- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- इस मकान में दफन है बुजुर्ग भाई-बहन...
इस मकान में दफन है बुजुर्ग भाई-बहन के साथ उनके पिता की मौत का रहस्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बजाजनगर के इस घर में कई राज दफन हैं। हाल ही में यहां बुजुर्ग भाई-बहन की लाशें मिलीं। इसके पहले दोनों का पिता कहां गायब हो गया, किसी को उसके बारे में कुछ पता नहीं चल सका। मोहनलाल रांझमोली ओठवानी, उम्र 75 साल और उसकी बहन शांताकौर ओठवानी उम्र 70 साल की मौत अब कई कयासों को जन्म दे रही है। करीब 45 साल पहले मोहनलाल ने सुरेंद्रनगर स्थित प्लॉट नंबर 14 ‘दी सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज को-ऑप. हाउसिंग सोसाइटी’ से खरीदा था। उसके बाद उसने मकान बनाया। बिना प्लास्टर के पक्के मकान में करीब 30 साल पहले तीन लोग रहते थे- मोहनलाल, उसकी बहन और पिता रांझमोली। रांझमोली तीन दशक पहले अचानक गायब हो गए। वह कहां गए, इस बारे में कुछ पता नहीं चल पाया।
चर्चा है कि कहीं रांझमोली को इसी मकान के किसी कोने में दफना तो नहीं दिया गया। मोहनलाल के बारे में यह भी कहा जाता है कि उसकी शादी हुई थी, लेकिन पत्नी छोड़कर चली गई। कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि कहीं किसी बिल्डर की इस मकान पर नजर तो नहीं थी।
जरा सी आहट पर कांप उठते थे
दोनों भाई-बहन लंबे समय से दहशत में जीते थे। जरा सी आहट पर कांप उठते थे। इसलिए शायद मोहनलाल ने कमरे में दूरबीन लगा रखी थी। वह घर के बाहर आने जाने वाले लोगों को दूरबीन से नजर रखता था। खतरे का आभास होने पर तुरंत पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन लगा दिया करता था। इस मानसिक स्थिति में वे कब पहुंचे, इसकी जानकारी तो नहीं पर उसके पास बजाजनगर थाने के कई पुलिस कर्मियों के फोन नंबर थे। खतरे का एहसास होने पर वह तुरंत पुलिस कर्मियों को फोन करता था। उसने बजाज नगर थाने में पड़ोसियों के खिलाफ भी कई शिकायतें कर रखी हैं। दोनों भाई-बहन को सनकी कहकर बुलाया जाता था। पड़ोसियों का कहना है कि वह गाली-गलौज करता था। उसकी बहन और मोहनलाल साइको से कम नहीं थे। वह घर में किसी को आने जाने नहीं देते थे।
मौत के रहस्य की गुत्थी
मोहनलाल और उसकी बहन की मौत की रहस्य गुत्थी अभी पूरी तरह सुलझ नहीं पाई है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस के पास इन दोनों के नाम सीनियर सिटीजन की सूची में नहीं थे। पुलिस सीनियर सिटीजन के नामों की सूची तैयार होने का भले ढिंढोरा पीटती है, लेकिन मोहनलाल और उसकी बहन की तरह और न जाने कई थानों में कितने सीनियर सिटीजन के नामों की पुलिस के पास सूची नहीं होगी। हालांकि पुलिस विभाग के आला अधिकारी दावा है कि उनके पास साढ़े 5 हजार सीनियर सिटीजन के नामों की सूची है।
श्वानों को पिलाने के लिए कभी 50 लीटर दूध लेते थे
सोसाइटी के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मोहनलाल और उसकी बहन करीब ढाई साल पहले 50 लीटर दूध बस्ती में घूमने वाले श्वान को पिलाया करते थे। करीब 20 श्वान उन्होंने घर में पाल रखे थे। कुछ समय बाद उनके पास दो श्वान ही बचे रह गए, जिसमें उनकी मौत के साथ ही एक श्वान की मौत हो गई। दूसरा श्वान अंधा और बहरा था। उसे महानगरपालिका के लोग ले गए।
अनेकों के खिलाफ शिकायत
16 नवंबर 1973 में मोहनलाल 50 रुपए का शेयर लेकर सोसाइटी का सदस्य बना और करीब 1600 रुपए में प्लॉट नंबर 14 खरीदा था। यह प्लॉट 5 हजार वर्गफीट का है। चर्चा है कि उसके प्लॉट पर कुछ भू-माफियाओं की नजर है। हालांकि इस मामले में बजाजनगर के थानेदार पाटील की राय है कि उसने कभी इस तरह के मामले की शिकायत नहीं की। पड़ोसी अतुल का कहना है कि उसने कई लोगों की शिकायतें थाने में कर रखी थी। अतुल के खिलाफ भी की है। हो सकता है कि उसने किसी भू-माफिया के बारे में भी कोई शिकायत की हो, जिसे पुलिस गंभीरता से न लिया हो।
जब से खुला पेट्रोल पंप, रहने लगे परेशान
मोहनलाल को सिर्फ पुलिसवालों पर ही भरोसा था। उनके घर के सामने कोई भी वाहन, ठेला खड़ा कर देता था तो वे काफी परेशान हो जाते थे। सीधे पुलिस को फोन कर देते थे। जब से मोहनलाल के प्लॉट के बगल में पेट्रोल पंप खुल गया, वह और परेशान रहने लगे। लोग उनके मकान को भूतिया घर बोलते थे। मोहनलाल की बहन मानसिक रूप से बीमार हो चुकी थी। वह उसकी देख-रेख भी करता था। उम्र के हिसाब से मोहनलाल भी लाचार हो चला था।
केवल 11 नंबरों तक सीमित था परिवार
मोहनलाल के मोबाइल फोन का पुलिस ने सीडीआर निकाला। उसमें 11 मोबाइल कॉल निकले हैं, जिस पर मोहनलाल अक्सर बातें करता था। यह उनके गैस, इलेक्ट्रिक बिल, अनाज, पानी का बिल, दूध लाने वालों का है, कुछ पुलिसवालों के भी नंबर मिले हैं। जिनके पास मोहनलाल का भी नंबर रहता था। वह अक्सर फोन करता था। इसलिए कई पुलिसवालों के पास उसके नंबर थे। कुछ पुलिसवाले मोहनलाल के संपर्क में थे। चर्चा यह भी है कि घर में एक श्वान की मौत हो गई और दूसरा श्वान जीवित कैसे बच गया।
पोस्टमार्टम में खुलासा-पेट मेंं दाना नहीं और 8 ड्रमों में भरा मिला अनाज
उनके घर में अनाज 8 ड्रमों में मिला है। इतनी बड़ी मात्रा में अनाज क्यों रखा गया था। उनके कमरे की हालत देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह अपने ही मकान में काफी दहशत में रहते थे। कमरे को भूतियानुमा बनाकर रखा था। शायद वह किसी की नजर से बचकर रहने के लिए ऐसा करते थे।
खिड़की से देते थे पैसे
ऑटो से सफर करके वापस आने के बाद वह अंदर जाकर कमरे का ताला बंद करता था। उसके बाद ऑटो वाले को पैसे देता था। दहशत का आलम इस कदर मोहनलाल पर हावी था कि उसके घर के पास बैंक होने के बाद भी उसने दूसरे क्षेत्र में डाक विभाग में खाता खोल रखा था। मोहनलाल के बारे में यह भी कहा जाता है कि उसकी शादी हुई थी, लेकिन पत्नी छोड़कर चली गई।
Created On :   18 Jan 2019 4:11 PM IST