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सावन सोमवार - श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है पहली पायरी

डिजिटल डेस्क छिन्दवाड़ा/जुन्नारदेव। जुन्नारदेव विकासखंड की ग्राम पंचायत विशाला में स्थित प्राचीन महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। महाशिवरात्रि पर आयोजित होने वाली महादेव यात्रा और नाग पंचमी पर आयोजित होने वाली नागद्वारी यात्रा में शिरकत करने वाले श्रद्धालु पहली पायरी से ही अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं। मंदिर में महादेव शंकर, माता पार्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं। पौराणिक मान्यता है की भस्मासुर से अपना बचाव करते हुए महादेव शंकर विशाला होते हुए चौरागढ़ पर्वत पर पहुंचे थे। यही कारण है कि विशाला को महादेव यात्रा की पहली पायरी कहा जाता है। विशाला मंदिर में मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है।
कुंड से 24 घण्टे बहता रहता है पानी
विशाला मंदिर में स्थित गौमुख कुंड से 24 घंटे पानी अनवरत बहते रहता है। गर्मियों के दिनों में भी इस कुंड के पानी की रफ्तार कम नहीं होती। पानी कहां से आता है, इसका स्रोत क्या है, इसका अभी तक पता नहीं चल सका है। इस शीतल पानी मे स्नान करने के लिए रोजाना श्रद्धालु पहुंचते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण क्षेत्र में मंदिरों की श्रृंखला
विशाला में महादेव मंदिर के आसपास देवी-देवताओं के कई मंदिर स्थित है। अर्धनारीश्वर महादेव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, मां शेरावाली का मंदिर, देवी काली मंदिर सहित अन्य मंदिर यहां स्थित हंै। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। सागौन के वृक्षो से आच्छादित इस वन परिक्षेत्र में बंदर, मोर, खरगोश सहित अन्य वन्यप्राणी भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
ऐसे पहुंचे विशाला
विशाला मंदिर शहरी क्षेत्र से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। ट्रेन और बस के माध्यम से श्रद्धालु जुन्नारदेव पहुंचकर इस मंदिर तक पहुंचते हंै। जुन्नारदेव नगर में श्रद्धालुओं के रुकने के लिए लॉज, होटल भी हैं।
Created On :   16 Aug 2021 2:59 PM IST