संजय गांधी निराधार योजना में बिना पूछे काट दिए थे नाम डेढ़ साल बाद भी नहीं जुड़े

Sanjay Gandhi baseless scheme : names were cut without asking, even after one and a half years
संजय गांधी निराधार योजना में बिना पूछे काट दिए थे नाम डेढ़ साल बाद भी नहीं जुड़े
विडंबना संजय गांधी निराधार योजना में बिना पूछे काट दिए थे नाम डेढ़ साल बाद भी नहीं जुड़े

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार आने के बाद जिले के 15 हजार लाभार्थियों के नाम काटे जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि कर्मचारियों की कारगुजारी से 2020 में कई लाभार्थियों के नाम सूची से हटाए जाने का मामला सामने आया। पीड़ित लाभार्थी पिछले डेढ़ साल से कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इन्हें अनुदान नहीं मिला है। 

ऐसी है योजना

मध्य नागपुर में रहनेवाली देवकाबाई कापटे, सोमाबाई गौर, ताराबाई तिवारी का नाम डेढ़ साल पहले लाभार्थी की सूची से हटा दिया गया। इसी तरह दक्षिण नागपुर में रहनेवाली प्रेमा मुन्ना साहू का नाम भी डेढ़ साल पहले लाभार्थी की सूची से हटा दिया गया। कार्यालय पहुंचने पर पता चला कि सूची से नाम हटाने के कारण अनुदान बंद कर दिया गया। इन्हें दोबारा दस्तावेज जमा करने को कहा गया। सभी ने दोबारा दस्तावेज जमा किए आैर दर्जनों बार कार्यालय के चक्कर काटे, लेकिन अभी तक इन्हें अनुदान नहीं मिल सका। 

तहसीलदार की भी नहीं सुनते कर्मचारी

संबंधित मामले तहसीलदार के पास पहुंचे। तहसीलदार ने फिर से इनके दस्तावेज लिए आैर संबंधित कर्मचारियों को अनुदान पुन: जारी करने के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। डेढ़ साल से प्रक्रिया ही चल रही है। 

कहां से लाएंगे मंजूरी आदेश

कुछ ऐसे भी पीड़ित हैं, जिन्हें मंजूरी आदेश की कॉपी लाने काे कहा गया है। जिला प्रशासन की तरफ से जो केस ऑनलाइन मंजूर होती है, उनके दस्तावेज संबंधित फोल्डर में दो साल तक रखे जाते हैं। दो साल बाद फोल्डर से मंजूरी आदेश की कॉपी डिलीट हाे जाती है। अब पीड़ित मंजूरी आदेश की कॉपी कहां से लाएं, यह बड़ा सवाल है। तहसीलदार व नायब तहसीलदार से संपर्क करने पर दोनों के मोबाइल बंद बताए गए। 

नाम हटाने के पहले विचार जरूरी

एड. संजय बालपांडे, पूर्व अध्यक्ष संजय गांधी निराधार योजना (मध्य) के मुताबिक लाभार्थियों के नाम हटाने के पहले सभी पहलू पर विचार होना चाहिए। संबंधित लाभार्थी को बुलाकर उनका पक्ष सुनना चाहिए। अधिकांश लाभार्थी अशिक्षित होते हैं। मंजूर आदेश की कॉपी इनके पास नहीं रहती। दोबारा दस्तावेज जमा करने पर भी अनुदान जारी नहीं हुआ। तहसीलदार से मिलकर इन मामलों पर चर्चा की जाएगी। 


 

Created On :   30 Jan 2022 2:25 PM IST

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