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मनचाही रिपोर्ट के लिए साइबर क्राइम विशेषज्ञ को परमबीर ने दिए 5 लाख रुपए
डिजिटल डेस्क, मुंबई। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी कार बरामद होने और कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या मामले में तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने साइबर अपराध विशेषज्ञ को मनचाही रिपोर्ट के लिए पांच लाख रुपए दिए थे। कुछ दिनों पहले मामले में आरोपपत्र दायर करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने साइबर अपराध विशेषज्ञ का बयान भी इसमें शामिल किया है जिससे यह खुलासा हुआ है। दरअसल एक टेलीग्राम एकाउंट से एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी कार खड़ी करने की जिम्मेदारी लेते हुए जैश उल हिंद नाम के संगठन की ओर से दावा किया गया था। मामले की शुरूआती जांच करने वाली मुंबई पुलिस ने दावा किया था कि साइबर विशेषज्ञों की जांच में खुलासा हुआ है कि धमकी भरा संदेश उसी एकाउंट से भेजा गया था, जिसके दिल्ली में इजराइली दूतावास के पास हुए धमाके की जिम्मेदारी लेने वाला संदेश भेजा गया था। साइबर अपराध विशेषज्ञ ने एनआईए को बताया कि पहले परमबीर सिंह ने तीन लाख रुपए देने का वादा किया था, लेकिन उनकी रिपोर्ट देखने के बाद उसे बहुत अच्छी बताते हुए उसके मना करने के बावजूद काम के लिए 5 लाख रुपए नकद दिए थे। एनआईए ने मामले में 10 हजार पन्नो का आरोपपत्र दाखिल किया है। अपने बयान में साइबर अपराध विशेषज्ञ ने बताया है कि वह अपराध शाखा के जवानों को प्रशिक्षण देने के मुद्दे पर बात करने के लिए इस साल 9 मार्च को मुंबई पुलिस आयुक्त के ऑफिस में गया था। बातचीत के दौरान उन्होंने सिंह को बताया कि उन्होंने इसी साल 29 जनवरी को इजराइली दूतावास के बाहर धमाके के मामले में टेलीग्राम से आए संदेश की गुत्थी सुलझाने में मदद की थी और उन्हें बताया था कि तिहाड़ जेल से एक मोबाइल से यह संदेश भेजा गया था। इसके बाद सिंह ने उनसे पूछा कि क्या वे ऐसी ही रिपोर्ट एंटीलिया मामले में बना सकते हैं। शुरूआती आनाकानी के बाद सिंह के कहने पर साइबर अपराध विशेषज्ञ ने उनके ऑफिस में ही बैठकर लैपटॉप पर यह रिपोर्ट बनाई। सिंह ने इस रिपोर्ट में टेलीग्राम से भेजा गया संदेश की तस्वीर शामिल करने को कहा। साइबर अपराध विशेषज्ञ ने एनआईए को बताया कि वे इसके लिए कोई पैसे नहीं चाहते थे ।
चार्जशीट में परमबीर का नाम क्यों नहीं-राकांपा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने साइबर अपराध विशेषज्ञ के बयान के बावजूद मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को आरोपी न बनाए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। पार्टी प्रवक्ता और राज्य के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि फर्जी रिपोर्ट तैयार करने से लिए साइबर अपराध विशेषज्ञ को पांच लाख रुपए देने के खुलासे के बावजूद सिंह को आरोपी नहीं बनाया गया। मलिक ने कहा कि परमबीर का इस्तेमाल कर अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाए गए। इसके बदले में एनआईए ने मामले में उन्हें बचाने का आश्वासन दिया है। इसीलिए एनआईए ने सिंह को आरोपी नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि इस जांच में कई खुलासे हो सकते थे लेकिन एनआईए ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया और कुछ लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
Created On :   8 Sept 2021 6:34 PM IST