सुरेश खाडे ने समाज की मांगों को गंभीरता से लिया व रिपोर्ट भेजने का आश्वासन दिया है। केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है। जिस पर शीघ्र ही निर्णय लिए जाने की उम्मीद की जा रही है।

आयोग ने भी की सिफारिश
महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने समाज के लिए आरक्षण की सिफारिश की है। 28 अगस्त को आयोग के सदस्य न्यायाधीश सी.एल. थूल ने सिफारिश संबंधी रिपोर्ट सहित पत्र भी भेजा है।  जिससे धोबी समाज के आरक्षण का मार्ग आसान हो गया है। अब इस पर केन्द्र क्या निर्णय लेता है इस ओर ध्यान केन्द्रित है।


पिछले 60 वर्षों से जारी है संघर्ष
गौरतलब है कि संयुक्त महाराष्ट्र बनने से पहले बुलढाणा और भंडारा जिले में समाज को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ मिलता था, लेकिन 1960 के बाद सरकार ने समाज को ओबीसी में डाल दिया और तब से यहां भी समाज के लोग लाभ से वंचित हो गये। मांगों को लेकर दर्जनों आंदोलन हुए लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। 2001 में दशरथ भांडे की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। समिति ने 2002 में अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें समाज को अनुसूचित जाति का लाभ देने की सिफारिश की गई लेकिन बाबासाहब आंबोडकर अनुसंधआन व प्रशिक्षण संस्था की रिपोर्ट से इसे जोड़ दिया गया और तब से भांडे समिति की रिपोर्ट धूल खा रही है।

 केन्द्र पर  सारा दारोमदार
राज्य सरकार ने  धोबी (परीट) समाज की मांगें मान ली है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, ऊर्जामंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, संजय कुटे, सुरेश खाडे के सहयोग से यह सब संभव हुआ है। अब केन्द्र से इस निर्णय पर सफलता मिलते की उम्मीद है।
 -- डी.डी. सोनटक्के, अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य धोबी (परीट) आरक्षण समन्वय समिति

Created On :   13 Sept 2019 5:19 PM IST

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