लोकायुक्त के चंगुल में उपायुक्त को बचाने पटवारी का कारनामा - बंजर जमीन पर दिखाई एक करोड़ की फसल

Save the Deputy Commissioner in the clutches of the Lokayukta, the action of Patwari - one crore crop seen on the wasteland
लोकायुक्त के चंगुल में उपायुक्त को बचाने पटवारी का कारनामा - बंजर जमीन पर दिखाई एक करोड़ की फसल
लोकायुक्त के चंगुल में उपायुक्त को बचाने पटवारी का कारनामा - बंजर जमीन पर दिखाई एक करोड़ की फसल

डिजिटल डेस्क  छिंदवाड़ा। दो साल पहले छिंदवाड़ा में हुई लोकायुक्त की छापेमार कार्रवाई एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। 29 सिंतबर 2016 को जनजाति विकास विभाग के जबलपुर उपायुक्त सेवकराम भारती के छिंदवाड़ा स्थित निवास पर लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई की थी। तब लोकायुक्त पुलिस का दावा था कि कार्रवाई में उपायुक्त की करोड़ों की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया गया है। उपायुक्त के यहां हुई ये कार्रवाई की बात दो साल पुरानी हो गई। लेकिन ये खबर सरकारी सिस्टम के सबसे हुनरमंद तबके यानी पटवारी से जुड़ी है। जिसने उपायुक्त की बंजर जमीन को खेतिहर बताकर 17 साल में 1 करोड़ की आय का प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जब ये प्रमाण पत्र आयकर विभाग और लोकायुक्त के अधिकारियों के पास पहुंचा तो नए सिरे से गणना शुरु हुई। बंजर जमीन पर ये आय कैसे हुई, कब कितना उत्पादन हुआ ये आंकड़ा अधिकारी नहीं दे पाए। अब इस प्रकरण में उपायुक्त के साथ-साथ बंजर जमीन पर करोड़ों की फसल उगाने वाले पटवारी पंकज काकोड़े को भी जांच के दायरे में ला दिया है। इस हुनरमंद पटवारी द्वारा जारी किए गए सर्टीफिकेट के साथ-साथ पटवारी की भी जांच शुरु की गई है।
ये था पूरा मामला:  बरामद हुई थी करोड़ों की संपत्ति
29 सिंतबर 2016 को उपायुक्त भारती के छिंदवाड़ा स्थित सत्यम शिवम कॉलोनी और ईशा नगर के अलावा जबलपुर में लोकायुक्त पुलिस ने छापामार कार्रवाई की थी। जिसके बाद आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण लोकायुक्त पुलिस ने उपायुक्त के खिलाफ दर्ज किया था। छिंदवाड़ा में उपायुक्त के यहां से चार वाहन, 1.60 लाख रुपये नगद, दो मकान और सात एकड़ के फार्म हाऊस का पता चला था।
ऐसे समझिए पूरा मामला
- अघोषित आए बरामद होने के उपायुक्त भारती को लोकायुक्त अधिकारियों द्वारा आय के प्रमाण देने को कहा गया।
- इस दौरान उपायुक्त ने एक करोड़ की एफडी अपनी कृषि आय से दर्शा दी गई। ताकि छिंदवाड़ा में बरामद संपत्ति का रिकॉर्ड मिल सके।
- उपायुक्त द्वारा रिपोर्ट देने के बाद पड़ताल शुरु हुई तो फसलों की खेती से 50 हजार प्रति रुपये अर्जित करने का कोई उदाहरण सामने नहीं आया।
- अधिकारियों ने जांच में ये भी पाया की जमीन में सिंचाई के कोई साधन भी नहीं थे फिर कैसे करोड़ों की फसल की बोआई हो गई।
- ये भी कहा गया कि ये एक करोड़ की आय खाद-बीज, जुताई, बुवाई और कटाई सहित पेस्टीसाइड और बिजली जैसे खर्च काटने के बाद की है।
पटवारी ने ऐसे कर दी गणना
 2016 में छापामार कार्रवाई के बाद उपायुक्त को लोकायुक्त के सामने बरामद की गई आय को बताना था। नर्मदी बाई जो उपायुक्त की सास है कि 13.5 एकड़ बंजर जमीन की गणना करवाई गई। जिसमें हर साल 6.67 लाख रुपये की आय दर्साई गई। ये भी बताय गया कि नर्मदी बाई ने हर साल 150 क्विंटल गेहूं बेचा। ये भी बताया गया कि ये राशि हर साल नर्मदी बाई अपने दामाद को देती गई और दामाद बच्चों के नाम से एफडी बनाते रहा। 17 साल में एक करोड़ की आय का सर्टिफिकेट पटवारी द्वारा दिया गया।

 

Created On :   28 March 2018 1:26 PM IST

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