पालघर मामले में सरसंघचालक मोहन भागवत ने पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

Sarsanghchalak questioned on role of police in Palghar case
पालघर मामले में सरसंघचालक मोहन भागवत ने पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल
पालघर मामले में सरसंघचालक मोहन भागवत ने पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पालघर हत्या प्रकरण को लेकर चल रहे बयानों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा है कि पालघर में पुलिस को क्या करना चाहिए था? इस बारे में सोचा जाना चाहिए। कोरोना संकट के इस दौर में लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करने का आह्वान करते हुए सरसंघचालक ने यह भी कहा कि समाज में संयमता जरूरी है। दोनों तरफ से कोई डर या गुस्सा नहीं होना चाहिए। रविवार को सरसंघचालक डॉ.भागवत स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। वर्तमान स्थिति पर बौद्धिक वर्ग के तहत सरसंघचालक का संबोधन शाम 5 बजे फेसबुक व यू-ट्यूब पर प्रसारित हुआ। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि इस संकट में धैर्य व संयम को न छोड़ें। किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि कुछ लोग केवल समाज को उकसाने का प्रयास करते रहते हैं। कोरोना को लेकर सतर्कता के तहत आरएसएस ने मार्च से जून तक के अपने सारे कार्यक्रम स्थगित कर दिए थे, लेकिन कुछ लोगों को लग रहा था कि सरकार उनके कार्यक्रमों पर बिना कारण प्रतिबंध लगाने जा रही है। कोरोना नई बीमारी है। इसके बारे में अधिक जानकारी किसी को मालूम नहीं है। ऐसी स्थिति में सतर्कता की उपाय योजनाओं का पालन करना होगा। कुछ लोग नियमों व दिशा-निर्देशों से बंधे हुए जताते हुए कट्‌टरता दिखाने लगते हैं।

क्रोध से बुद्धि का विनाश

सरसंघचालक डॉ.भागवत ने कहा कि क्रोध बुद्धि का विनाश कर देता है। क्रोध बढ़ने व बढ़ाने से चरमपंथी कृत्यों को भी बढ़ावा मिलने लगता है। कुछ लाभ पाने के लिए समाज व परिणाम का ध्यान नहीं रखा जाता है। क्रोध को बढ़ावा देने वाली ताकतें लाभान्वित होती हैं। अधिक लाभ लेने का प्रयास भी किया जाता है। सरसंघचालक ने जोर देकर कहा कि भारत के 130 करोड़ नागरिक भारतीय हैं। भारत की संतान हैं। भाई बंधु हैं। बंधुभाव को ध्यान में रखा जाना चाहिए। दोनों तरफ से कोई डर या गुस्सा नहीं होना चाहिए।

जिम्मेदार लोग समाज की रक्षा करें

सरसंघचालक ने समाज के जिम्मेदार लोगों से सामाजिक संरक्षण का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि तर्कसंगत तरीके से और जिम्मेदार लोगों को अपने समुदायों-समूहों को इससे बचाना चाहिए। यह स्वयं ही सोचा जाना चाहिए कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो क्या होगा।

पालघर पर यह कहा

क्या दो साधुओं की हत्या होनी चाहिए? क्या कानून व्यवस्था किसी एक के हाथ में होना चाहिए? पुलिस को क्या करना चाहिए था? ये सभी चीजें ऐसी हैं जिन पर सोचा जाना चाहिए।

Created On :   27 April 2020 1:55 PM IST

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