मिट्टी में दफन हुआ ढाई करोड़ का कपास-बीज, बारिश नहीं होने से हुआ अंकुरण

Seeds worth crores are buried in farm but no germination is seen
मिट्टी में दफन हुआ ढाई करोड़ का कपास-बीज, बारिश नहीं होने से हुआ अंकुरण
मिट्टी में दफन हुआ ढाई करोड़ का कपास-बीज, बारिश नहीं होने से हुआ अंकुरण

डिजिटल डेस्क, सौंसर/छिंदवाड़ा। बारिश के अभाव में ढाई करोड़ का कपास बीज मिट्टी में दफन हो गया है। किसानों के सामने दोबारा बोवनी की स्थिति निर्मित हो रही है। तेज धूप होने से सिंचाई की सुविधा वाले खेतों में भी 50 फीसदी तक ही अंकुरण हो पाया है। दोबारा बोवनी में आर्थिक बोझ बढ़ने की चिंता किसानों को सता रही है।

सौंसर ब्लाक में मुख्य नकद फसल कपास है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुल रकबा 40 हजार हेक्टेयर में से 32 हजार में कपास की बोवनी हुई है। मृग नक्षत्र शुरू होने पर जून के प्रथम सप्ताह से बोवनी शुरु हुई। इस दौरान खंडित रुप से बारिश हुई, लेकिन निरंतर बारिश के अभाव में अंकुरित बीज खराब हुआ। अन्य फसलों की बोवनी ने मूंगफली 1 हजार हेक्टेयर, अरहर 3 हजार हेक्टेयर व मक्का 200 हेक्टेयर में बोवनी हुई है।

चार करोड़ मिट्टी में दफन
कपास में बोवनी के लिए प्रति एकड़ 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज का बाजार भाव प्रति पैकेट 450 ग्राम कीमत 700 से 800 रुपए तक है। एक एकड़ रकबे के लिए 500 ग्राम बीज 900 रुपए का और बोवनी की मजदूरी एवं अन्य खर्च प्रति एकड़ 600 रुपए है। एक एकड़ खेत पर बोवनी के लिए किसान को 1500 रुपए खर्च आ रहा है। ब्लाक में कपास का रकबा 32 हजार एकड़ है। कुल खर्च 4 करोड़ 80 लाख होता है, इसमें बीज की लागत 2 करोड़ 88 लाख होती है।

निरंतर बारिश का अभाव रहा
जून माह के 25 दिनों में से 10 दिन  में 232.2 MM बारिश हुई है। खंडित बारिश से बोवनी प्रभावित हुई। मृग नक्षत्र के शुरूआत में हुई बारिश में हुई बोवनी पर एक सप्ताह बारिश नहीं हुई। 12 जून के बाद दो दिन हुई बारिश में किसानों ने शेष बोवनी पूर्ण की, लेकिन इसके बाद बारिश नहीं हुई।

तो कम होगा कपास का रकबा
दोबारा बोवनी होने पर कपास का रकबा कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। महंगा बीज दोबारा खरीदने की आर्थिक स्थिति नहीं होने के कारण कपास का रकबा कम करने की बात करते हुए घोटी के किसान रामेश्वर बोबड़े कहते हैं कि 30 से 40 फीसदी रकबा कम होगा। 8 एकड़ की बोवनी खराब होना बताते हुए पंधराखेड़ी के किसान भाऊराव गोरले कहते हैं कि अब आधे हिस्से में ज्वार की बोवनी करुंगा।

इनका कहना है
किसानों को चाहिए की बारिश के बाद भूमि में पर्याप्त नमी तैयार होने के बाद ही दोबारा बोवनी करें। अन्यथा बारिश की अनिश्चितता से पुन: नुकसान होगा।
आरजी जीवतोड़े, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी

 

Created On :   25 Jun 2018 6:29 PM IST

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