जमीन की धांधली...फर्जी रजिस्ट्री पर दो बार बिक गई डेढ़ करोड़ की कीमती जमीन

जमीन की धांधली...फर्जी रजिस्ट्री पर दो बार बिक गई डेढ़ करोड़ की कीमती जमीन
जमीन की धांधली...फर्जी रजिस्ट्री पर दो बार बिक गई डेढ़ करोड़ की कीमती जमीन

रजिस्ट्री विभाग की जानकारी से उजागर हुआ मामला, सिवनी प्राणमोती की जमीन विक्रय में हुई गड़बड़ी
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा ।
फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर जमीन की बिक्री का सनसनीखे मामला सामने आया है। एक छोड़ दो बार फर्जी दस्तावेजों के आधार पर  डेढ़ करोड़ की कीमति जमीन बेच दी गई। जमीन से जुड़े दस्तावेज सामने आने के बाद राजस्व से जड़े अधिकारी भी सकते में हैं। इस प्रकरण को लेकर पूरे राजस्व महकमें में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल पूरा खेल कूटरचित दस्तावेज बनाकर जमीन के फर्जी विक्रय का है, जिसमें राजस्व न्यायालय को भी गुमराह कर पूरा खेल रचा गया है।
करोड़ों की जमीन का ये मामला नगर निगम क्षेत्र के सिवनी प्राणमोती की खसरा नं. 153/60 रकबा 0.559 हेक्टेयर जमीन का है। 2017 तक सरकारी रिकार्डों में ये जमीन  सिवनी प्राणमोती निवासी नरेश उईके के नाम थी, लेकिन 2019 में ये जमीन चारगांव निवासी सुनील उईके नामक व्यक्ति के नाम हो गई, जबकि जमीन के मालिक नरेश तक को ये खबर नहीं थी कि उसकी जमीन को बेचा जा चुका है। 2017 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बिकी इस जमीन का नामांतरण दो साल बाद 10 अक्टूबर 2019 को सुनील उईके के नाम हो गया। सरकारी दस्तावेज भी तैयार हो गए, लेकिन ये रोचक मामला यही आकर नहीं थमा बल्कि इसी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ये जमीन बाद में सुनील उईके द्वारा बांकानागनपुर निवासी कुसुम कुमरे को बेच दी गई। इसका भी बाकायदा नामांतरण कर लिया गया और किसी को खबर तक नहीं हुई। पूरा मामला तब सामने आया जब तीसरी बार इस जमीन को बेचने की कोशिश हुई। अधिकारियों के संज्ञान में प्रकरण आने के बाद अब ये मामला तहसील न्यायालय में चल रहा है। फर्जी दस्तावेजों का ये खेल देखकर अफसरों की भी नींद उड़ी हुई है। प्रकरण से जुड़े सभी लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। प्रकरण से जुड़े सभी किरदारों की तलाश की जा रही है।
ऐसे खुला पूरा मामला...
फर्जी रजिस्ट्री का ये मामला सामने आने के बाद तहसील कार्यालय ने रजिस्ट्री विभाग से एमपी 078202017 ए 1242964(रजिस्ट्री दिनांक 22 दिसंबर 2017) से संबंधित दस्तावेज मंगवाए गए। रजिस्ट्री विभाग ने जब नंबर के आधार पर संपदा साफ्टवेयर को सर्च किया तो पाया कि ऐसा कोई भी प्रकरण कभी पंजीबद्ध नहीं किया गया। रजिस्ट्री से संबंधित कोई भी दस्तावेज भी पंजीयन विभाग में मौजूद नहीं थे।
ऐसे समझिए पूरा मामला...
22 दिसंबर 2017 को नरेश उईके की रजिस्ट्री सुनील उईके को की गई, लेकिन नरेश को खबर तक नहीं थी कि उसकी जमीन बेची जा चुकी है। इस पूरे प्रकरण में नामांतरण दो साल बाद किया गया। विक्रेता का शपथपत्र भी नहीं लिया गया। सिर्फ क्रेता सुनील उईके का शपथ पत्र लिया गया।
इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर सुनील उईके ने ऋण पुस्तिका बनाकर कुसुम कुमरे को 5 दिसंबर 2019 को जमीन विक्रय कर दी। कुसुम कुमरे ने भी खुद के नाम से नामांतरण 19 दिसंबर 2019 को करवा लिया। उसकी भी ऋण पुस्तिका बना दी गई।
80 लाख में खरीदी, 57 लाख में बिक्री
जमीन की इस धांधली में एक और रोचक बात है। 2017 में जब इस जमीन को खरीदा गया तो रजिस्ट्री में 80 लाख 36 हजार 530 रुपए कीमत दर्शाई गई। जबकि 2019 में जब ये जमीन दोबारा बेची गई तो इसकी कीमत 57 लाख 47 हजार 784 रुपए में विक्रय दर्शाया जा रहा है। 80 लाख में जमीन खरीदकर इसे 57 लाख में बेचना भी अधिकारियों ने जांच में लिया है।
जब हुई रजिस्ट्री तब था ही नहीं वह सब रजिस्ट्रार
2017 में जब ये रजिस्ट्री हुई तब बनी रजिस्ट्री में उपरजिस्ट्रार प्रदीप भटनागर का नाम अंकित है। रजिस्ट्री में सब रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर भी हैं। जबकि बताया जा रहा है कि निर्धारित तिथि के 15 दिन पहले ही सब रजिस्ट्रार का छिंदवाड़ा से तबादला कर दिया गया था। जिसका प्रभार भी बाद में अन्य रजिस्ट्रार को सौंप दिया गया।
इनका कहना है...
॥मामला संज्ञान में आने के बाद धारा-32 के तहत नोटिस जारी किया गया है। पुनर्विलोकन की कार्रवाई के लिए प्रकरण कलेक्टर को भेजा जा रहा है। सुनवाई के बाद इस प्रकरण में गड़बड़ी करने वालों के विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी।
-महेश अग्रवाल, तहसीलदार, छिंदवाड़ा
॥जिस जमीन की रजिस्ट्री की जानकारी तहसील कार्यालय से मांगी गई थी। वह रजिस्ट्री पंजीयन विभाग में हुई नहीं। संपदा साफ्टवेयर में भी रजिस्ट्री का जिक्र नहीं है। रजिस्ट्री से संबंधित सभी जानकारी से तहसील न्यायालय को अवगत करा दिया गया है।
-बद्री साहू, सब रजिस्ट्रार, छिंदवाड़ा

Created On :   23 Dec 2020 6:44 PM IST

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