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यदी सरकार का प्लान हुआ फिट, तो इंपोर्टेड रेत से बनेंगी इमारतें

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आने वाले दिनों में महाराष्ट्र के बड़े प्रोजेक्ट्स में विदेशी रेत का इस्तेमाल होगा। यानी देसी सीमेंट में अब विदेशी रेत मिलेगी, लेकिन आपको बता दें कि ये सब एक खास मकसद से किया जा रहा है। वो खास कारण है राज्य में अवैध उत्खनन पर लगाम लगाना। सीमेंट की तरह अब रेत भी बोरियों में बिकने लगेगी। विदेश से बड़े पैमाने पर रेत आयात कर राज्य में बड़े प्रकल्पों के लिए रेत की बोरियां बेची जाएंगी। राज्य सरकार इस संबंध में विचार कर रही है। रेत की कालाबाजारी व अवैध उत्खनन को रोकने के उपाय के तौर पर यह योजना बनाई जा रही है। राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने बुधवार को प्रश्नकाल में जानकारी दी। पाटील ने बताया कि कई प्रयासों के बाद भी अवैध रेत ढुलाई की शिकायत मिल रही है।
अवैध रेत ढुलाई में लिप्त वाहनों पर भारी आर्थिक दंड लगाने का प्रावधान किया गया है। पिछले वर्षों में 22 करोड़ रुपए का आर्थिक दंड वसूला गया है। राज्य में बड़े प्रकल्पों, बांध निर्माण और सड़क निर्माण के लिए सरकार की ओर से रेत उपलब्ध कराई जा रही है। सहकारी संस्थाओं के निर्माण कार्य के लिए भी सरकार की ओर से रेत उपलब्ध कराने का प्रयास चल रहा है। बड़े प्रकल्पों के लिए सीमेंट की बोरियों की तरह रेत की बाेरियां उपलब्ध कराने का भी विचार है।
मलेशिया जैसे छोटे देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेत कारोबार कर रहे हैं। आंध्रप्रदेश में विदेश से रेत आयात कर प्रकल्पों के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास हुआ है। मलेशिया महाराष्ट्र को भी रेत भेजने को तैयार है। बोरी में रेत उपलब्ध कराने के संबंध में राजस्व विभाग की दो बार बैठक भी हुई है। रेत आयात की चर्चा की गई है।
राज्य में निजी निर्माण कार्य या मकान बनाने के लिए निर्धारित शुल्क पर 2 ब्रास रेत सरकार उपलब्ध कराती है। बीपीएल सूची के तहत गरीबों को घर बनाने के लिए रेत का शुल्क नहीं लिया जाता है। राकांपा सदस्य अजित पवार, क्षितीज ठाकुर, हितेंद्र ठाकुर व अन्य ने यह मामला उठाया था। प्लास्टिक बंदी की तरह रेत बंदी लागू करने के विचार पर भी चर्चा की गई।
Created On :   11 July 2018 8:54 PM IST