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ऐसी दुनिया बनाने घूम रहे रॉबिंस, जहां कोई भूखा न रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में रॉबिन हुड आर्मी के रॉबिंस जरूरतमंदों और स्लम के ऐसे लोगों तक खाना पहुंचाने का काम कर रहे हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं। वर्ष 2030 तक ‘शून्य भूखमरी (जीरो हंगर) वाली दुनिया बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राॅबिन हुड आर्मी के रॉबिंस पूरे देश में काम कर रहे हैं।
एक बार सोचें
हम जो खाना रेस्टॉरेंट और होटलों में छोड़ देते हैं, उसे ये जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं। भूखमरी से बहुत सारे लोग मर जाते हैं, जबकि कई स्थान ऐसे है, जहां पर बहुत सारा खाना बर्बाद होता है।
शुरुआत यहां से
इस संगठन की शुरुआत 6 वॉलिंटियर्स के साथ 2014 में दिल्ली में हुई थी। उस दौरान ग्रुप के सदस्य हौजखास फ्लाईओवर्स के पास गरीबों को खाना बांटते थे। आज देश और दुनिया के अलग-अलग शहरों और इलाकों में इसके अलग-अलग चैप्टर्स हैं।
किसी भी समय उन्हें कॉल कर सकते हैं : किसी होटल, रेस्टॉरेंट, घर, स्ट्रीट फूड होल्डर्स, शादी-पार्टी में अगर कोई बचा हुआ खाना देना चाहता है तो रॉबिंस से 7020857744, 8369244862 पर संपर्क कर सकते हैं। आपके बताए हुए स्थान पर आकर रॉबिंस खाने को इकट्ठा करेंगे और उसे जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगे। रॉबिंस का कहना है कि इसके लिए किसी भी समय उन्हें कॉल कर सकते हैं।
संडे को देते हैं फ्रेश फूड
रॉबिंस संडे को विभिन्न इलाकों में जाकर ताजा खाना तैयार करके सर्व करते हैं। शहर के कई होटल्स से इन्हें फ्रेश रोटी और सब्जी भी मिलती है। रॉबिंस स्वतंत्रता दिवस को दिवाली के रूप में मनाते हैं। रॉबिंस ने खाना इकट्ठा और सर्व करने के लिए समय और स्थान का कोई बंधन नहीं रखा है। कई बार तो सुबह के 4 बजे भी इन्होंने यह काम किया है। रॉबिंस का कहना है कि इसके लिए जरूरी नहीं है कि हमारे पास फोर व्हीलर हो, हमने टू व्हीलर से भी खाना इकट्ठा और सर्व किया है। हमारे ग्रुप का उद्देश्य गरीबों एवं भूखों का पेट भरना है, चाहे वो किसी भी तरीके से हो। शहर में इसकी शुरूआत 15 अगस्त 2017 को हुई। रॉबिंस में आज 200 से अधिक वॉलिंटियर्स हैं। जो शहर के अलग-अलग स्थानों पर जाकर खाना बांटते हैं। रॉबिंस के वॉलिंटियर्स से चर्चा के दौरान, उन्होंने बताया कि वे किस तरह से काम करते हैं।
सोशल मीडिया की सबसे अहम भूमिका
रॉबिंस आज न केवल हिंदुस्तान बल्कि पूरे देश में फैले हुए हैं। रॉबिन्स के सदस्य होटल, रेस्टॉरेंट, शादी-पार्टी तथा घरों से भी खाना इकट्ठा कर जरूरतमंदों तक पहंुचाते हैं। सोशल मीडिया के जरिए टीम का विस्तार हुआ और सही समय पर खाने की पहुंच भी सुनिश्चित की गई। कॉल आने पर इनकी टीम उन जगहों पर जाकर कंटेनरों में बचा खाना भरती है, जहां यह खाना व्यर्थ हो रहा होता है। इस खाने को विभिन्न इलाकों के झुग्गियों व पुनर्वास कॉलोनियों में जाकर बांटा जाता है। रॉबिंस की फूड ड्राइव ज्यादातर संडे को रखी जाती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका हिस्सा बन सकें। रॉबिंस को कहीं से खास आर्थिक सहायता नहीं मिल पाती, इसलिए पूरी टीम वॉलिंटियर्स के सहारे चलती है।
मुहिम से आप भी जुड़ सकते हैं
बहुत से होटल,रेस्टॉरेंट खुद इनसे संपर्क करते हैं और आसपास रहने वाले रॉबिंस खाना इकठ्ठा करने पहुंच जाते हैं, फिर इस भोजन को आसपास के जरूरतमंद लोगों में बांटा जाता है। सिर्फ दो घंटे का समय देकर कोई भी व्यक्ति इस मुहिम से जुड़ सकता है। जो समय नहीं दे सकते, लेकिन खाना सप्लाई कर सकते हैं, वे भी रॉबिनहुड आर्मी का हिस्सा बन सकते हैं।
Created On :   20 Dec 2018 5:36 PM IST