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सीडलिंग ट्रे पद्धति से कम खर्च में लिया जा सकता है अच्छा उत्पादन - जाजोदिया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सिंचाई सुविधा के अभाव में विदर्भ में अधिकांश कृषि क्षेत्र में बारिश पर निर्भर फसल ली जाती है। बेमौसम बारिश, अपेक्षित मात्रा में नहीं आने, बिजली की लुकाछिपी से सिंचाई में आने वाले व्यवधान से किसानों को नुकसान होता है। बुआई के बाद बारिश नहीं आने पर बोई गई फसल खराब हो जाती है। बारिश विलंब से आने पर देर से बुआई करने पर फसल कम होने का खतरा बना रहता है। बारिश आने पर बुआई करने के बाद बीच में बारिश के दगा देने पर फसल हाथ से चली जाती है। सीडलिंग ट्रे पद्धति अपनाकर कम खर्च में कृषि उत्पादन में कमी और बीज का नुकसान होने के खतरे से बचा जा सकता है। कृषि आरोग्य व विज्ञान संस्था अध्यक्ष ओमप्रकाश जाजोदिया ने इस पद्धति को विकसित करने का दावा किया है।
सही समय पर बुआई
जाजोदिया ने बताया कि सही समय पर बुआई नहीं होने से फसल पर विविध कीट और रोग का प्रादुर्भाव होता है। बारिश समय पर नहीं आने से विदर्भ में यह समस्या आम हो गई है। सीडलिंग ट्रे पद्धति से समय पर बुआई कर इस समस्या को टाला जा सकता है। बारिश को विलंब होने पर भी पहले से ही पौधे उगकर तैयार रहने से बुआई में देरी की समस्या नहीं होती। पर्याप्त बारिश आने पर इसे खेत में लगाया जा सकता है। इस पद्धति से बुआई करने पर कीट और रोग के प्रादुर्भाव से फसल सुरक्षित रहती है। फसल की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है।
बीज की बचत
बारिश आने से पहले बुआई करने पर यदि बारिश को विलंब होता है, तो जमीन की गर्मी से बीज खराब होकर अंकुरण क्षमता कम हो जाती है। सभी बीज अंकुरित होने की संभावना नहीं रहती, इसलिए एक जगह दो बीज बोए जाते हैं। सीडलिंग ट्रे पद्धति में पहले से पौधे उगाकर बारिश आने के बाद बुआई की जाती है। इसलिए बीज खराब होना, दो बीज बोने की नौबत नहीं आती। पौधे तैयार रहने से बीज की बचत होती है।
इस तरह उगाएं पौधे
समय पर बुआई के लिए बारिश से पहले ही पौधे उगाए जाते हैं। इसके लिए सीडलिंग ट्रे का उपयोग किया जाता है। एक ट्रे में 45 पौधे के डब्बे बनाए गए हैं। इसमें मिट्टी भरकर प्रत्येक डब्बे में 1 बीज डालकर उसे छाया में रखकर बढ़ाया जाता है। बारिश आने के बाद ट्रे खेत में ले जाकर एक-एक डब्बे को काटकर पौधे लगाए जा सकते हैं। ट्रे रीसाइकिल मटेरियल से बनाए गए हैं। इसमें से पौधे को अलग निकालकर लगाने की जरूर नहीं रहने से मिट्टी झड़कर जड़ें खुली होने का खतरा नहीं रहता है।
खर्च में बचत और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन
जाजोदिया का दावा है कि सीडलिंग ट्रे पद्धति से बुआई पर पारंपरिक पद्धति से बुआई के मुकाबले प्रति एकड़ 1040 रुपए खर्च कम आता है। वहीं समय पर बुआई होने से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन आता है। इस उत्पादन को बाजार में ऊंचे दाम मिलने से किसानों का आर्थिक लाभ होता है।
पारंपरिक और सीडलिंग ट्रे पद्धति से प्रति एकड़ कपास की बुआई के खर्च में अंतर
संभावित खर्च सीडलिंग ट्रे पारंपरिक पद्धति
5 बीज खरीदी 700 रुपए 1460 रुपए
कीटनाशक 300 रुपए 900 रुपए
सिंचाई 600 रुपए 3000 रुपए
खरपत सफाई 100 रुपए 1000 रुपए
सीडलिंग ट्रे 1860 रुपए ---
कृषि पीट 1100 रुपए ---
पौधा रोपण 1000 रुपए 400 रुपए
कुल 5660 6700
Created On :   31 May 2019 3:33 PM IST