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वन्यजीवों की प्यास बुझाने लगाए गए 214 जलकुंभ

डिजिटल डेस्क, साकोली (भंडारा)। नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प के दस हजार 417 वन्यजीवों के लिए 214 जलकुंभ तैयार किए गए हैं। 656,36 चौरस किलोमीटर में फैले व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्रफल को देखते हुए 214 जलकुंभ ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। पर्याप्त मात्रा में जलकुंभ न होने से वन्यजीव तृष्णा तृप्ति के लिए गांवों की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे जलकुंभ की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।
नवेगांव नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प में 10 हजार 417 वन्यजीव अधिवास करते हैं। जिसमें छह बाघ, 37 तेंदुए, 155 भालू, 20 बिल्ली, 374 जंगली सुअर तथा हजारों सांबर, चीतल शामिल हैं। प्रकल्प में 451 नीलगाय, 815 बंदर, 425 मोर व 42 चौसिंगा है। यह आंकड़े बुद्ध पूर्णिमा पर हुई गणना के है। ग्रीष्मकाल शुरू है। वन्यजीव पानी की तलाश में जंगल में भटकते हैं। प्रकल्प में पहुंचने वाले पर्यटकों को बाघ के दर्शन होते हैं। जंगल सफारी करने के लिए विदेशी पर्यटक भी पहुंच रहे हैं। नवेगांव - नागझिरा अभयारण्य क्षेत्रफल में कुल 241 जलकुंभ बनाए गए हैं। वन्यजीवों की संख्या को देखते हुए वनविभाग ने अधिक जलकुंभ तैयार करना जरूरी है। व्याघ्र प्रकल्प में 62 प्राकृतिक जलकुंभ होकर इनमें 57 में पानी उपलब्ध है। कृत्रिम 152 जलकुंभ हैं। 31 कृत्रिम जलकुंभ पर बोरवेल लगे हुए हैं। 112 जलकुंभ पर सोलर पंप लगे हैं। बाकी 16 स्थानों पर टैंकर से पानी डाला जाता है। 24 तालाबों में जल उपलब्ध है।
16 जलकुंभ के बोरवेल का जलस्तर घटने से टैंकर से पानी डाला जाता है। यह स्थिति गत अनेक वर्षों से बनी हुई है। इस पर स्थायी उपाय नहीं किया गया। 62 प्राकृतिक जलकुंभ में से 57 जलकुंभ में पानी होकर पांच सूख गए हैं। ग्रीष्मकाल शुरू होते ही जलकुंभ सुखने लगते हैं। प्राकृतिक जलकुंभ सूखते ही वन्यजीव पानी की तलाश में दर-दर होते हैं। कई बार वन्यजीव खेतों में पहुंचकर फसलों का नुकसान पहुंचाते हैं। इस समस्या पर दीर्घकालीन उपाय करने नवेगांव-नागझिरा प्रशासन ने कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की। जंगल के जलस्रोत सूखने से वन्यजीव पानी की तलाश में गांव का रूख कर रहे हैं। जिससे वन्यजीव व मानव संघर्ष की घटनाएं सामने आ रही है। वन्यजीवों के हमलों में मवेशियों के साथ ही किसान व नागरिक वन्यजीवों का शिकार हो रहे हैं।
Created On :   8 April 2019 3:59 PM IST