महिलाओं के प्राइवेट पार्ट की जांच का मामला, सचिव ने कहा- डॉक्टरों का दिमाग खराब हो गया है

Secretary got angry on the incident of checking private parts of nurses
महिलाओं के प्राइवेट पार्ट की जांच का मामला, सचिव ने कहा- डॉक्टरों का दिमाग खराब हो गया है
महिलाओं के प्राइवेट पार्ट की जांच का मामला, सचिव ने कहा- डॉक्टरों का दिमाग खराब हो गया है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महिला व बाल विकास विभाग की सचिव विनीता सिंगल ने डॉक्टरों द्वारा बुजुर्ग महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स की जांच करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए संबंधित डॉक्टरों की शिकायत मिलने पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। 

ये सरासर गलत
सचिव ने कहा कि 60 साल की आंगनवाड़ी सेविका व सहायिका की जो मेडिकल जांच करनी है, उसमें ब्लडप्रेशर, शुगर व हीमोग्लोबीन की जांच करनी थी। इसी तरह आंखें अच्छी होनी चाहिए और चलने-फिरने की स्थिति में होना चाहिए। इससे ज्यादा किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं थी। अगर किसी बुजुर्ग महिला के प्राइवेट पार्ट्स व एचआईवी की जांच हो रही है तो यह सरासर गलत है। 

डॉक्टरों का दिमाग खराब हो गया है क्या? (डॉक्टर चे डोके फिरले की काय) ऐसा सवाल किया। ऐसी गुस्ताखी करनेवाले डाक्टरों की शिकायत मिली, तो जांच की जाएगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच के लिए रुपए लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि टेस्ट पूरी तरह नि:शुल्क है और इसके बदले में डॉक्टर शुल्क ले रहे हैं, तो गंभीर बात है। इसकी भी जांच की जाएगी। पूरे घटनाक्रम से सरकार को अवगत कराया जाएगा। बुजुर्ग महिलाओं की इस तरह मेडिकल जांच करना व उनसे शुल्क लेना सरासर गलत है। सिंपल टेस्ट को एचआईवी टेस्ट तक ले जाना गलत है। 

टेस्ट करने में बुराई क्या 
फिटनेस टेस्ट में ब्लडप्रेशर, शुगर, हीमोग्लोबीन के अलावा अन्य बीमारियों का टेस्ट किया जाता है। एचआईवी की काउंसलिंग की जा सकती है। यह नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है। महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर की शिकायतें बढ़ रही हैं। इसका प्राथमिक अनुमान प्राइवेट पार्ट्स की जांच से लगाया जा सकता है। फिटनेस की दृष्टि से बीपी, शुगर, हीमोग्लोबीन के अतिरिक्त अन्य टेस्ट किए गए हैं, तो इसमें बुराई क्या है।
-डॉ. डी. वी. पातुरकर, जिला शल्य चिकित्सक, नागपुर

फीस लौटा दी जाएगी

दिनभर की व्यस्तता के चलते संबंधित डॉक्टर से इस विषय पर चर्चा नहीं हो पाई। उम्र के हिसाब से महिलाओं में कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इस दृष्टि से प्राइवेट पार्ट्स की जांच की होगी। इस विषय पर संबंधित डॉक्टर से बात कर पता करता हूं। मेडिकल फिटनेस जांच की फीस सभी से ली जाती है। यदि सरकार ने आंगनवाड़ी कर्मचारियों की नि:शुल्क जांच करने के आदेश दिए हैं, तो उन्हें फीस वापस लौटा दी जाएगी।
-डॉ. अजय केवलिया, अधिष्ठाता, मेयो अस्पताल

Created On :   5 Jan 2019 3:16 PM IST

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