मेडिकल में मृतकों के परिजनों से भी लूट, जानकर भी अनजान बना प्रबंधन

Robbed with relatives of dead patients in Medical, Management become unaware
मेडिकल में मृतकों के परिजनों से भी लूट, जानकर भी अनजान बना प्रबंधन
मेडिकल में मृतकों के परिजनों से भी लूट, जानकर भी अनजान बना प्रबंधन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) स्थित अतिदक्षता विभाग (आईसीयू) में मरीजों व मृतकाें के परिजनों से जमकर लूट चल रही है। उपचार से परेशान मरीज को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने की बात हो या मृत्यु के बाद शव को गांव ले जाने का मामला। दोनों ही स्थिति की जानकारी मिलते ही तुरंत निजी एजेंसी के अटेंडेंट सक्रिय हो जाते हैं। अति आत्मीयता दिखाते हुए अस्पताल में पहुंचे लोगों की मजबूरी का भरपूर फायदा उठाते हैं। एंबुलेंस चालक को फोन कर बुला तो लेते हैं, मगर कई गुना किराया वसूलते हैं।

कम वेतन ने बनाया बिचौलिया
मेडिकल में कार्यरत अभिजीत इंटेलिजेंस सिक्योरिटी एडं लेबर सप्लायर अटेंडेंट के नाम पर मेडिकल को 10 हजार रुपए का बिल बनाकर देती है। लेकिन कर्मचारियों को सिर्फ 5 या साढ़े 5 हजार रुपए वेतन देती है। यही वजह है कि अटेंडेंट बिचौलिया बनकर कमाई का अन्य साधन जुटाने लगे हैं। वहीं, एजेंसी द्वारा की जा रही अनियमितताआें के चलते अतिरिक्त कामगार आयुक्त विजयकांत पानबुडे ने जांच के आदेश दिए हैं।

मेडिकल के आईसीयू में सुरक्षा के चलते मरीजों के एक से अधिक परिजनों के प्रवेश पर रोक है। लेकिन यहां महाराष्ट्र सुरक्षा बल (एमएसएफ) के सुरक्षाकर्मियों की आंखों में धूल झोंककर एंबुलेंस संचालक घुसते रहते हैं। किसी मरीज की मृत्यु होने की खबर मिलते ही अभिजीत इंटेलिजेंस सिक्योरिटी एंड लेबर सप्लायर के अटेंडेंट अपने कान खड़े कर लेते हैं और एंबुलेंस चालक को फोन कर बुला लेते हैं।

मृतक के परिजन जब तक कुछ समझ पाते तब तक उनके मृतक का शव बांधकर एंबुलेंस में रखने की तैयारी कर ली जाती है। यह सारा घटनाक्रम होने के बाद जब लोगों को एंबुलेंस में बैठा लिया जाता है, तब उन्हें किराया बताया जाता है, जिसे सुनकर कई बार मृतक के परिजनों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है। इतना ही नहीं, उपचार से असंतुष्ट मरीजों के परिजनों पर भी इन अटेंडेंट की नजर रहती है, जो मौका मिलते ही शहर के निजी अस्पतालों में कम दाम में उपचार का भरोसा दिलाकर मेडिकल से ले जाते हैं। बाद में मरीज को निजी अस्पताल में पहुंचने पर ठगे जाने का अहसास होता है।

हैरानी की बात है कि अटेंडेंस से लेकर अवैध एंबुलेंस संचालक आईसीयू में ऐसा दिखावा करते हैं, जैसे वह मेडिकल के कर्मचारी या डॉक्टर हों। मेडिकल में पर्याप्त उपचार की सुविधा न होने का हवाला देकर निजी अस्पताल में उपचार की सलाह देते हैं। यदि कोई व्यक्ति झांसे में आ गया तो उससे मनमानी वसूली की जाती है। मेडिकल में अवैध एंबुलेंस संचालन का मामला हो या फिर मरीजों के साथ ठगी का मामला, हर बार मेडिकल प्रबंधन चुप्पी साधकर रखता है।

यही वजह है कि मेडिकल में समय-समय पर मरीजों के परिजनों से लूट की घटनाएं होती रहती हैं अौर फिर भी मेडिकल प्रबंधन की नींद नहीं खुलती है। वहीं महाराष्ट्र सुरक्षा बल के सुरक्षाकर्मी न तो अवैध एंबुलेंस संचालकों पर कार्रवाई करते हैं और निजी लैब वालों की घुसपैठ पर भी चुप्पी साधे हुए हैं।
 

Created On :   15 July 2018 4:25 PM IST

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