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रिपब्लिकन फ्रंट बनाकर ताकत बढ़ाने के प्रयास में जुटे आरपीआई के गुट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा चुनाव की तैयारी के लिए छोटे राजनीतिक दल भी सक्रिय होने लगे हैं। खासकर रिपब्लिकन पार्टी के विविध गुट एकत्र आने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रभाग रचना घोषित हाेने के बाद चुनिंदा सीटों को आरपीआई गुटों ने अपने अनुकूल माना है। लिहाजा रिपब्लिकन फ्रंट बनाकर विविध संगठनों को जोड़ने का काम किया जा रहा है। पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष प्रा. जोगेंद्र कवाड़े, रिपाई आंबेडकर के अध्यक्ष दीपक निकालजे, बहुजन रिपब्लिकन एकता मंच की अध्यक्ष सुलेखा कुंभारे, आरपीआई आठवले के नेता भूपेश थूलकर, खोरिप के उपेंद्र शेंडे सहित अन्य नेताओं ने विविध संगठनों के साथ चर्चा के अलावा संभावनाओं पर आरंभिक विचार किया है। प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व में बहुजन वंचित आघाड़ी के अलावा सुरेश माने के नेतृत्व में बीआरएसपी के स्थानीय पदाधिकारी चुनाव रणनीति पर काम करने लगे हैं। स्थानीय स्तर पर कुछ रिपाई संगठन भी सक्रिय हो रहे हैं।
संभावनाओं पर चर्चा
जीत की संभावनाओं पर चर्चा की जा रही है। आरपीआई आंबेडकर के अध्यक्ष दीपक निकालजे ने दो दिन पहले ही विदर्भ का दौरा किया। नागपुर, वर्धा, अमरावती में कार्यकर्ताओं से संवाद साधा। अगले माह गड़चिरोली में उनकी बड़ी बैठक होनेवाली है। निकालजे कहते हैं कि बाबासाहब आंबेडकर के विचारों काे नागपुर से ऊर्जा मिलती है। आरपीआई के नेताओं में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यहां आंबेडकवादी जनता व मतदाता अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने चाहते हैं। लिहाजा, सभी नेताओं से चर्चा कर एकजुटता दिखाने का प्रयास किया जाएगा। प्रा. जोगेंद्र कवाड़े कहते हैं- हमने काफी समय से रिपब्लिकन भाईचारा अभियान चलाया है। विविध गुट साथ आ रहे हैं। गुरुवार को इन गुटों की बैठक में चुनावी रणनीति पर विस्तृत चर्चा होगी। कवाड़े यह भी कहते हैं कि शहर में 80 से 90 स्लम क्षेत्र व पिछड़ी बस्तियों में विकास कार्य का इंतजार किया जा रहा है। अंबाझरी में आंबेडकर भवन के पुनर्निमाण का विषय भी ज्वलंत है। इस बार आरपीआई कार्यकर्ता पहले से अधिक उत्साही हैं।
यह है आधार : विविध चुनावों की तरह मनपा में भी आरपीआई की राजनीतिक स्थिति ठीक नहीं है। फिलहाल मनपा में सुलेखा कुंभारे के संगठन की एकमात्र नगरसेविका हैं। भाजपा के चिह्न पर उन्होंने चुनाव लड़ा था। आरपीआई आठवले ने 2017 के चुनाव में 15 सीटों की मांग की थी। उसमें उसे एक-दो सीटें ही मिली थीं। उसमें भी भाजपा के चिह्न पर ही चुनाव लड़ना पड़ा था। अन्य आरपीआई गुट पिछले चुनाव में मतदान के पहले ही चर्चा से बाहर हो गए थे। लेकिन दलित-बहुजन समाज की मत संख्या को देखते हुए आरपीआई गुट मानते हैं कि उनका आधार मजबूत है। इससे पहले मनपा की सत्ता में आरपीआई साझेदार रही है। महापौर बनाने में उसका समर्थन निर्णायक रहा है। फिलहाल मनपा में 157 सदस्यों के िलए चुनाव होगा। इनमें 31 सीटें अनुसूचित जाति व 11 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहेंगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 21,26,574 मतदाता थे। उनमें से 50 प्रतिशत ओबीसी व 15 से 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता थे। आरपीआई के गुट मानते हैं कि एकत्र चुनाव लड़ें, तो उनकी स्थिति मजबूत रहेगी। खास बात है कि ज्यादातर गुट चुनाव के पहले कांग्रेस व चुनाव के समय भाजपा के करीब नजर आते हैं।
Created On :   10 Feb 2022 5:30 PM IST