मनोचिकित्सालय में आरटीपीसीआर जरूरी, रिपोर्ट के चक्कर में स्टेशन व बस स्टैंड में काट रहे समय

RTPCR necessary in psychiatric hospital
मनोचिकित्सालय में आरटीपीसीआर जरूरी, रिपोर्ट के चक्कर में स्टेशन व बस स्टैंड में काट रहे समय
नागपुर मनोचिकित्सालय में आरटीपीसीआर जरूरी, रिपोर्ट के चक्कर में स्टेशन व बस स्टैंड में काट रहे समय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में अब आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बिना मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से यह नियम लागू किया गया है। रिपोर्ट के चक्कर में मरीजों को 24 घंटे तक इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ दिनों पहले यहां एक मरीज कोरोना पॉजिटिव आया था, जिसके चलते संपर्क में आए अन्य 9 लोग संक्रमित हुए थे। मनोचिकित्सालय में मरीजों को भर्ती करने के लिए आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाना जरूरी कर दिया गया है। मनोचिकित्सालय में मरीजों को लाने से पहले मेयो व मेडिकल में मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना पड़ता है। विशेषज्ञों की जांच के बाद मरीज की बीमारी की गंभीरता का पता चलता है। इसके बाद ही उन्हें प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में रेफर किया जाता है। सालभर से ऐसा करना अनिवार्य किया गया है। इसलिए मनोचिकित्सालय में लाए जाने वाले मरीज के पास मेयो या मेडिकल का रेफर लेटर होता है, लेकिन अब उन्हें आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट भी अनिवार्य कर दी गई है। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले यहां एक मनोरोगी कोरोना पॉजिटिव आया था। इसके संक्रमण में अाने से अन्य नौ लोग संक्रमित हुए थे। इसलिए अब आरटीपीसीआर रिपोर्ट लाना जरूरी कर दिया गया है।

मनोचिकित्सालय में सुबह 8 से 1.30 बजे तक ओपीडी में मरीज को लाना पड़ता है। यदि विलंब हुआ तो जांच व भर्ती प्रक्रिया नहीं होती। ऊपर से यहां अाने वाले मरीज शहर के दूरदराज के क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र व जिले के बाहर के होते हैं। अधिकतर मरीज के परिजन व रिश्तेदारों को यहां का समय मालूम नहीं रहता। ऐसे में 1.30 बजे के बाद आने वाले मरीजों को अगले दिन तक शहर में ही रुकना पड़ता है। दूसरी ओर आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट 24 घंटे बाद मिलती है। मान लीजिए किसी मरीज ने 1.30 बजे के बाद जांच करवाई है तो उसे 24 घंटे बाद यानी अगले दिन उसी समय रिपार्ट मिलती है। इस रिपोर्ट के इंतजार में भी रुकना पड़ता है। सूत्रों के अनुसार 4-5 मामले हर दिन होते हैं। इन लोगों के ठहरने के लिए मनोचिकित्सालय में व्यवस्था नहीं है। इसलिए यह लोग कहीं भी रुक जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि कुछ लोग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड या मनोचिकित्सालय के बाहर की किसी कोने में रुक जाते हैं। 
 

Created On :   18 Jan 2022 5:12 PM IST

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