रेत का गोरखधंधा: शहर में ही जीवनदायिनी नदियों को छलनी कर रहे माफिया

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रेत का गोरखधंधा: शहर में ही जीवनदायिनी नदियों को छलनी कर रहे माफिया



-खनन पर एनजीटी की रोक, मजदूर लगाकर नगर निगम के प्रतिबंधित क्षेत्र से माफिया निकाल रहे अवैध रेत
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। 1 जुलाई से एनजीटी के आदेश पर प्रशासन ने रेत उत्खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन नगर निगम क्षेत्र में ही हावी रेत माफिया प्रशासन के आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि नगर निगम के प्रतिबंधित क्षेत्र से अवैध रेत निकाली जा रही है। जहां से आमजनों की आवाजाही पर निगम प्रबंधन ने रोक लगा रखी है, लेकिन इसी मार्ग से अवैध रेत कारोबारियों के दिन रात दर्जनों ट्रैक्टर चल रहे हैं।
भरतादेव फिल्टर प्लांट के पास से कुलबहरा नदी बहती है। जहां से शहर के 24 वार्डों में जल सप्लाई होती है। जल वितरण का संवेदनशीन क्षेत्र होने के कारण नगर निगम ने इस एरिया में आमजनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन इसी प्रतिबंधित क्षेत्र से दिन-रात बड़े पैमाने पर रेत का गोरखधंधा चल रहा है। गैंती, फावड़ा और बड़ी संख्या में मजदूर लगाकर दिन-रात दो दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर यहां से अवैध रेत उत्खनन करते हैं। शहर में ही प्रशासन का डर यहां के माफियाओं पर नहीं बचा है। बताया जा रहा है कि दिन से ज्यादा अवैध रेत यहां रात्रि के दौरान निकाली जाती है। संयुक्त रूप से माफियाओं का एक गुट यहां अवैध रेत उत्खनन में लिप्त है।
200 रुपए रोज पर लगाए दो दर्जन मजदूर
बहती नदी से अवैध रेत निकालने के लिए रेत माफियाओं ने यहां 200 रुपए रोज पर दो दर्जन से ज्यादा मजदूर लगाकर रखे हुए हैंं। शनिवार को "दैनिक भास्करÓ की टीम यहां जब मौके पर पहुंची तो मजदूरों ने बताया कि उन्हेंं नदी से रेत निकालने के लिए रोजाना 200 रुपए दिए जाते हैं। शहर में संचालित छोटे-छोटे कंस्ट्रक्शन वर्क में इस रेत की सप्लाई होती है। यहां से निकलने वाली अवैध रेत का बड़ा कारोबार शहर में है।

Created On :   4 July 2021 5:48 PM IST

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