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स्वभाषा और संस्कृति ही देश की आत्मा : डा. जोशी

डिजिटल डेस्क, नागपुर | शस्त्र का उपयोग किए बगैर किसी देश को नष्ट किया जा सकता है, यदि उस देश की भाषा और संस्कृति संबंधी नीति देश की भाषा की अवहेलना करने वाली हो। इससे वह देश अपने आप परावलंबी और दूसरे देश की भाषा पर निर्भरता के कारण स्वयं नष्ट हो जाएगा। स्वभाषा और संस्कृति ही देश की आत्मा है। स्वभाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए डा. राममनोहर लोहिया ने आजीवन संघर्ष किया। यह विचार डा. श्रीपाद भालचंद्र जोशी ने व्यक्त किए।
लोहिया अध्ययन केंद्र की ओर से समाजवादी चिंतक डा. राममनोहर लोहिया की जयंती पर ‘संस्कृति के बिना देश’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन केंद्र के मधु लिमये स्मृति सभागृह में किया गया। इस अवसर पर बतौर प्रमुख वक्ता डा. जोशी बोल रहे थे। अध्यक्षता रवींद्र देवघरे ‘शलभ’ ने की।
इनकी रही उपस्थिति
प्रस्ताविक केंद्र के महासचिव हरीश अड्यालकर तथा संचालन डा. बालकृष्ण महाजन ने किया। आभार अतुल त्रिवेदी ने माना। कार्यक्रम में केंद्र के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, डा. राजेंद्र पटोरिया, अमर रामटेके, डा. ओमप्रकाश मिश्रा, विनोद व्यास, दीपक चौधरी, रेखा देवघरे, एस. जी. रायकवार, सूर्यमणि भिवगड़े, बाबा छापेकर, हीरालाल यादव, रूपेश पवार, अश्विन पांडे, कृष्ण कुमार द्विवेदी, ब्रजभूषण शुक्ला, संजय देशभ्रतार, प्रकाश गावंडे, एकनाथ सोनारे, गिरिधर भगत सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
संस्कृत नाट्य महोत्सव मनाया
कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विद्यापीठ में कुलगुरु डॉ. श्रीनिवास वरखेडी के मार्गदर्शन में संस्कृत नाट्य महोत्सव के अंतर्गत एकांकिका स्पर्धा का आयोजन साइंटिफिक हॉल में किया गया। स्पर्धा की अध्यक्षता संकाय प्रमुख डॉ. नन्दा पुरी ने की। इस अवसर पर उद्घाटक व निर्णायक पुणे के पं. वसंत गाडगिल, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. बलराम शुक्ल, एलएडी महाविद्यालय की पूर्व संस्कृत विभाग प्रमुख डॉ. स्मिता होटे निर्णायक के रूप में उपस्थित थे।
स्पर्धा का आयोजन नटराज कला सांस्कृतिक केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में संस्कृत की विदुषी डॉ. लीना रस्तोगी, डॉ. कविता होले विशेष रूप से उपस्थित थीं। कार्यक्रम का उद्घाटन वेदमंत्र, सरस्वती वंदना से किया गया। डॉ. पराग जोशी ने रूपरेखा स्पष्ट की। धन्यवाद ज्ञापन नाट्य महोत्सव समन्वयक डॉ. राजेन्द्र जैन ने किया।
6 एकांकिका प्रस्तुत
स्पर्धा में 6 एकांकिका की प्रस्तुति दी गई। स्पर्धा का शुभारंभ संस्कृत विद्यापीठ के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत "पंजाबी संस्कृत लोकनृत्य" से की गई। ज्ञान विज्ञानवर्धिनी संस्था द्वारा "धन्यो गृहस्थाश्रम", संस्कृत विद्यापीठ के विद्यार्थियों द्वारा "गुरु दक्षिणा", सीपी एंड बेरारा द्वारा "ब्रह्मराक्षस" एकांकिका प्रस्तुत की गई।
Created On :   8 April 2019 2:29 PM IST